स्त्रियों को अपनी विभिन्न दुर्व्यवहारों ओर गैंग रेप जैसी मृत्युतुल्य घटनाओं से आत्मरक्षा के लिए केंद्र सरकार द्धारा छोटी रेंज के रिवॉल्वर,पिस्टल हथियारों को बड़े सस्ते दामों पर तुरन्त बनने की प्रक्रिया के अंतर्गत लाइसेंस दिलाये जाए।
आज जहां देखो बलात्कारी द्धारा छोटी बच्ची से लेकर बड़ी लड़की और स्त्रियों के साथ गैंग रेप की विभत्स खबरें आती ही रहती है,सरकार के न्यायिक प्रक्रिया के इन बलात्कारियों को दंड देने में मानवाधिकार नियमो के अंतर्गत चलते हुए,बहुत देर हो जाती है,व सहज सजा सुनाई जाती है,जिससे समाज पर इस दंडनीय प्रवधान का कोई फर्क नही पड़ता है।और स्त्री को गैंग रेप के बाद बुरी तरहाँ प्रताड़ित करके ओर जला कर मार दिया जाता है,इस न्यायिक प्रक्रिया के प्रवधान से स्त्री समाज को कोई भी किसी भी प्रकार न्याय और सुरक्षा नहीं मिलती है और ना ही किसी प्रकार का भावनात्मक सहयोग मिलता है,जिससे स्त्री समाज आज एक निसहाय,निरहि ओर बनकर डरता हुआ जी रहा है,हर रिश्ते से उसका विश्वास उठ गया है,जाने कौन उसके साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार कर बैठे,कोई सगा ही नही लगता है।स्त्रियों को विशेषकर माताओं को अपनी बच्ची लड़कियों को लेकर अधिकतर असुरक्षा से सम्बंधित बुरे सपने ही आते है,ओर उनका ब्लडप्रेशर बढा रहता है,की जाने कब क्या हो जाये,ओर इन गैंग रेप के बाद उनकी जलाकर मार डालने से तो ओर भी असुरक्षा बढ़ती हो जा रही है,सच्च में कानून ओर सरकार के ओर महिला आयोग से तो अंदरूनी तोर पर विश्वास ही उठ गया है,सवाल करते ही कि,क्या इस बारे में आप न्यायिक ओर सरकार और महिला आयोग पर विस्वास करती है,तो तुरन्त सबके मुहं से ना ही निकलती है,की इन पर तो हमारा विश्वास रहा ही नहीं,बस सांत्वना ही मिलती है।
अब क्या किया जाए,क्या डिफेंस आर्ट,जैसे मार्शल आर्ट सीखने से लाभ होगा?तो कुछ कहते है कि,थोड़ा बहुत होगा,पर पर कितनी सीख पाएंगी,मार्शल आर्ट को,ओर कहाँ सीखेंगी?ओर इसका खर्चा कौन करेगा?और लड़के भी तो इसे जानते है,तब वे ही इसे जानकर क्रिमनल नहीं बनते क्या?ओरNcc आदि के ट्रेनिग भी बहुत कम लडकिया अनेक स्कूलों में नहीं होने के कारण सीख नहीं पाती है।ओर सीख भी ली तो,उससे उनके पास ऐसी स्थिति से निपटने को कोई अस्त्र तो होता नहीं,तब क्या फायदा ऐसी किसी भी ट्रेनिग से?ओर इन सब ट्रेनिगों के बाद या वैसे भी बड़ी सख्त कानूनी प्रक्रिया से बनने वाले कम स्तरों पर लाइसेंस ओर महंगे हथियार खरीदने हर स्त्री के बसका नहीं है।
ओर वैसे समाज मे सरकार द्धारा शस्त्र लाइसेंस बनाने का स्त्रियों को भी बढ़ावे के साथ नियम लागू किये है,पर ऐसे नियम के अंतर्गत कितने स्त्रियों के लाइसेंस बनेंगे?एक जिले में लगभग हजार लाइसेंस बनते है और उनमें भी अनेको नियमावली लगी रहती है की,रेप पीड़िता या प्रताड़ित स्त्री को बड़ी कानूनी प्रक्रिया से दिया जाए और अधिकारियों के ट्रांसफर के चलते ओर अधिकतर चुनावो के चलते ओर आधिकारिक मंत्रियों के व्यक्तिगत लोगो मे ही बांटे जाने के चलते,ये सब लायसेंस अधिकतर रुक जाती है,ओर फिर से बनाने का असाध्य कार्य प्रारम्भ होता है,यो इस रुकावट भरी कानूनी प्रक्रिया के बार बार टलते ओर चलते रहने से अधिकतर लोग तो,इस शस्त्र बनाने के प्रक्रिया को बीच मे ही छोड़कर निराश होकर बैठ जाते है,ओर अधिकतर ये आपराधिक या दबंग लोगो को प्राप्त हो जाती है,यो अधिकतर शोषित ओर आवश्यकता वाली स्त्रियों के पास ये लाइसेंस ओर शस्त्र नही पहुँचते है।ये एक अधूरी ही कानूनी प्रक्रिया है,इससे कोई विशेष लाभ नहीं होता है।
तब क्या सरकारी और न्यायिक व्यवस्था के संरक्षण में सटीक और तेजी से प्रभावी सुरक्षा उपाय है?
हाँ, वो है,स्त्रियों को अपनी देंनिक सुरक्षा के लिए,सरकार द्धारा बहुत कम मूल्य पर कम रेंज की पास से आघात करने वाली पिस्तौल ओर रिवोल्वरों को बहुत जल्दी से सहज न्यायिक प्रक्रिया के तहत बनने वाली शस्त्र लाइसेंस को उपलब्ध कराया जाए।ओर केवल जिसके नाम शस्त्र होगा,केवल वही ओर उस घर के कोई बड़ी या छोटी लड़की ही सहयोगी रूप में,उसका उपयोग करने का अधिकार रखेगी,उसके अतिरिक्त किसी भी पुरुष को उसे रखने या चलाने पर कानूनी दंड का नियम होगा।
इससे स्त्री वर्ग में अपने अकेले हो या सामूहिक हो,या वर्किंग कार्य को लेकर रात्रि के समय मे सहजता से ओर निर्भय होकर यात्रा कर सकेगी ओर मानो किसी वजह से वो भी शस्त्र नही ले जा पायी, तो उसकी सहायता को या फिर उस यात्रा में अन्य लड़कियां या अन्य स्त्रियां भी शस्त्र लिए अपनी यात्रा कर रही होंगी,यो ऐसी किसी भी असुरक्षा की यात्रा या घटना के समय अवश्य ही वो शस्त्र वाली स्त्री उसकी सहायता कर सकेगी।
ओर जब समाज मे ये स्त्रियों का शस्त्र रखना और चलना बहु संख्या में सहज हो जाएगा,तब इस प्रकार के क्रिमनल लोगों में भी भय बढ़ेगा और वे इस प्रकार के रेप कांड ओर धमका कर बनाने वाले वीडियो या शोषणों के विषय मे हजार बार अपनी शारारिक हानि को ध्यान में रखकर सोचेगा ओर डरेगा।ओर विभिन्न प्रदेशो में जो सामाजिक स्तर पर फैला आतंकवाद भी बहुत हो कम घटित होगा,उस पर भी नियंत्रण होगा।
हाँ,इस स्त्रियों को हथियार के नियम से परिवारिक स्तर पर कुछ हानियां सम्भव है,जैसे घर मे कोई बच्चा हथियार नहीं चला ले,या परस्पर कलह से हथियार का दुरुपयोग नहीं हो,पर जब हथियार रहता है,तब सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सहज रूप से स्वयं ही बढ़ जाती है और उसे संभालना भी आ जाता है।
यो ये सब बातें स्त्री की व्यक्तिगत सुरक्षा से बढ़कर नहीं है।
यो सरकार को ओर समाज के सुरक्षा संगठनों को स्त्रियों के हित को ध्यान में रखकर अवश्य ही इस महत्त्वपूर्ण बात को एक आंदोलन के रूप में लागू करने में साथ देना चाहिए।
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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