शुभ सत्यास्मि ज्ञान प्रातः
तन प्राण मन आत्मा ये त्रिगुण तीनों एक। इन्हीं एक्त्त्व नाम ब्रह्म यही जपना तपना नेक।। सत्य बोलना साक्षात् तप गुरु मंत्र महान सर्व जाप। गुरु आज्ञा सेवा बड़ा दान इन तीनों कर पाये स्वं आप।। ?भावार्थ-हे शिष्य जो अपने तन को अपनी आत्मा का जीवंत वस्त्र मानता है और...