राहु ग्रह को किन सहज उपायों से करें अनुकूल

राहु ग्रह को किन सहज उपायों से करें अनुकूल

बता रहें हैं स्वामी सत्येन्द्र सत्यसहिब जी

राहु एक छाया ग्रह है यानी इसका सम्बन्ध मनुष्य जीवन के गुप्त या अप्रत्यक्ष कर्मो के प्रभाव को बताता है।ये मनुष्य के मष्तिष्क का कर्मी ग्रह है राहु मनुष्य के समस्त वैचारिक सिद्धांतों के पक्ष विपक्ष को ओर उससे मिलने वाले अच्छे या बुरे परिणाम को दर्शाता है।यो ही राहु को मनुष्य के पूर्वजन्मों के किये और शेष रहे कर्मो और उसके परिणामों का अधिष्ठाता ग्रह कहा गया है।यो राहु ग्रह को जानने का अर्थ है अपने पूर्व जन्मों की इच्छा यानी कर्मो को जानना।यो अपनी मूल नेचर का अध्ययन करना चाहिए।तभी आपको राहु ग्रह का शुभफल प्राप्त होगा।
यदि अपने अपनी मूल आदत व्यवहार को नहीं जाना तो आप राहु के दोषों को कभी सही नहीं के सकते है।
यो राहु के दोषों के बनने के पीछे आपका शारारिक व पारिवारिक ओर आर्थिक सामाजिक आंकलन है उससे सुधारने की बड़ी आवश्यकता है।उसी सुधार के अंतर्गत ही कुछ सामान्य नियम यहां दिए गए है।उनसे आप अपने पूर्वजन्मों के कर्म दोषों को सुधार लाभ पा सकते है।

यो सबसे पहले अपने घर के इन साफ-सुथरा रखें:-

ज्योतिष शास्त्र में राहु को एक शक्तिशाली और क्रूर राक्षस ग्रह माना गया है।ये यह मंगल ग्रह तक को निस्तेज करने में सक्षम माना जाता है, यानि मंगल कर्म का ओर पराक्रम का प्रतीक ग्रह है और राहु उस कर्म के पीछे जो इच्छा है वह है यो बिन इच्छा के कर्म सम्भव नहीं है,तभी योग शास्त्र में तीन प्रमुख तथ्य है-इच्छा यानी विचार प्लानिग-2-क्रिया जिसके दो भाग है-1- कर्म और-2-उस कर्म को करने का सिस्टमैटिक तरीका,ओर फिर है तीसरी अवस्था-ज्ञान यानी जो इच्छा है उसकी प्राप्ति को जो कर्म और क्रिया की गई है,उससे क्या फल प्राप्त हुआ।यही सब मे पहला पक्ष इच्छा का अप्रत्यक्ष भाग ही राहु ग्रह है।यो राहु के अस्थिर होने या दूषित होने के कारण मनुष्य जीवन में सभी प्रकार की अचानक आने वाली घटना और दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं।
अनेक बार आपके अचानक कोई रोग उत्पन्न होता है।अचानक से व्यक्ति को दौरा पड़ जाता है या किसी भी प्रकार मानसिक दबाब से पागलपन या भूत प्रेत दैविक भाव का आवेश होने से जोर से चिल्लाना ज्यादा खाना खाना बड़बड़ाना या चुप या खामोश हो जाने का भी शिकार हो जाता है। लाल किताब के वास्तुशास्त्र ज्ञान के अनुसार राहु की स्थिति आपके घर या आसपास कई स्थानों पर बताई गई हैं।विशेषकर यदि दो जगहों को साफ सुथरा नहीं रखा तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर शुरू हो जाता है। वो दो जगहें कौन सी हैं इसे जाने,और उन्हें किसी तरह साफ सुथरा रख सकते हैं।

1-आपका शौचालय:-

1-घर में शौचालय राहु का प्रमुख स्थान होता है।जब से घर में ही शौचालय रखने की परंपरा की शुरुवात हुई तब से घर के पीछे थोड़ी दूर पर ही शौचालय बनाते थे।परंतु आजकल तो घर के अंदर ही शौचालयों का निर्माण होता है।ये भी राहु से ग्रस्त होने एक बड़ा दोष है।
2-शौचायल अथवा टॉयलेट का गंदा ओर टूटा-फूटा होना राहु के दोष को अपने घर में निमंत्रण देना माना जाता है। यह घर में होने वाले अचानक से रोग और शोक की घटनाओं को बनाता है।
3-ओर यदि जल्दबाजी के निर्णय की गलती से आपका शौचालय ईशान कोण में बन गया है तो फिर यह आपके खुशहाल जीवन में अनेक प्रकार से होने वाली धनहानि,अचानक खर्चो का बढ़ना और परस्पर विवादों का चलते रहने से पूरे दिन रात खासकर मंगल गुरुवार व रविवार को तो अवश्य अशांति का कारण बन जाता है।इस दोष के निवारण के लिए अपने शौचालय के बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र या दोनों ओर दो क्रॉस किये त्रिशूल का चित्र लगा दें। यदि आपके शौचालय में व्यक्ति के बैठने की व्यवस्था दक्षिण या फिर पश्चिम मुखी है तो ये ठीक असर देती है।
4-भारतीय वास्तु शास्त्र में घर के बाथरूम में जल के कारण चंद्रमा ग्रह का वास होता है और टॉयलेट में गंदे पानी यानी मूत्र करने के कारण राहु ग्रह का वास रहता है। यदि आपकी जन्मकुंडली में भी चंद्रमा और राहु एक जगह इकट्ठे होते हैं तो यह एक दूषित ग्रहण योग बनाते हैं। इससे चंद्रमा दूषित हो जाता है। चंद्रमा यानी घर के जल के दूषित होते ही आपके घर मे ओर आपके खाने पीने में कई प्रकार के दोष उत्पन्न होने लगते हैं क्योंकि चंद्रमा मन है और जल का कारक है ओर राहु को छिपा हुआ जहर या प्रदूषण या छिपे कीटाणु माना गया है। जो मन और मस्तिष्‍क को यानी आपकी सोच को खराब करता है। इस चन्द्र व राहु की युति से जल विष युक्त हो जाता है। जिससे मनुष्य गंदे विचारों व दिनचर्या से घिरता हुआ गलत निर्णय लेता है मुसीबतों से घिर जाता है।
5-अपने शौचालय को सदा स्वच्छ, सूखा हुआ और सुगंधित बनाकर रखे।इससे दुर्गंध नहीं रहने पर आपके घर में राहु का दोष नहीं होगा।वैसे भी अक्सर शौचालय के पूर्व या पश्चिम कोने में कर्पूर की एक डली रख दें अथवा रविवार से अगले रविवार तक किसी कांच की बोतल में सबूत नमक की 5 डली भरकर में रख दें ओर रविवार को उसी शौचालय में बहा दें।

2-घर की सीढ़िया:-

2-राहु का आपके घर में दूसरा स्थान सीढ़ियों पर होता है:-

यदि आपके घर की सीढ़ियां टूटी फूटी ओर गंदी रहती है तो उस घर में राहु का सभी प्रकार की होने वाली उन्नतियों पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव होगा।क्योंकि सीढ़ियां घर और व्यक्ति के जीवन में उन्नति का कार्य करती है यो राहु उस व्यक्ति के जीवन में अचानक से बड़ी भारी उथल पुथल मचा देता है।गुप्त शत्रु गुप्त अफवाह अचानक षडयंत्र बनने से संकट खड़े हो जाते हैं।साथ ही व्यक्ति किसी न किसी लिए कर्ज से भी घिर कर उसे उतार नहीं पता है।
2-यो अपने घर में सीढ़ियों को पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की ओर ही बनवाएं।अपने घर में कभी भी उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां न बनवाएं।अब यदि गलत दिशा में बन गयी है तो अपनी सीढ़ियों को प्रतिदिन साफ करके पोछें से स्वछ रखें ओर उसकी सीढ़ियों पर व पास की दीवारों पर अच्छे चित्र लगाएं।तो लाभ होगा।

राहु के बुरे प्रभाव से बचने के ओर अनेक सहज उपाय:-

1-राहु के कुप्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को भोजन जमीन पर बैठ कर रसोईघर में करना चाहिए।
2- प्रत्येक अमावस्या को अपने इष्टदेव के मंदिर में जाकर उन पर गंगाजल मिला जल चढ़ाने से कुंडली का राहु दोष कम होने लगता है।
3- राहु के कुप्रभाव को कम करने के लिए सवा पांच मीटर काले कपड़ा,पाव भर काली उड़द,पाव भर काले तिल व गर्मियों में काला छाता या काली टोपी जाड़ों में काला कम्बल या शॉल का दान अवश्य करें।
4- हर रविवार को भैरो देव को जल चढ़ाने से भी राहु का अशुभ प्रभाव कम होता है।
5- प्रतिदिन जब दिन में राहुकाल का समय हो,तब अपने पूजाघर में काले हकीक की माला या चार मुखी या पंच मुखी रुद्राक्ष की माला पर “ऊँ रां राहुवे नम:” मंत्र का 108 बार जप करने पर शीघ्र ही राहु का अशुभ दोष बहुत कम हो जाता है।
6- नहाने के जल पानी में शुद्ध सफेद चंदन का इत्र डालकर स्नान करने से राहु शुभ असर देने लगता है।
7-लड़की या लड़के के रिश्ते या फिर विवाह के होने में या विवाहित जीवन मे बांधा आती हो।
1- तो सबसे पहले काले कपड़े पहनना बन्द कर दे और लाल भी।मिश्रित रंग के कपड़ें पहने।

2-अपने सोने की दिशा भी बदल दें।उत्तर को सिर दक्षिण को पैरकर लें।
3-गले में चांदी की चेन या हाथ में चांदी का ब्रेसलैट पहने ओर जेब मे चांदी का चौकोर ओर थोड़ा वजनी टुकड़ा रखें।
4-पूर्णमासी का व्रत रखें।
5-दिन में यज्ञ या पूजा या जप बिल्कुल नहीं करें।बल्कि प्रातः ही सूर्य निकले से पहले अंधेरे ही पूजा कर ले और शाम को अंधेरा होने पर पूजा करें तथा ग्रहणों के समय अंगारी जलाकर ही मन्त्र जप करते आहुति दें।रात्रि में अनुष्ठान करना बहुत लाभदायक रहेगा।और सभी सुखदायी मंगल विवाह व कार्यसिद्धि होगी।

8-रेहीक्रियायोग विधि तो सर्वश्रेष्ठ है,सभी ग्रहदोष निवारण के लिए।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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