13 मार्च 2021 शनिवार को है शनिश्चरी अमावस्या

13 मार्च 2021 शनिवार को है शनिश्चरी अमावस्या

क्या करें जप तप दान जो करें शनि ढईया,साढ़े साती का फलदायी निदान,बता रहें है स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी

शनि अमावस्या फाल्गुन अमावस्या 13 मार्च दिन शनिवार 2021
वैसे तो पूर्ण शनि महा अमावस्या तो शनिदेव जी के जन्मदिवस पर ही पड़ती है।पर वर्ष में औरभी महीनों में ऐसे शनि अमावस्या के देवयोग बनते है जो शनिदेव की कृपा के कारक दिवस कहलाते है।ऐसा ही एक देवयोग बन रहा है,13 मार्च 2021 शनिवार को पडने वाली अमावस्या के दिन।
सनातन धर्म में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है और यह शुभ तिथि इस बार 13 मार्च दिन शनिवार को पड़ रही है,यो इस दिन शनैश्चरी अमावस्या का योग बना है।यदि आप शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ा पा रहे हैं तो आप अवश्य ही शनि अमावस्या के दिन शनिमंदिर में जाकर इस विशेष दिन का पूरा लाभ उठाएं। इस अवसर शनिदेव की पूजा करने से आपके पूवजन्मों के पाप कर्मों यानी बुरे कर्मो से बना आपका दूषित शापित भाग्य के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं।

फाल्गुन अमावस्या मुहूर्त है:-.
12 मार्च, 2021 को 15:04:32 बजे से अमावस्या योग आरम्भ है।
ओर 13 मार्च, 2021 को 15:52:49 तक अमावस्या का समापन है।

महाफलदायी शनिदेव कृपा उपाय:-

यो इस समय मे अखण्ड सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
ओर इस महूर्त में अपना शनि लोह छल्ले (ऐसा अपनी नीलम की अंगूठी से भी कर सकते है) एक प्लेट में थोड़ा सा सरसो ले के उस तेल में डाल कर उसके साथ थोड़े काले तिल और काली उड़द की दाल के सबूत या जैसी दाल हो वैसी डालकर छल्ले या अगूंठी को रात भर जलती ज्योत के आगे रखा रहने दें।(यदि आपके पास अखण्ड ज्योत जलाने की व्यवस्था नही है तो सामान्य थोड़ी देर तक जलने वाली ज्योत जलाकर उसके सामने रख दें और ये छोटी ज्योत बुझ भी जाये तो कोई बात नही,प्रातः स्नान कर फिर जला दें)
ओर सुबह स्नान करके पूजाघर में रखी इस प्लेट में रखे छल्ले को देखते हुए अपना शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का कम से कम 108 बार जप जिस माला पर चाहे करें या उंगलियों ओर करें या मन मे बिन संख्या के जबतक मन करें जो करें व फिर गुरु मन्त्र जप भी करें और फिर छल्ले को निकाल कर अपने सीधे हाथ की बीच की उंगली में पहन लें और इस प्लेट के तेल को तिल उड़द के साथ एक दीपक में करके शनि मंदिर में जला आये।यदि पीपल पर जलना हो तो प्रातः साढ़े चार या 5 से साढ़े 6 बजे के बीच ये दीपक जलाए।ओर शनि मंदिर में तो किसी भी समय जाकर ये दीपक जला आये और अधिक से अधिक दान करें।साथ घर से चना हलुवा देसी घी का बनाकर ले जाये और मन्दिर में भक्तो को श्रद्धा से बांट दें।
मन्दिर में शनि चालीसा का एक से लेकर आठ बार पाठ करें।आरती में अवश्य समल्लित हो।
कुत्तों को जलेबी खरीद कर खिलाएं।
अपने घर मे दक्षिण दिशा की ओर अपना मुख करके शनि जप के साथ सरसों के तेल काले तिल उड़द के दानों के साथ आहुति देते यज्ञ करें।फिर यज्ञ के उपरांत वहीं बैठकर ध्यान लगाते अपने जाने अनजाने बुरे कर्मो के लिए क्षमा मांगते प्रार्थना ध्यान करें
गुरु मन्त्र के साथ रेहीक्रियायोग विधि करने से तो शनिदेव सहित सर्व अष्ट ग्रह शुभ हो जाते है।
तो जब भी इस लेख को पढ़े तभी ये बताई क्रिया करें,तो शनिदेव की कृपा लाभ होगा।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
ॐ शं शनैश्चर्य नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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