मेरी एक पूर्वजन्म सिद्धि प्राप्त साधक से भेंट यात्रा और आगामी योजिज्ञासुओं को स्वप्राप्ति योगविषयक ज्ञान दान

  हमारे गांव के पास के गांव अजयनगर जिसे हम भूह नाम से पुकारते थे उस गांव के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति जो हमारे पिता के चकबन्दी के किलाइंट थे और गांव नाते से चाचा लगते थे वे शहर अपने केस की तारीख को हमारे घर आये और बोले की हमारे...

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6 अगस्त विश्व मित्रता दिवस

आज मित्रता दिवस मनाओ उन जीवित मृत मित्र स्मरण। हिरोशिमा मरे अनंत लोग उन्हें करते आज संस्मरण।। तीन मित्र रूस इंग्लैंड अमेरिका धूरी मित्र जर्मन और जापान। मित्र मित्र मिल शत्रु बने द्धितीय विश्वयुद्ध हुआ महान।। भयंकर नरसंहार हुआ मरे मारे विश्व मित्र। मिटा बना धरा इतिहास नवीन मित्र शत्रुता...

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आत्मदर्शन और स्वरूप योग रहस्य प्राप्ति

सच में योग इतना अनसुलझा नही है जितना बना दिया गया है यथार्थ योगियों ने कुछ लिखा नही जिन्होंने लिखा वे योगी नही जबकि योग और कुण्डलिनी जागरण योग बहुत सरल है पर उसे समझना होगा की प्रत्येक मनुष्य में ऋण और धन(-,+,0) और बीज का त्रिगुण योग है यही...

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ब्रह्मचर्य का सच्चा अर्थ प्राप्ति

<center>मैं अपने गांव में खेतों में ट्यूवेल के पास बने भुस के बोन्गें में भुस ख़ाली होने से बनी जगह में एक फोल्डिंग कुर्सी डॉल रखी थी और हमारे यहाँ जहाँ आज आश्रम है वहाँ जहाँ गद्धी स्थित है वहाँ भी भुस का बोंगा था वहाँ छीप कर ध्यान करता...

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मेरे जीवन की राजनैतिक यात्रा और योग चिंतक संग संस्मरण

<center> ये सन् 90 की जब उत्तर प्रदेश में विधायकी के चुनाव से पूर्व की बात है जब हमारे ननसाल साइड सैदपुर के भाई लगने वाले कनाडा निवासी जुगेन्द्र सिरोही ने बी.जे.पी.से अगौता छेत्र से टिकिट प्राप्त किया और उसका भांजा और एक हमारे सदूर के मामा का बेटा मेरे...

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मेरे जीवन की दो दुर्घटना और मंत्र साहयता

<center> जब मैं छटी या सांतवी कक्षा में पढ़ता था तब अपने गांव चंगोली में गर्मियों की जुलाई महीने तक की छुटियों में जाते थे वेसे ही मैं और मेरा छोटा भाई सजंय भी गए हुए थे हमारे खेतों के पास हरिद्धार कोट से निकली छोटी गंग नहर है यो...

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मेरे साधना पथ के पथिक संत और मेरा आत्म गुरुवादी दर्शन

पुरानी बात है जब हमने अपना मकान आज जहाँ आश्रम है वहाँ पर बना लिया था शिक्षालकाल के साथ गांव की खेती का कार्य चल रहा था तबतक मैं अपने में गुरु का आभाव अनुभव करता था की जेसे पूर्वकाल के सिद्ध गुरु थे वेसा मेरा भी कोई सामर्थ्यवाला गुरु...

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मेरी सहज समाधि के आरम्भ

मुझे प्रारम्भ की कुछ दो बार की स्वसमाधियों का स्मरण है बाद की तो अन्य रही है की जब मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता था तब हम हापुड़ में राजेंद्र नगर में एक कोठी थी उसमें किराये पर रहते थे तब साय का समय था और जब स्मरण इस बात...

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सत्यास्मि योगनुभूति सर्वद्रष्टि दर्शन

ये घटना तब की है जब मैं नोवी कक्षा में पढ़ता हूँगा और उन दिनों सेहत बनाने के लिए कसरत दंड बैठक लगाने का बड़ा जूनून था व् हम किराये पर प्रेमनगर में रहते थे वहाँ चौक में एक बड़ा नीम का पेड़ था मैं अपनी खाट उसी के नीचे...

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31 जुलाई ऊधम सिंह शहीद दिवस

बैशाखी का पर्व था उस दिन और भीड़ थी बड़ी नर नारी। बच्चे खेल चहक रहे थे तभी अंग्रेज आये शस्त्रधारी।। आदेश दिया जाओ यहां से नही तो चलें अभी बंदूक। सजग तक नही हुए लोग थे गरज उठी फिरंगी बंदूक।। मच गया घोर हाहाकार जन में सब भागे जान...

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