!!नियत संग बरक्कत!!
नियत केसी होने पर व्यक्ति को क्या हानियां होती है,इस विषय नियत के अर्थ के साथ पर अपनी कविता के माध्यम से जनसंदेश देते कहते है कि,,
नियत को भावना कहते
इच्छा मंशा लालसा उद्धेश्य।
यो जैसी रही भावना जिसकी
उसे वैसी मिले तक़दीर बन भेष।।
दान की नियत कपट भरी हो
वैसा ही मिलता धन संग मान।
नियत ही सब कारज पीछे
जैसी नियत वैसी बरक्कत जान।।
तप के पीछे नियत खोटी
सिद्धि मिले पर छोटी मोटी।
वक्त जरूरत धोखा देगी
नियत खोटी मुक़द्दर बन लौटी।।
सेवा करते बुरी हैं नियत
नियत का फल मिलता खट्टा।
सेवा का फल मिले जरूर
पर अंत में लगे इज्जत पे बट्टा।।
गुरु भक्ति में नियत कपटी
समझों भाग्य की गाड़ी रपटी।
गुरु नियम तोड़ मनचाहा करते
समझों देर सवेर विपदा तुम झपटी।।
प्यार करो और नियत है भोगी
प्यार की यारी न पूरी होगी।
जैसी नियत वैसा ही प्यार
प्यार बीच राह हो वियोगी।।
दूजे वस्तु बुरी नियत रखनी
पर नारी बुरी नियत करना।
नियत लालच भरा हो मन
उस कभी सफल जीवन नहीं तरना।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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