सावन की शिवरात्रि पर रेहि क्रियायोग का विशेष ध्यान लाभ प्राप्ति कैसे करें,,ओर शक्ति ध्यान का विशेष मुहूर्त क्या है,, बता रहे है स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,,

सावन की शिवरात्रि पर रेहि क्रियायोग का विशेष ध्यान लाभ प्राप्ति कैसे करें,,ओर शक्ति ध्यान का विशेष मुहूर्त क्या है,,
बता रहे है स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,,,

सावन की महाशिवरात्रि पर्व पर जो शिव पार्वती विवाह की कथा है,वो असल में मनुष्य के शव यानी शरीर में स्थित ऋण ओर धन,इंगला पिंगला रूपी स्त्री और पुरुष का परस्पर मिलन होना ही उनका विवाह कहलाता है और इस विवाह रूपी सात बार के मिलन यानी सात फेरो-सात चक्रों के जागरण से ओर वैराग्य व प्रेमाराग की सम्मलित मिलन के यज्ञ से,जो सुषम्ना नामक पथ का जागरण होना ही आत्म शक्ति का जागरण का अर्थ है,की ये शव रूपी शरीर मे जो अज्ञान रूपी अंधकार है,उस अज्ञान भृम के महान प्रपंची अंधकार को अपने पंचतत्वों के शोधन से ज्ञान रूपी ज्योत जलाकर आत्मज्ञान की प्राप्ति ही शिवरात्रि महापर्व कहलाता है।ये पंचतत्वों का शोधन ही पंचामृत कहलाता है।यो सावन की महाशिवरात्रि के विशेष शक्ति जागरण के महूर्त यानी समय पर शिव यानी अपने शव रूपी इस शरीर में ई कुंडलिनी शक्ति के जागरण का पंचामृत यानी अपने इस पँचत्तवी शरीर में-पृथ्वी-जल-अग्नि-वायु- आकाश तत्वों का रेहि क्रियायोग से शोधन का प्राकृतिक विशेष महूर्त-19 जुलाई, सूर्योदय के पश्चात् 5:35:24 से दोपहर 2:45 तक है,,
ओर योगशास्त्र ज्ञान के अनुसार शिव पूजा यानी अपनी आत्मशक्ति जागरण के लिए महाशिवरात्रि को इस समय आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन लग्न विशेष रूप से शुभ माना गया है। 

जो प्रातः 5 बजकर 40 मिनट से 8 बजकर 25 मिनट तक सुबह 7:52 तक मिथुन लग्न विशेष शुभ है,ओर 19 बजकर 28 मिनट से 21 बजकर 30 मिनट तक प्रदोषकाल है,वह शुभ है।

तथा सांयकाल 21:30 से 23:33 निषेधकाल है।

ओर महाशिवरात्रि को रात्रि जागरण में साधना का विशेष समय- 23:33 से 24:10 तक शुभ रहेगा।
महाशिवरात्रि का ध्यानयोग व्रत कैसे करें:-
किसी भी व्रत का अर्थ है कि,संकल्प सिद्धि,यानी की आज में इस उद्देश्य यानी मनोकामना के साथ, इतने समय तक और इतनी संख्या में जप करना ओर इतनी देर तक ध्यान आदि करना है और उस पर दृढ़ रहना,इन सबको मिलाकर ही संकल्प करना ही व्रत कहलाता है।
यो सभी रेहीक्रियायोग के दीक्षित य ओर अभ्यासी भक्त महाशिवरात्रि के दिन इस समय महूर्त में अधिक से अधिक देर तक जप ध्यान करना चाहिए।ओर अपनी आत्मउर्जा की जाग्रति का अभ्यास करें और अपना सभी प्रकार से भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति करें।
तभी सच्चे अर्थ में महाशिवरात्रि का व्रत सफल होगा।
शिवतत्व आपके जीवन मे फलीभूत हो,इसी आर्शीर्वाद के साथ,,
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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