मछली की अंगूठी सब राशियों को ओर सबकी समस्या के अनुरूप असाधारण कैसे लाभ देगी..बता रहे है,स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी..
प्रत्येक मनुष्य यानी स्त्री और पुरुष को जीवन मे मुख्यतौर पर 7 समस्याएं यानी आवश्यकता मुख्य होती है-
जिनमें पहली 5 आवश्यकता भौतिक है और एक अंतिम आध्यात्मिक स्तर पर होती है।
1-शिक्षा और दीक्षा की प्राप्ति।
2-नोकरी व व्यवसाय यानी आय का अस्थायी व स्थायी साधन की प्राप्ति।
3-प्रेम और विवाह की प्राप्ति।
4-संतान ओर उत्तम सन्तान की प्राप्ति।
5-स्वास्थ व रोग से मुक्ति।
6-धार्मिक उन्नति से उच्चता की प्राप्ति।
7-मोक्ष की प्राप्ति।
यो स्त्री हो या पुरुष उसका नाम कुछ भी यानी ज्योतिषी नाम कुछ भी अक्षर से हो,उनकी ये मूल आवश्यकता एक सी ही होने से उनका सर्वश्रष्ठ उपाय है-चांदी की मछली की का इन आवश्यकता की प्रमुखता के अनुसार अपनी पांचों में से केवल दो-तर्जनी व कनिष्ठा उंगलियों में शुभ महूर्त में प्राणप्रतिष्ठा कर्जे धारण करना।
1-तर्जनी उंगली में क्यो पहने अंगूठी:-
मछली की अंगूठी को स्त्री हो या पुरुष केवल तर्जनी यानी ब्रहस्पति की उंगली में पहने ओर दूसरे नम्बर पर कनिष्ठा यानी कंग की उंगली में पहने।
सभी देवता और देवी आदि से लेकर मनुष्य तक के भौतिक और आध्यात्मिक गुरु होते है,ब्रह्स्पतिदेव ओर इनकी उंगली है तर्जनी, यो संसार की सभी 5 आवश्यकताएं केवल गुरु ब्रहस्पति ग्रह के अधीन है,यो इस उंगली में गुरुवार के दिन प्रातः या दोपहर के बाद केवल 3 बजे पंचाम्रत से अपने गुरु मंत्र के जप से स्नान कराकर पहने ओर पंचाम्रत को फूल वाले पौधे में अपनी मनोकामना कहते चढ़ा दें
ओर प्रत्येक महीने की पूर्णमासी को भी अपनी मछली की अंगूठी को पंचाम्रत से स्नान कराते हुए गुरु मंत्र जपते हुए,फिर से पहने तो चंद्रमा की 16 कला शक्ति का अद्धभुत प्रभाव आपकी अंगूठी में आकर आपको मनवांछित लाभ देगा।और पंचाम्रत को फूल वाले पौधे ओर मनोकामना कहते हुए चढा दें।ऐसे ही 12 पूर्णमासी करेंगे,तो कल्याण होगा।
चांदी का चंद्रमा से ओर मन से ओर जल से बड़ा गहरा प्रभावी सम्बन्ध है और मछली तो मत्स्यवातार का मछली स्वरूप है,यो इनसे तो मनुष्य के शरीर मे सर्वाधिक तत्व है-जल,उस पर उत्तम सन्तुलित प्रभाव डालकर पूरा लाभ देती ओर मिलता है।
कनिष्ठा उंगली में पहने अंगूठी:-
दूसरे नम्बर पर चांदी की मछली की अंगूठी को आप कनिष्ठा उंगली यानी कंग की उंगली में बुधवार को प्रातः 5 बजे या साय को 5 बजे पंचाम्रत से स्नान कराकर अपने गुरु मंत्र या इष्ट मन्त्र से जप कर शुद्ध करके पहने।(ओर ऊपर बताये 12 पूर्णिमासी उतारकर प्राणप्रतिष्ठा करके पहने तो अति लाभ होगा
बुध देव कंग की उंगली के ग्रह बुध पर्वत के इष्ट देव है,ओर इनकी शक्तियां है-बुद्धि और विवेक ज्ञान और समस्त 52 वर्णाक्षर व भाषा और वाणी और विचार,यो संसार मे बुद्धि और विवेक बल बिना सब व्यर्थ है,बुद्धि और विवेक व वाणी से ही समस्त कर्म करने की सामर्थ्य प्राप्त होती है,तब कर्म को (यानी मंगल) सही दिशा और कर्म का फल (यानी-भाग्य-शनि) की प्राप्ति होती है।यो ही श्री कृष्ण ने कंग की उंगली में सूर्यदर्शन चक्र ओर गोवर्धन यानी संकल्प उठाया था,ओर बुधदेव स्वयं ब्रहस्पतिदेव की पत्नी तारा ओर चंद्रमा के पुत्र है,यो इन दोनों गुरु व चन्द्र की शक्ति और तारा मंडल शक्ति की संयुक्त शक्ति इन्हें प्राप्त होने से,जो भी चंद्र की धातु चांदी ओर सत्यनारायण भगवान के क्रिया शक्ति अवतार विष्णु जी के मछली अवतार की अंगूठी कंग की उंगली में पहनता है,उसे बुद्धि और विवेक और वाणी,सभी देशी विदेशी भाषा ओर उनके समुदायों से लाभ प्राप्त होता है,ओर पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है,गुरु चन्द्र व बुध के शुभ योग का पूरा लाभ मिलता है,ओर प्राइवेट व्यवसाय,सट्टा लाटरी,प्राइवेट नोकरी व कार्य व वकालत,सीए,सभी प्रकार के सरकारी क्लर्क या गैरसरकारी एकाउंटेंट,रिसेप्शनिस्ट,न्यायधीश पदाधिकारी,पीसीएस आदि व धन के समस्त आय के स्रोतों से पूरा लाभ मिलता है,बुध दिव्य प्रेम आइडियल लव की प्राप्ति व खोए प्रेम की पुनः प्राप्ति कराता है,यो ब्रहस्पति की तर्जनी उंगली के बाद सबसे उत्तम उंगली है,कंग की उंगली में मछली की अंगूठी पहनना।नर्वस सिस्टम के सारे रोग व जनेन्द्रिय में स्थिलता व ब्रह्मचर्य पर बुधदेव का अधिकार है और स्वाधिष्ठान चक्र में जल तत्व का वास व प्रथम अहंकार यानी भौतिक जगत का वास है,यो जल और भौतिकता पर मछली जो मन का प्रतीक भी है और कुंडलिनी शक्ति का पंचकार साधना में मछली के उपयोग का गम्भीर रहस्य है,अर्थात मछली के रूप में सुषम्ना नाड़ी में प्राणों के रूप में प्रवेश करने का अर्थ कहा है।जल परियों से मनुष्य का ऐतिहासिक किवदन्तियी के रूप में सम्बन्ध है,यो अनेक कारणों से मछली की अंगूठी पहना लाभदायक है।
यो इस प्रकार से सभी राशि वाले मछली की अंगूठी पहन सकते है।
मछली की अंगूठी को किस ओर से पहने:-
मछली का मुख उंगली में नाखून की ओर यानी बाहर की ओर हो,ताकि मछली रूपी उपाय आपकी ओर आने वाली समस्त बाँधाओ का भक्षण करती है और सकारात्मक ऊर्जा बनाकर अपने शरीर से आपकी ओर प्रवाहित करती हुई आपके भविष्य फल को देती हुई निरन्तर जीवन रूपी भवसागर में आगे की ओर तैरती हुई तीर्व गति से चलती है,ऐसा कछुवा मंदी गति से भाग्य बढ़ाता है,जबकि मछली तीर्व गति से भाग्य बढ़ाती है,यो अंगूठी पहने में मछली का मुख बाहर को रखे ओर पूंछ अपनी ओर रखे।
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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