सूर्य ग्रहण 14 दिसम्बर 2020 को जाने राहु का सूर्य पर किस प्रकार से ग्रहण योग बनकर मनुष्यों पर कैसे प्रभाव डालता है

सूर्य ग्रहण 14 दिसम्बर 2020 को जाने राहु का सूर्य पर किस प्रकार से ग्रहण योग बनकर मनुष्यों पर कैसे प्रभाव डालता है

बता रहे है स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी

इस साल 2020 के दिसंबर महीने में अंत मे सूर्य ग्रहण Last Solar Eclipse of 2020 होगा।।इस साल का ये सूर्य ग्रहण लगभग 5 घंटे तक चलेगा।ये सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर की शाम 07 बजकर 03 मिनट पर शुरू होकर और 15 दिसंबर की मध्यरात्रि 12:23 बजे को समाप्त हो जाएगा।
अब जाने इस सूर्य ग्रहण पर राहु का सूर्य पर होने वाले प्रभाव से क्या असर का रहस्य और क्या करें और क्या नहीं करें:-

सूर्य ग्रहण में सूर्य यानी इस ब्रह्मांड की विश्वात्मा सूर्य है और उस पर राहु ग्रह की छाया पड़ती है।राहु मनुष्य जीवन के सभी पूर्व जन्म से लेकर वर्तमान जन्म के सभी प्रकार के क्षेत्र भौतिक और आध्यात्मिक परिवत्नशीलता का प्रतिनितत्व ग्रह है ओर इसी परिवत्नशीलता के चलते ही आगामी जन्म भविष्य में क्या कर्म और उसका फल होगा ये निश्चित होता है।यो ये सूर्य ग्रहण बडे महत्त्वपूर्ण होते है।यो ऐसे में व्यक्ति को सीधे ग्रहण के प्रभाव से बचने को कहा जाता है कि,तुम इस ग्रहण के सीधे परिवर्तनशील प्रभाव से बचो।इसी बचाव को घर से बाहर नहीं निकल कर जप तप में लगो ताकि इस ग्रहण का प्रभाव सबसे पहले आपके सूक्ष्म शरीर मन शरीर पर पड़ेगा और आपके इच्छित विचारों में अचानक बदलाव के कारणों से योजनाएं ओर मानसिकता व व्यवहार बदल सकता है।और जन्मकुंडली में यदि राहु नेगेटिव है तो उसके प्रभाव की मात्रा बढ़ जाने से बहुत हानि हो जाएगी।यो शास्त्र जप तप दान करने को कहते है।
यो राहु सभी आंतरिक विचारधारा का क्रान्तिकारिक प्रभाव को बढ़ाने वाला ग्रह होने और इस दिन सूर्य यानी व्यक्ति की आत्मा और उस व्यक्ति के अर्द्ध भाग पति या पत्नी या बच्चे विषेषकर पुत्र व नोकरी यश को हानि पहुँचाने या उसमे परिवतर्न करने के अपने ग्रहण करने के सूर्य के मंडल को पृथ्वी के ओरा मंडल पर पड़ने वाले विकिरण अदृश्य सूक्ष्म शक्तिपात से प्रकार्तिक रूप से होता है।इसीलिए शास्त्र या ज्ञानी कहते है कि,इस समय किये जप से बुद्धि यानी राहु का क्षेत्र मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।ओर तप से लगातार ध्यान करने और यज्ञ करने से शरीर के सूक्ष्म भाग ओर उसके घर परिवार पर कीटाणुओं का बुरा प्रभाव नही पड़ता है तथा दान करने से धन और उसके खर्चों को की गई प्लाइगों पर तथा उसकी बचत आदि पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
ओर आपके मंत्र के जो अक्षर है उनके संधिकाल यानी अक्षरों के परस्पर जुड़ाव से जो शब्द और स्त्रोत या ऋचाये बनती है उस अक्षर संधि पर ओर मन या वाणी के द्धारा उच्चारण की ध्वनि पर विशेष नकारात्मक या सकारात्मक प्रभाव डालता है।यो जप को धीमे स्पष्ट रूप से करें तो ही ग्रहण में मंत्र सिद्ध होती है।सूर्य ग्रहण में शरीर की सूर्य नाड़ी यानी ऋण शक्ति यानी पिंगला नाडी पर विशेष प्रभाव पड़ता है।यो सूर्य नाड़ी का मूलाधार ओर आज्ञाचक्र के चन्द्र नाड़ी से सन्धिकाल बंध पर विशेष प्रभाव पड़ता है।यो जिस मन्त्र के जितने अक्षर होते है इतनी ही उस मंत्र के बीच मंत्राक्षर संधियां होती है।यो उन्ही मन्त्र का प्रत्येक अक्षर के तीन भाग होते है-1-पुरुष अक्षर-2-स्त्री अक्षर-3-बीज अक्षर यानी ये ही ऐसे त्रिगुण अक्षर के मन्त्र में योग से इंगला पिंगला सुषम्ना मन्त्र कुंडलिनी योग को जानकर सिद्धि मिलती है,अक्षर ओर मन्त्र हमारे शरीर मे गूंजकर ही ब्रह्म शब्द बनकर प्रकाश से प्रत्यक्ष मंत्र का रूप बनते है और उसे प्रकाशित मन्त्र के रूप में ही रस और गन्ध ओर स्पर्श करके पंच मन्त्र शक्तियों का उदय होता है।यही साधक की मंत्रमय देह यानी मन्त्रमयी शरीर प्राप्त होता है।जिसे मन्त्र यानी संकल्पित देह या अमर देह कहते है।यही प्राप्ति से सब मन्त्र की सिद्धि होती है,जैसा मन्त्र वैसी मन्त्र से बनी देह यानी तमगुणी मन्त्र से भौतिक सिद्ध देह ओर रजोगुणी मन्त्र से भक्ति देह ओर सतगुणी मन्त्र से योगी देह की प्राप्ति है।इसी देह की विकृति रूप को भूत पिशाच कर्णपिशाचिनी जिन्न देह कहते है।यही अच्छे रूप में योगी की सुंदर देह होती है।जो लोगो को दिखती है।समझे भक्तो।
यो इसी मन्त्र अक्षर के बीच की संधि की रुकावट को खोलने का समय भी ये सूर्य ग्रहण ही होता है यो इस सूर्य ग्रहण के समय मे अवश्य जप ध्यान यज्ञ करना चाहिए।ऐसे ही चन्द्र ग्रहण में चन्द्र नाड़ी पर प्रभाव पड़ता है।जो अंड सो ब्रह्मांड।जो ब्रह्मांड सो अंड।ये सब रहस्य गुरु से सीखे जाते है।यो ही आजकल के साधक इस रहस्य विद्या को नही जानने पर ही उन्हें मन्त्र सिद्धि मिलनी असम्भव होती है।
यो इस ग्रहण के दिन सभी को बाहर निकले को मना किया है।

सूर्य ग्रहण पर क्या करें:-

1-स्नान आदि करके फिर अखण्ड ज्योत पूजाघर में जलाकर अपने गुरु मन्त्र का या इष्ट का अधिक से अधिक जप ओर रेहीक्रियायोग का अभ्यास करें।
2-मंत्र जप के साथ यज्ञ करें या मंत्र जप के बाद यज्ञ करें।
3-ग्रहण के बाद जो बने अधिक से अधिक दान करे।
4-मौसम के अनुरूप आप लाल रंग या मिलेजुले रंग से बने ऊनी गर्म कम्बल या ओढ़ने की लोई ओर जूते आश्रम साधुओं को या गरीबों को दान करें।
5-गाय या गोशाला में चारा दान करें।
6-अपने जप तप के समय एक कटोरी में गंगा जल में तुलसी के पांच पत्ते डालकर रखे,जप के उपरांत उस जल के छींटे अपने सारे घर में पूजाघर से शुरू करते हुए बाहर के मेन तक छिड़के ओर फिर शेष बचे जल को अपने पीछे की ओर फेंक कर अपने घर मे चले आये।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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