World running Day विश्व दौड़ दिवस पर ज्ञान कविता
जिस तरहां महामारी दोबारा अपने पैर देश के हर राज्य में फैला रही है,जल्दी ही क्या फिर से आएगा सख्त नियमबन्धन ओर क्या सेहत के लिए करें कैसे दैनिक दौड़ व्यायाम
बता रहें है इस विश्व दौड़ दिवस ओर इंडियन दौड़ दिवस पर दौड़ व्यायाम के विषय मे धीमी हानि ओर थोड़ी तेज दौड़ के स्वास्थ लाभ परिणाम स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
हर देश में एथलीट दिवस तो मानता ही है और समय समय पर किसी न किसी राष्टीय पर्व या किसी प्रोग्राम के संदेश को जनसाधारण तक प्रसारित प्रचारित करने के लिए अनेक स्तर पर दौड़ो का आकर्षित पुरस्कार व प्रमाणपत्र सहित आयोजन किया जाता है।भारत मे 15 अगस्त पर या विश्व भर में ग्लोबल वार्मिंग के विषय मे दौड़ होती है।पर दौड़ने का सही स्वास्थ्यवर्द्धक तरीका क्या है,आओ जाने,
अनेक हेल्थ विशेषज्ञों के अध्ययन अनुसार मध्यम चाल यानी धीरे धीरे चलने से एक से 3 किलोमीटर तक एक घँटे तक सामान्य वजन यानी 45 से 55 किलों वजन के लोगों में कोरोना संक्रमित होने की संभावना ओर लोगों की मौत तेज गति से चलने वालों की तुलना में 3.75 गुना अधिक होती है।जबकि इनकी अपेक्षा तेज चलने वाले लोगो की या बहुत मध्यम चाल से दौड़ने वालो की मौत लगभग 2.5 गुना कम होती है।स्वास्थ अध्ययन में एक घंटे में तीन किलोमीटर से कम दूरी चलकर तय करने वालों को “स्लो वॉकर” यानी धीमी गति से चलने वाला व्यक्ति माना गया। जबकि सामान्य वजन व सामान्य शरीर वाले एक तेज गति से चलने वाले या मध्यम चाल से दौड़ने वाले को जो की लगभग प्रति एक घंटे में चार किमी से अधिक दूरी तय करता हो।उसे स्पीड वॉकर कहते है,जो अधिक स्वस्थ रहता है।
साथ ही एक स्वास्थ शोध के अनुसार तेज गति से पैदल चलने से हृदय रोग का खतरा 31% तक कम हो जाता है।उसका केस्ट्रॉल भी कम होता है,सहजता के साथ बिन साइडइफेक्ट के फेट बर्न यानी मोटापा घटता ओर सहज वजन की प्राप्ति करता है। इस स्वास्थ्यवर्द्धक शोध के अनुसार रोजाना तेज गति से चलने वालों की मृत्युदर 32% तक कम हो जाता है। इस शोध के अनुसार हर घंटे कुछ मिनट ही तेज चाल चलना या दिन में कम से कम तीन बार कुछ मिनट तेज चलना, पूरे दिन में एक घंटा जिम में की गयी मेहनत के बराबर होता है।स्वास्थ चिकित्सक भी मानते हैं कि रोजाना 30 मिनट के ब्रिस्क वॉकिंग यानी तेज गति से पैदल चलने से 150 कैलोरी बर्न होती है।ऐसा तेज चाल से रोज चलकर आप रोजाना की वॉकिंग से हफ्ते भर में लगभग एक पाउंड वजन तो कम कर ही सकते हैं।तेज चाल से चलने पर सांस की गति तेज होकर सहज भस्त्रिका प्राणायाम होता है,नतीजा शरीर से खूब पसीना निकलने से शरीर की त्वचा खुलकर सांस लेने लगती है,स्किन सम्बन्धित सभी बीमारियां धीरे धीरे खत्म होकर त्वचा सुंदर स्निग्ध हो चमकती है।चहरे की झाइयां खत्म हो जाती है और बाल भी जल्दी नहीं झड़ते है।
तेज पैदल चलने के ये भी हैं अनेक स्वास्थप्रद लाभ:-
1-वजन सही रहता है
2-हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर का खतरा कम होता है।
3-टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है,या है तो शीघ्र नियंत्रण में आता है।
4-पाचन शक्ति ठीक होने और तनाव कम करने में सहायक होने सही नींद आती है।
5-शरीर की सभी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत बनती है।
6-आपकी उम्र के साथ बढ़ रही हार्मोन्स के असन्तुलन से उत्पन्न अनेक शारारिक रोगों में बड़ा लाभ मिलता है आपकी गृहस्थी जीवन मे आनन्द भरता है।
7-दिमाग मे ऑक्सीजन ठीक से जाने पर स्मरण शक्ति और आंखों की ज्योति बढ़ती है
8-दिन भर का चिड़चिड़ापन खत्म होता है।
9-सहज भस्त्रिका प्राणायाम स्वयंमेव होने से अनगिनत लाभ मिलते है।
10-ऐसा मध्यम चाल से दौड़ते समय अपने इष्ट देव की चालीसा स्तुति की संख्या भी बढ़कर ओर बढ़ाकर आप आध्यात्मिक शक्ति की भी एकाग्रता के साथ प्राप्त करते है।
इस विषय पर बड़ी ज्ञानवर्द्धक कविता स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी इस प्रकार से कहते है कि
world running day
विश्व दौड़ दिवस पर ज्ञान कविता
नित्य लगाओ दौड़।
छोड़कर व्यर्थ की होड़।
पाओ स्वस्थ प्रसन्नता
जीवन के सुख हर मोड़।।
सुबह उठो पानी थोड़ा पी
करो शौच ओर कुल्ला।
पहनो जूते पैर की रक्षा
ओर दौड़ चलो धीमें बिन ढुल्ला।।
सांस चढ़े न ध्यान ये रखना
धीमी दौड़ लगाते जाओ।
खुद ही सांस बढ़े धीरे से
बस तुम धीरे दौड़ लगाओ।।
उम्र बढ़े सांस बढ़
त्वचा निखरे नई गढ़।
घटे मोटापा सही वजन हो
जीवन बने नए आयामों चढ़।।
तन मजबूत हड्डी स्वस्थ हो
मांसपेशी बढ़ती चली शक्ति।
गुरु मंत्र जप संग जपते जाना
मन मष्तिष्क बढ़े प्रेम भक्ति।।
हाथ की ताकत बढ़े संग में
कंधे गर्दन रीढ़ हो मजबूत।
पाचनतंत्र निरंतर हो अच्छा
विटामिन बढ़ हो स्वास्थ आकूत।।
प्रातः साय थोड़ा दौड़ो
पर नित्यता का बना नियम।
दौड़कर एकदम न पानी पीयों
सूखा पसीना हो सहज सांस जब सम।।
चलो शुरू करें रोज दौड़ना
पहले टहल फिर धीरे दौड़।
मध्यम दौड़ ही जीवनदायी
जीतें हम स्वस्थ जीवन की दौड़।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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