तीन पॉइंट में जाग्रत करें सच्ची रहस्यमयी कुंडलिनी,,, बता रहे है,,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,

तीन पॉइंट में जाग्रत करें सच्ची रहस्यमयी कुंडलिनी,,,
बता रहे है,,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,

आखिर क्यों नही जग पाती है,क्षण भर में आज के समय मे हमारी कुंडलिनी?जबकि पहले ओर बाद के कालों में कई महासिद्धो ने किसी भी शिष्य को केवल तीन बार शरीर के किसी गुप्त भाग के बिंदुओं को छुआ भर ही था कि,हो गयी उनकी कुंडलिनी जाग्रत,,आखिर वो गुप्त शक्ति बिंदु क्या है,जो ओर किसी को पता नही,तो,,भक्तों यही ज्ञान का विषय आज यहां संछिप्त में प्रकट कर रहा हूँ,,
अपने सम्पूर्ण विष भर में प्रचलित मनुष्य शरीर मे विभिन्न अंगों के प्रेशर पॉइंटों को दबाने से रोगों की चिकित्सा के विषय मे पढा ओर बहुतों ने इस चिकित्सा को कराया भी होगा,व लाभ भी पाया होगा,ये एक्यूप्रेशर पद्धति कहलाता है,ओर ऐसी ही एक ओर विधि है,एक्यूपंचर विधि,उसमें इन्ही शरीर के पॉइंटों पर एक विशेष आकर की सुइयों को चुभाकर,फिर उन्हें कुछ देर वहीं गाढ़े रखने से,वहां की बन्द नसों को खोला जाता है,ताकि शरीर मे बहने वाली प्राण ऊर्जा सहज रूप से आगे या अपने स्थान पर प्रवाहित होती शरीर को स्वस्थता देती रहे,ये बहुत प्राचीन चिकित्सा विधि है,जो चीन में प्रचलित होकर,विश्व भर में फैली है,पर ये भारत के महायोगियों की देन है,जो हिमालय से फैलकर अन्य देशों में पहुँची, महायोगियों को इस विद्या के प्रारंभिक मूल पावर पॉइंटों का आध्यात्मिक शक्ति जाग्रति को ज्ञान था और है।वे अपनी ही प्राण ऊर्जा को अपनी उंगलियों व अंगूठे की सहायता से अपने शिष्य के शरीर के बाहरी भाग के तीन-तम-रज-सतगुण पॉइंटों को दबाकर अपनी शक्ति प्रवाहित करते देते,ओर इससे शिष्य के स्थूल यानी बाहरी शरीर से ऊर्जा बहती हुई,सूक्ष्म शरीर मे,फिर ओर अंदर,विज्ञानमय शरीर मे प्रवाहित होती,शिष्य की मूल कुंडलीनी शक्ति को जाग्रत करती।अब जो ये प्रेशर पॉइंटों का चिकित्सा विज्ञान संसार मे फैला है,वो केवल बाहरी स्तर का है,ओर आंतरिक स्तर का विज्ञान के वे मूल तीन पॉइंट गुप्त रखे गए,यो वही यहां बता रहा हूँ कि,,

सभी मनुष्य के इस स्थूल भौतिक शरीर मे वैसे तो लगभग 2000 पावर पॉइंट है,जिनमे 9 पॉइंट विशेष पावर पॉइंट है,जिनमें से 3 पॉइंट ओर भी सुपर पावर पॉइंट है,ओर 3 पॉइंट ब्लास्टर पावर पॉइंट है,,जो आज की दुनियां में सदियों से बिलकुल ही गुप्त ओर लुप्त है।
इसे ही महायोगी गुप्त ज्ञान कहते है।अब प्रश्न यह बनता है की, हर किसी को तो ये महायोगी मिलने से रहे,तो वही शक्ति ज्ञान ओर शक्ति बिंदु कहां है,वो शक्ति पॉइंट यानी शक्ति बिंदु का ज्ञान क्या है और कैसे करें, स्वयं ही उसका नियमित समय पर कुछ देर का अभ्यास,,तो मुझे ये सब गहन रहस्यमयी ध्यान योग विषय के बारे में,समय समय पर अपनी योग ध्यान समाधि में अनुभव के साथ दर्शन होते रहे है,उन्हें मैं अपनी डायरी में लिखता रहा हूँ,चूंकि ये सब कहीं न कहीं मैं पिछले सिद्ध जन्मों में करता रहा हूँ,यो ये सब मुझे अपनी आत्मा में दर्शित होते है,तभी तो वेदों का महावाक्य है कि,केवल अपनी आत्मा का ही ध्यान करो,यानी जो तुम हो,उसी अपनी साकार उपस्थिति का वहीं बैठकर या लेटकर ध्यान करो,,
तो भक्तो,आज मैं,उन्ही शक्ति पॉइंटों का एक संछिप्त ज्ञान में यहां प्रकट कर रहा हु,क्योकि ये योग विषय बहुत विशाल होता है,जो बहुत बड़े स्तर पर न ज्यादा लिखा ओर न ज्यादा कहा जा सकता है,वो केवल गुरु संगत व गुरु की सेवा कृपा से जाने कब,प्राप्त होता है,यो वही गुरु कृपा करते कुछ महाज्ञान को उल्लेखित करता हु की,,

वो तीन महाशक्ति पॉइंट का हमारे इस भौतिक स्थूल प्रत्यक्ष शरीर मे एक एक करके, तीन क्रम में इस प्रकार से है,की-

जिसे यहां मेरे कहे को यहां मेरे द्धारा दिए चित्र में भी समझते चले,,की,,

1-पहला महाशक्ति पॉइंट,आपकी गुप्तांग यानी जनेन्द्रिय के दोनों ओर दोनों जांघों के बीच मैं होता है, ओर ठीक यही दोनों शक्ति पॉइंट आपके नितम्ब यानी हिप्स में बैठने के स्थान वाले गड्ढे में भी होते है।इसका सीधा प्रभाव आपके मूलाधार चक्र पर होता है,
2-दूसरा महाशक्ति पॉइंट आपकी गर्दन से नीचे की हड्डी,जिसे हसली कहते है,जहां से दोनों हाथों और फेफड़े का जुड़ाव होता है,वहां होता है,इन दोनों महाशक्ति पॉइंट का सीधा का सीधा प्रभाव आपके सीधे भाग में गुप्त रूप से ओर सूक्ष्म शरीर में होता है,इसे ही आध्यात्मिक ह्रदय कहते है,यो इन पॉइंटों का सीधा सम्बन्ध आपके इस आध्यत्मिक ह्रदय चक्र पर होता है।
3-तीसरा ओर अंतिम महाशक्ति पॉइंट,जो आपकी कनपटी के दोनों ओर जहां आपकी कनोती होती है,उस स्थान से मस्तिष्क के अंदर की ओर स्थित पीयूष ग्रन्थि पर सीधा का सीधा प्रभाव होता है।
अब कैसे करें,इन महाशक्ति पॉइंटों की सहज दबाब देते हुए कुंडलिनी जाग्रति की साधना:-

तो सबसे पहले सहज कपड़ों में पलोथि मार कर सीधे बैठ जाये और अब अपनी दोनों जांघ के अंदर इन दोनों शक्ति पॉइंट को अपने दोनों हाथ की पहली और मध्यमा उंगली के अग्र भाग पुरुवों से पांच पांच बार गहराई से पांच पांच सेकंड को दबाए ओर छोड़े,,आप देखेंगे कि,ऐसा करते में आपकी जांघो के अंदर इन पॉइंटों पर दर्द होगा,क्योकि वे पॉइंट दबाने से खुलते है,वहां से आपकी ऊर्जा आगे की ओर बढ़ती है,तो फिर जो दबाने से दर्द का अहसास हो,उसका ध्यान अपने मूलाधार चक्र में इकट्ठा अनुभव करते करें,
अब अगले दूसरे महाशक्ति पॉइंटों की ठीक ऐसे ही दबाने की साधना करनी है,यहां उंगलियों से दबाना नहीं है,यहां हाथ के अंगूठे से दबाना है,तो,अब अपने दोनों कंधे व हसली के दोनों शक्ति पॉइंटों को भी अपने दोनों हाथों के अगुठों से इतने समय ही दबाए ओर फिर रुक कर कुछ देर इस दर्द को लेकर अपने सीधे भाग के फेफड़े की ओर ध्यान करें,जहां आध्यात्मिक ह्रदय चक्र है।
अब ठीक ऐसे ही,तीसरे व अंतिम महाशक्ति को अंगूठे से दबाने का अभ्यास करना है,तो ऐसे ही अपनी दोनों कनपटियों के कनोती वाले स्थान,जो कान के आगे की ओर होते है,वहां इन दोनों ओर के शक्ति पॉइंटों को अंगूठों से इतने ही समय दबाए ओर अपने सिर के अंदर स्थित पीयूष ग्रन्थि को स्मरण कर ध्यान करे।

अब ये सब महाशक्ति जागरण का अभ्यास कितनी देर करें:-

अब ये सब ध्यान प्रातः शौच आदि से निवर्त होकर खाली पेट ही किया करे।
ओर समय मिले तो,दोपहर को भी करें।शाम को भी शौच से निर्वत हो कर करे।व रात्रि को भोजन करके कम से कम दो घँटे बाद बैठ कर ही करे।
यहां इन पॉइंटों को दबा कर जो ध्यान करना बताया है,वो ध्यान करने का मतलब है-रेहीक्रियायोग करना।
तो भक्तो यदि आप ओर भी शीघ्र जाग्रति के लिए,इस सब शक्ति पॉइंटों के दिए गए ज्ञान के साथ साथ रेहीक्रियायोग करते रहोगे तो,तुम बहुत शीघ्र ही सूक्ष्म शरीर से मनोमय शरीर में और फिर विज्ञानमय शरीर में प्रवेश कर जाओगे,तब खेल शुरू होगा,मनचाहा,,

तो करो,इसे बार बार समझ कर रेहीक्रियायोग के साथ नित्य अभ्यास साधना ओर जो यहां शेष रह गया है,उसे कभी फिर,इससे आगे के योग रहस्य सत्संग में कहूंगा हूँ।
आशीर्वाद के साथ,,

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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