शुभ सत्यास्मि ज्ञान प्रातः
काक चेष्टा बगुला ध्यानी और श्वान निंद्रा धारक। अल्पाहारी सेवाभावी यही शिष्य अर्थ तारक।। विषय आलोचना सुने करे पर गुरु निंदा नही श्रवण। हाँ में हाँ नही सच अनुभव कहे वही शिष्य गुरु विद्य वरण।। भावार्थ:-हे शिष्य जिस किसी मनुष्य में काँव की तरहां ये गुण और प्रयास होता है...