आओ आज की मेरी छत्रपति शिवाजी के जीवन के साथ उनके जीवन से क्या सीखें,ताकि आपके भी पता चले कि,विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे गुरु ज्ञान संग धैर्य ओर अपने बल कौशल को बढ़ाते हुए,जैसे ही आपको कोई मौका मिले,तो आप तुरन्त अपना सारा ज्ञान बल कौशल का उपयोग कर सफलता पा सकते है,,यही शिवाजी की आज के नवयुवकों के लिए सिख है,,
समर्थ गुरु रामदास के चेले
संत तुकाराम के भक्त धीर।
सदा सहायक जन पीर मिटाकर
शिवाजी भारत के महावीर।।
जन्मे 19 फाल्गुन माह
पिता शाह जी मां जीजाबाई।
शिवनेरी किले भरी किलकारी
युद्ध विद्या पारंगत यश जगशाही।।
छापामार युद्ध नए कौशल भर
खूब छकाया औरंगजेब को
कैद किया पर छूट आये।
छल को छल से जीतना सीखा
मराठा राज्य नींव बनाये।।
आठ पत्नी और सात बच्चे
सम्भा जी प्रिय प्रथम सन्तान।
आगे यही राजगद्दी बैठे
शिवा जी बढ़ाया राज्य महान।।
3 अप्रैल स्वर्गवासी शिवाजी
दक्षिण हिन्दू राज्य दिया।
भवानी के छत्रपति पुत्र ने
सनातन धर्म प्रभुत्त्व दिया।।
शिवाजी चातुर्य कुशल योद्धा
ओर हिन्दुत्त्व के रखवाले।
स्वतंत्र राज्य स्वराज उद्धघोषि
जय शिवाजी जय मावळे।।
नवयुवक सीखों शिवा जी से
संघर्ष ज्ञान युक्ति का मेल।
कभी न हारो विपरीत परिस्थिति
धैर्य सफल करे जीवन का खेल।।
सदा गुरु की आज्ञा मानो
ओर बड़ो का करो सम्मान।
अपने धर्म सदा बढाओ
सीखों शिवाजी जीवन ये ज्ञान।।
जैसा समय हो वैसा रुक चलना
सदा अभ्यास कर रहो तैयार।।
ज्यों ही मौका मिले तुम्हें ज
तुरंत लगा दो बल बुद्धि अपार।।
कभी मत कोई रोना रोओ
सब रिश्ते मेरे विपरीत।
की ये यो होता तो मैं करता
शिवाजी जीवन सीखों ये नीत।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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