अहम् सत्यास्मि गुरु पूर्णिमाँ उद्धघोष
ओ उठो जागो सिंहो सनातन धर्म वीर। तुम ईश संतति त्याग बंधन की पीर।। तोड़ निंद्रा अज्ञान चलो आत्म के पथ। मैं हूँ कौन खोजते अंवेषणा के गत।। जब तक मिले न लक्ष्य खेल प्राणों की बाजी। सिंचित कर कर्म नीर खिला आत्म पुष्प अविभाजी।। मिटा भय अंध मेघ निज...