विश्व टेलीविजन दिवस कविता इस विश्व टेलीविजन दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसहब जी कहते है कि,,

विश्व टेलीविजन दिवस कविता

इस विश्व टेलीविजन दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसहब जी कहते है कि,,

संयुक्त राष्ट्र महासभा नें 17 दिसंबर 1996 को 21 नवम्बर की तिथि को विश्व टेलीविजन दिवस के रूप घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र नें वर्ष 1996 में 21और 22 नवम्बर को विश्व के प्रथम विश्व टेलीविजन फोरम का आयोजन किया था।इस दिन पूरे विश्व के सभी मीडिया हस्तियों नें संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण में व्यापक रूप से मुलाकात की।इस मुलाक़ात के दौरान टेलीविजन के विश्व पर पड़ने वाले सभी प्रकार के सामाजिक राजनीतिक व्यवसायिक परिवारिक प्रभाव के सन्दर्भ में बहुत विस्तार से चर्चा की गयी थी।इसके साथ ही उन्होंने इस आवश्यक तथ्य पर भी चर्चा की कि विश्व को परिवर्तित करने में इसका क्या विशेष योगदान है। इसी विशेष चर्चा के कारण ये परिणाम निकला था की संयुक्त राष्ट्र महासभा नें 21 नवंबर की तिथि को विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

विश्व टेलीविजन दिवस मनाने का निष्कर्ष क्या है:-

सम्पूर्ण विश्व के जन जन के ऊपर टेलीविजन के प्रभाव को व्यापक रूप से देखते हुए ही इस दिन की महत्ता का प्रभाव ओर बढा है और इसे विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में मनाया जाता है। तब से आज तक टेलीविजन को जनता को प्रभावित करने में एक प्रमुख साधन के रूप में स्वीकार किया गया है।दुनिया की सामाजिक व्यवसायिक परिवारिक राजनीति से लेकर छोटे बड़े सभी अन्य क्षेत्रों के ऊपर इसके प्रभाव और इसकी उपस्थिति को किसी भी रूप में इनकार नहीं किया जा सकता है।तब से लेकर आजतक यह मनोरंजन और ज्ञान का सबसे बड़ा स्रोत बन चुका है।परंतु इसकी साथ में यह भी अध्ययन में आया है कि इसके नकारात्मक प्रभाव भी बहुत बड़े स्तर पर दृष्टिगत हो रहे हैं।टेलीविजन के इस प्रकार के फैलते नकारात्मक प्रभाव को रोकने और विकृत होती मनो ओर सामाजिक संस्कृति पर रोक लगाने के लिए इसके ऊपर कुछ कानूनी प्रतिबन्ध यानी नियम भी आरोपित किये जाने चाहिए।हमें सदा मन में इन शब्दों को बैठा कर रखना चाहिए कि “प्रौद्योगिकी एक विचित्र उपहार है। यह उस कहावत की तरहां है एक हाथ एक सर्वोत्तम उपहार तो दुसरे हाथ मे उसकी पीठ में छूरा भोगने सामान है।यो इस सब को मध्यनजर रखते हुए मेरी ईद दिवस पर एक कविता इस प्रकार से है कि,,
टेलीविजन पर कविता

टी वी गजब खोज दुनियां की
इसके अनेक है नाम।
दूरदर्शन से एलईडी तक
इस पर अद्धभुत दर्शित काम।।
ब्लैक एंड वाइट स्क्रीन शुरू में
बड़ा ओर भारी था रूप।
जमाने संग ये भी रंग बदला
बन होम थियेटर मोबाइल घड़ी अनूप।।
चाहे खबर या फिल्मी दुनियां
नए फैशन या कार्टून।
सभी तरहां के खेल प्रसारित
बीच बता दिन रात का मानसून।।
गुड़ मॉर्निंग से गुड़ नाइट तक
चलता खबर व्यापार।
दुनियां भर के विज्ञापन प्रचारित
नीचे लिखा रहता इनसे नही हमें सरोकार।
बच्चे जवान बूढ़े हर आयु
सबकी पसंद के सीरियल आते।
जो नए रिश्ते अर्थ चरित्र बदलते
प्रेम बीच संदेह भय को बढ़ाते।।
इस टेलीविजन के चलते जीवन से
सारा संसार सिमट गया घर हम।
जो ना देखा और उम्मीद नहीं है
उन देश विदेश जाने संस्क्रति आज हम।।
प्रतियोगिता बढ़ी हर क्षेत्र प्रतिभा
धन पद संग विजय पुरुषकार।
देश सहित संसार भर जाने
जीते करोड़पति बन संग घर कार।।
जो चाहो देख सीखों टीवी
पर बढ़ गयी हम रिश्तों में दूरी।
फुर्सत नहीं परस्पर एक दूजे
घटा मेहमान आतिथ्य महत्व जरूरी।।
थोप रहे आड़ टीवी की ले
ओर आंखे देख दिन रात खराब।
धर्म ज्ञान विज्ञान शिक्षा बदली इस टीवी
बढ़े विज्ञापन सिगरेट ओर शराब।।
वैसे भी इस जगत नियम है
अच्छा बुरा नहीं कोई ज्ञान।
बस लेने वाला क्या ले इससे
यही टीवी देखने वाले रखें संज्ञान।।
आओ आज इस टीवी दिवस पर
जरा सोचें क्या खोया क्या पाया।
भरे जरूर हम ज्ञान कल्पना
खोये रिश्ते जो बन गए आज छाया।।
यो उन्हें समेटे कम टीवी समय कर
ओर जाते वक्त की कीमत जान।
जानो परिवार मित्र रिश्तों की कीमत
टीवी दिवस पर आंकलन कर ये ज्ञान।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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