सत्यास्मि दर्शन का चार्वाक और सनातन चिंतन
जेसे अनेक ब्रह्मर्षियों के विषय में उनकी अनेक संतानों को लेकर भ्रांतियां है की महर्षि वशिष्ठ के सो पुत्र थे अथवा भगवन विश्वामित्र के सो पुत्र थे ये एक प्रकार से असम्भव है क्योकि जो ब्रह्मज्ञानी है जिन्हें आत्मतत्व का साक्षात्कार हो गया है वे ऊर्ध्वरेता योगी बन जाते है...