28 मार्च 2021को है होलिका दहन,कैसे मनाये पूजन कर होली जो बिखरें घर आंगन शुभत्त्व भरी खुशी की रंगोली,,
बता रहें है स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
हर वर्ष सम्पूर्ण भारत और अब विदेशों में भी फाल्गुन मास में होली मनाई जाती है और उससे ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।जिसे छोटी होली भी कहते है।इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च दिन रविवार को किया जायेगा और इसके ठीक अगले दिन यानी 29 मार्च सोमवार को रंगो वाली पारंपरिक त्यौहारी होली खेली जाएगी।
हमारी हिंदू धार्मिक मान्यताये है कि, यदि होलिका दहन को उस दिन की पूर्णिमा के प्रदोष काल में की जाए तो सोलह कला युक्तगुणों का अन्तर्विकास होता है,जो अत्यंत शुभफलदायी होता है। इस समय भद्रा मुख को त्याग कर के रात के समय होलिका दहन करना शुभ रहता है। होलिका दहन के समय हमे सदा कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे कि, होलिका दहन के समय कभी भी भद्रा काल में नहीं हो,सभी होलिका दहन करने वाले ,इस बात का ध्यान रखें। इसके अलावा होलिका दहन के समय पूर्णिमा प्रदोष काल और व्यापिनी होना अत्यंत जरूरी होता है।इसे यदि सदा शब्दों में कहें तो, होलिका दहन के दिन सूर्यास्त के बाद यह तीनों मुहूर्त पूर्णिमा तिथि पर पड़ने चाहिए। ऐसी स्थिति में होलिका दहन करना बहुत ही शुभ मानी जाती है।
होलिका दहन मुहूर्त :-18:36:38 से 20:56:23 तक है।
अवधि :-2 घंटे 19 मिनट तक।
भद्रा पुँछा :-10:27:50 से 11:30:34 तक रहेगी।
भद्रा मुखा :-11:30:34 से 13:15:08 तक है।
होलिका दहन की विधि जाने:-
होलिका दहन के दिन जब होली का पूजा के बाद जल अवश्य अर्पित करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार अपने घर के किसी बड़े बुजुर्ग व्यक्ति से होलिका की अग्नि प्रज्वलित करवाएं। होलिका की अग्नि में फसल सेंके यानी उसके अग्र भाग को कुछ भूनते है और इसे ही परस्पर मिलन करते में बांटते है और इसे ही इसे अगले दिन भी जिस किसी मित्र परिचित या अपरिचित ओर सपरिवार से मिलते में दें और स्वयं उनके द्धारा भी ग्रहण अवश्य करें।ये सोभाग्यवर्द्धि भरा देव वरदान स्वरूप अन्नदान प्रसाद कहलाता है।
जनश्रुति है की, होलिका दहन के दिन किया जाने वाला यह उपाय जो भी कोई व्यक्ति या साधक करता है उसके जीवन में निराशा और दुख का प्रभाव नहीं आता है। साथ ही उस व्यक्ति के परिवार के सभी लोग सदा रोगों से मुक्त स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीते हैं।
28 मार्च के दिन सुबह में 1:00 बज कर 53 मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगा।इसलिए इस साल होलिका दहन प्रदोष व्रत में किया जाना अत्यंत शुभ फलदाई रहने वाला है। 29 मार्च को होली,पर बन रहा है चार शुभ योगों का सुयोग-
1-व्रद्धि योग,
2-सर्वार्थसिद्धि योग,
3-अमृतयोग ओर
4- ध्रुव योग बन रहा है।
इस सुयोग में की गई मन्त्र जप ध्यान यज्ञानुष्ठान साधना सभी मनोरथों का सर्वश्रेष्ठफ़लों को देने वाली होती है।यो,केवल होली खेलने में ही नहीं लगे रहें,बल्कि इस अत्यंत शुभ महूर्त में अपने इष्ट गुरु मन्त्र आदि की साधना से चूंके नहीं अवश्य करें साधना और सिद्ध करें अपने गुरु इष्ट मंत्रों को।ये ही काटता है,सम्पूर्ण वर्ष भर के यानी होली से दीपावली के बीच के सभी दुष्ट तांत्रिक संकटों ओर शत्रु द्धारा किये आप पर नकारात्मक ऊर्जा भरे फेंके गए शाप दोष ओर रास्तों में पड़ने वाले अभिशप्त क्षेत्रों से गुजर जाने वाले बुरे प्रभाव की काट।
होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए:-
अब सवाल उठता है कि, होलिका दहन के दिन हमें क्या काम भूलकर भी नहीं करना चाहिए। तो, होलिका दहन के दिन कुछ बातों को विशेष रूप से ना करने की चेतावनी दी जाती है जैसे कि,
1-होलिका दहन के दिन सफेद मिठाई या दूध आदि खाद्य पदार्थों का सेवन भूल से भी ना करें।
2-होलिका दहन की पूजा करते समय अपना सिर अवश्य किसी रुमाल गमछे या ओढ़नी आदि से ढक कर रखें।
3-होलिका दहन की अग्नि नव-विवाहित महिलाओं को देखने से बचना चाहिए।तभी कहते है कि पहली होली वधु की अपने पीहर में करनी चाहिए।
4-होलिका दहन को कभी भी नवविवाहित बहु अपनी सास को या सास अपनी बहू के साथ मिलकर नहीं देखें। अन्यथा परस्पर विवाद बढ़ता है।
5-होलिका दहन वाले दिन कोई भी भूमि,मकान,सम्पत्ति,वाहन,घरेलू वस्तु आदि की खरीद या बिक्री ओर वैवाहिक रिश्ता सम्बन्ध आदि शुभ और मांगलिक काम करने से बचना चाहिए।
6-होलिका दहन के दिन किसी भी शांत और सन्नाटे वाली जगह जिसे श्मशान आती जाने से बचे। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि, होलिका दहन के दिन बहुत से लोग त्रिराहो ओर चौराहों पर अपनी अलाबला ओर ग्रह दोषों के निराकरण के लिए अपनी विपदा को दूसरे पर उतारने के लिए अनेक प्रकार की मंत्रिक तांत्रिक क्रियाएं करते और करवा कर वहाँ डालते हैं। ऐसे में इस दिन तांत्रिक क्रिया करने वालो की संकल्पशक्ति के कारण नकारात्मक शक्तियां ज्यादा सक्रिय होती हैं जिनका आपके जीवन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
यो इस दिन अवश्य रेहीक्रियायोग ध्यान करें और अपने अंदर की आत्मशक्ति को जाग्रत करें।
ओर मन्दिर में सेवा करें और कुत्तों जीवो को भोजन दे और अपने धर्म स्थान या गुरुआश्रम में दान करे,,
सदा सेवा तप और दान।
करें सर्वकष्ट मिटा दे,सुख कल्याण।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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