20 फरवरी अंतरराष्टीय सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है,जिसमें सामाजिक समानता,गरीबी,बहिष्करण ओर बेरोजगारी जैसे अनेक मुद्दों से निपटने के सभी प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता को पहचानने कर उनपर अमल लाने का दिन है, यूएनओ,अमेरिकन लायब्रेरी एसोसिएशन ओर अंतर्राष्टीय शर्म कार्यालय सहित कई ऐसे ही संगठनों के लोगो के लिए सामाजिक न्याय के महत्त्व पर अपनी राय दी जाती है।यो ये बड़ा महत्त्वपूर्ण दिवस है।
ओर इस पर मेरी कविता इस प्रकार से है कि,,,
समाज बना है हर नर नारी से
जो इकट्ठे संग में रहते है।
सहयोग देते एक दूजे को
चाहे काम कोई भी करते है।।
बिन सहयोग कोई नहीं बढ़ता
न परिवार न समाज न देश।
यो जो सहयोगी मनुष्य है
उसे समझो न छोटा रख द्धेष।।
नर नारी निज सामर्थ्य पूर्ण है
ज्यों सुई तलवार का अलग है काम
एक दूजे जगहां ये नहीं ले सके
यही मनुष्य में भेद,पर है सकाम।।
काले गोर ओर ऊंच नीच
नहीं जाति समझो भेद।
सबकी अपनी संस्क्रति वशिष्ठ
उसमें प्रकट लाभ सभेद।।
शोषण कभी न दूजे करो
उसके परिश्रम का दो फल।
कीमत सबकी जानिए
तभी मिले सफलता कल।।
भवन बनता अनेक सहयोग
ईंट पाथे, बनाये,कोई लाये।
कोई चिने सजाए अलग काम
संगत सबकी भवन पूर्णता आये।।
न्यायाधीश बनो सही न्याय करो
अधिकारी बनो,दो अधिकार।
नेता बनो,सही नेतृत्व करो
समाज को दो मनुष्यता का उपहार।।
न्यायाधीश बनो सही न्याय करो
अधिकारी बनो,दो अधिकार।
नेता बनो,सही नेतृत्व करो
समाज को दो मनुष्यता का उपहार।।
यो अधिकार सभी को दीजिए
नहीं करो अधिकार हनन।
जाने कौन कब काम आए
यही सामाजिक न्याय दिवस ज्ञान है कहन।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिबजी
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