Dije डीजे मत बजाया कीजे-कविता

Dije डीजे मत बजाया कीजे-कविता

National Pollution Prevention Day राष्टीय प्रदूषण दिवस पर अपनी कविता के माध्यम से जनसमाज संदेश देते स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,

धूम धूम भयंकर ध्वनि
दिल दहलाती सबके।
डीजे नाम मुसीबत जन्मी
तीज त्योहार बज हर तबके।।
बेस नाम कंपाती गूंजे
दूर सदुर घर हिलाकर।
नींद उचाटे सिर दर्द करती
मुहं से निकले गाली दिलकर।।
बच्चे पढ़ नहीं पाते दिन में
नहीं पढ़े रात इस शोर।
कहे भी जाकर उस उत्सव में
मचे विवाद बदले में जोर।।
डॉक्टर प्रतिरोध करे न
मरीज बढ़े घोर परेशानी।
उनके अस्पताल सामने बजते
ये डीजे बन उन दुश्मन जानी।।
कभी जागरण नाम पे बजते
कभी बजते शोभा नवरात्र।
कभी ऊधम पार्टी नाम पे बजते
कोई रोक नहीं डीजे की घात।।
कानून बना नियमबंधी को
की धीमी ध्वनि बजाओ।
पर डीजे तोड़ते कानून नियम सब
न्याय मार्ग परिसर गुंजाओ।।
न्यायधीश के आदेश करे ना
न प्रशासन रोके बजते डीजे।
न नेता टोके शोर करो कम
बस बहाने नाम सब खीजे।।
पुलिस खड़ी मूक बन दर्शक
डीजे बजते ख़ुद थाने के आगे।
एक बार न कहे कम कर लो
न कानूनी नियम दंड भंग दागे।।
टिर्री टेम्पों कार में बजते
डीजे खोल जोर की गूंज।
ट्रैफिक पुलिस नहीं दंडित करती
काट चालान रुके विनाशक गूंज।।
कई याचिका दी ध्वनि प्रदूषण
ओर हुए भी बड़े आदेश।
सरकार कार्यवाही काम टरकाती
दे ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण ढील आदेश।।
बुरा नहीं डीजे का बजना
पर गुंजाये नहीं बेस खोल।
मध्यम स्वर रखे गीतों का
नहीं बजवाये भयंकर ढोल।।
समाज सहित प्रशासन का भी
दायित्त्व हो ध्वनि प्रदूषण निरोध।
सरकार भी इस पर सख्ती बरते
संग हम जन भी करें ये बोध।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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