प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ – 24 मार्च मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से,
प्रतिपदा तिथि का समापन – 25 मार्च मंगलवार को शाम 5 बजकर 26 मिनट पर,
घटस्थापना का मुहूर्त – 25 मार्च को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक।
चैत्र नवरात्र तिथि:-
पहला नवरात्र- प्रथमा तिथि, 25 मार्च 2020, दिन बुधवार।
-इस दिन रेहि क्रियायोग करके फिर अपने मूलाधार चक्र का ध्यान करें।तो मूलाधार चक्र की शक्ति जागृत होती है,काम वासना शुद्ध ओर चैतन्य होकर ऊपर उठती हुई यहां के मुख्य धर्म,,अर्थ,काम,धर्म और मोक्ष यानी ब्रह्मचर्य,ग्रहस्थ,वानप्रस्थ, सन्यास का सच्चा अर्थ और रहस्य और उसे साधने की शक्ति प्राप्त होती है।यहीं शुक्र ग्रह का शोधन होकर भौतिक संसार के ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है,तथा यहीं पूर्णिमा की दो कला शक्तियां,पहली अरुणी ओर दूसरी यज्ञई दर्शन व शक्ति प्राप्त होती है।
दूसरा नवरात्र- द्वितीया तिथि 26 मार्च 2020, दिन बृहस्पतिवार।
इस दिन रेहि क्रियायोग करके फिर अपने स्वाधिष्ठान चक्र का ध्यान करें।तो स्वाधिष्ठान चक्र की शक्ति जागृत होती है,इससे मनुष्य में अहंकार की शुद्धि होकर प्रेम और जीवन के अन्य दायित्वों की पूर्ति को सहज समझ,विवेक की शक्ति प्राप्त होती है।ठीक यहीं शनि ग्रह यानी भाग्य शक्ति की शुद्धि व प्राप्ति होती है,व पूर्णिमा की तीसरी ओर चौथी कला शक्तियों यानी तरुणी ओर उरुवा शक्तियों के दर्शन व शक्ति की प्राप्ति होती है।
तीसरा नवरात्रा- तृतीया तिथि, 27 मार्च 2020, दिन शुक्रवार।
-इस दिन रेहि क्रियायोग करके फिर अपने नाभि चक्र का ध्यान करें।तो नाभि चक्र की शक्ति जागृत होती है,इससे साधक में अपने शरीर रूपी ब्रह्मांड का दर्शन और संसार से उसके सम्बन्धों का ज्ञान होकर सबके प्रति अपनापन का यानी शुद्ध भक्ति उदय होता है।ठीक यहीं मंगल ग्रह यानी कर्म शक्ति की शुद्धि होकर शुद्ध कर्म की प्राप्ति होती है और पूर्णिमा की दो कला पांचवी ओर छटी शक्तियां, मनीषा व सिद्धा के दर्शन व सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।
चौथा नवरात्र- चतुर्थी तिथि, 28 मार्च 2020, दिन शनिवार।
इस दिन रेहि क्रियायोग करके फिर अपने ह्रदय चक्र का ध्यान करें।तो ह्रदय चक्र की शक्ति जागृत होती है,इससे साधक में अपने मन्त्र ओर उद्धेश्य ओर उसके इष्ट या ज्ञान गुरु रूप के दर्शन के साथ वार्ता यानी अन्तर्वाणी अन्तर्द्रष्टि का विकास होता है।ठीक यहीं गुरु ग्रह यानी समस्त भाव और आध्यात्मिक विषय के रूप दर्शन वार्ता, नवधा भक्ति आदि की उत्पत्ति आदि का ज्ञान और पूर्णिमा की सातवीं व आठवीं कला,इतिमा ओर दानेशी के दर्शन और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।
पांचवां नवरात्र- पंचमी तिथि , 29 मार्च 2020, दिन रविवार।
इस दिन रेहि क्रियायोग करके फिर अपने कंठ चक्र का ध्यान करें।तो कंठ चक्र की शक्ति जागृत होती है,इससे उसे सभी शब्दो का सच्चा अर्थ ओर उसका सही से भाषा में उपयोग करने का विशेष गुण प्राप्त होता है,जिससे वो कभी कटु वाक्य यानी विष ओर शाप के शब्दों का उपयोग नहीं करके,केवल शुभ संकल्पों से भरे आशीर्वाद वचनों को ही गले से निकालता या कहता है।ठीक यहीं बुध ग्रह की शुद्धि व वाणी की शक्ति ओर पूर्णिमा की दो कला,धरणी ओर अज्ञेयी के दर्शन व सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।
छठा नवरात्रा- षष्ठी तिथि, 30 मार्च 2020, दिन सोमवार।
-इस दिन रेहि क्रियायोग करके फिर अपने आज्ञा चक्र का ध्यान करें।तो आज्ञा चक्र की शक्ति जागृत होती है,इससे साधक के अंदर जितना भी द्धेत यानी अन्य भी है,ये भेद का भाव समाप्त होकर,उसके मन की दोनों शक्तियां एक होकर शुक्र के तारे जैसे स्थिर ओर एक ज्योतिर्मयी तेजस्वी शक्ति के दर्शन होने से,वही एकाग्रता की प्राप्ति होती है,जिससे एक वचन की सिद्धि होती है,जो कहता है,वही एक वचन होकर सिद्ध फलीभूत होता है।सूक्ष्म शरीर की प्राप्ति होकर विश्व रूप के दर्शन होते है।ठीक यहीं चन्द्र ग्रह यानी मन की दो धाराएं सांसारिक भौतिक व आध्यात्मिक शक्तियों की समांतर एक शक्ति के दर्शन और अधिकार की प्राप्ति होती है,मन यहीं पर अपना लय करता है,यो यही आत्मशक्ति पूर्णिमा की दो कलाएं यशेषि ओर एकली के दर्शन और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।
सातवां नवरात्र- सप्तमी तिथि , 31 मार्च 2020, दिन मंगलवार।
-इस दिन रेहि क्रियायोग करके फिर अपने गुरु चक्र का ध्यान करें।तो गुरु चक्र की शक्ति जागृत होती है,इससे साधक नहीं रहकर सिद्ध होता है,यानी शिष्य से वो अब गुरु यानी ज्ञान रूप और शक्ति को प्राप्त होता है।ठीक यही सूर्य ग्रह यानी आत्मा की तीन शक्तियों में से एक सविता के ओर आत्मशक्ति पूर्णिमा की एक शक्ति नवेषी के दर्शन और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।
आठवां नवरात्रा- अष्टमी तिथि, 1 अप्रैल 2020, दिन बुधवार।
-इस दिन रेहि क्रियायोग करके फिर अपने सिर के सारे बाहरी कपाल वृत चक्र का ध्यान करें।तो कपाल चक्र की शक्ति जागृत होती है,इससे समस्त पूर्वजन्म का ज्ञान होता है,जिसका ग्रह राहु है,की क्यो इस जन्म को लेकर किस शेष इच्छा यानी मोटिव के कारण जन्म हुआ और वो कैसे व कब पूरा होगा,ये महाज्ञान होता है,इसके ज्ञान से व्यक्ति निर्भय होकर अपने उद्धेश्य की पूर्ति में अपनी समस्त शक्तियों को लगाकर कार्य करता है।ठीक यहीं सूर्य ग्रह यानी आत्मा की तीन शक्तियों में से दूसरी सावित्री ओर आत्म शक्ति पूर्णिमा की मद्यई के दर्शन और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।
नौवां नवरात्र- नवमी तिथि 2 अप्रैल, 2020 दिन बृहस्पतिवार।
-इस दिन रेहीक्रिया योग करके फिर अपने सम्पूर्ण शरीर का ध्यान करें,इसे ब्रह्ममण्डल चक्र कहते है,इसमें केतु ग्रह यानी वर्तमान जन्म और भविष्य जन्म का ज्ञान प्राप्त होता है।और स्वयं के ज्योतिर्मयी आत्मस्वरूप के सच्चे दर्शन और उसने स्थिरता की प्राप्ति होती है यानी मोक्ष की प्राप्ति होती है,यानी मैं अक्षय हूं,,का साक्षात्कार होता है।ठीक यही सूर्य यानी आत्मा की तीसरी शक्ति गायत्री ओर आत्मशक्ति पूर्णिमा की अंतिम कला हंसी के दर्शन और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।साथ ही सम्पूर्ण आत्मा यानी सूर्य और सम्पूर्ण आत्मशक्ति पूर्णिमा के दर्शन और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है,जिसे आत्मसाक्षातकार ओर उसका आत्म घोष अहम सत्यास्मि कहते है।
कैसे करें:-अपनी साधना के नवधा भक्ति के 9 संकल्प के प्रतीक में घी या तिल के तेल या सरसो के तेल की अखण्ड ज्योत अपने पूजाघर या साधना कक्ष में जलाएं ओर प्रतिदिन अपने ही आत्म स्वरूप की षोडशी यानी सोलहकला पूर्णिमा की मूर्ति स्वरूप को खीर का प्रातः ओर साय भोग लगाकर स्वयं प्रसाद में ग्रहण करें।।ओर,,
सिद्धासिद्ध महामंत्र- सत्य ॐ सिद्धायै नमः ईं फट स्वाहा से
ओर षोडशी महामंत्र,,
ॐ अरुणी, यज्ञई, तरुणी,उरुवा,मनीषा,सिद्धा, इतिमा,दानेशी, धरणी, आज्ञेयी, यशेषी, एकली,नवेषी,मद्यई,हंसी, सत्यई पूर्णिमांयै नमः ईं फट स्वाहा
से प्रातः ओर साय जप ओर यज्ञ करें ओर इसी बताये गए तरीके से रेहि क्रियायोग से अधिक से अधिक समय लगाते हुए ध्यान करें ओर नवरात्रि के अंतिम दिन समापन के उपरांत अपनी यज्ञ भभूति को बहते नदी जल में प्रवाहित कर दें।और फिर अपनी साधना नियमित समय पर ओर पूर्णमासी को करते रहे।
ओर सभी भक्तजन इन नवरात्रि के 9 दिवसों पर अपना आत्मलक्ष्य की प्राप्ति करो,इस आशीर्वाद के साथ,,
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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