गर्भासन की सही विधि से स्वास्थ्यलाभ कैसे प्राप्त करें जाने,, बता रहें है महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,

गर्भासन की सही विधि से स्वास्थ्यलाभ कैसे प्राप्त करें जाने,,

बता रहें है महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,

गर्भासन का मतलब क्या है?

गर्भ का सीधा सा अर्थ होता है कोख। इस आसन में व्यक्ति के शरीर की मुद्रा गर्भ में शिशु के समान होती है, अतः इस आसन को “गर्भासन” कहते हैं।पर मुख्यतौर पर आप देखेंगे कि,बच्चा गर्भा में केवल घुटने पेट की ओर मोड हुए हाथों को भी मोड़कर आगे की ओर को समाधि सी अवस्था मे रहता है,वो इस पद्धमासन मुद्रा में नहीं होता है,फिर ये पद्धमासन का उपयोग कैसे आया?
ये बस इस योगासन मुद्रा का नामकरण किया गया है। यह आसन स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभकारी है मुख्यतया ये स्त्रियों के लिए बहुत उपयोगी इर महत्वपूर्ण है। गर्भासन स्त्रियों के शरीर में आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाने ओर उसे कंट्रोल करने में मदद करता है।

गर्भासन करने की सहज विधि:-

अपने योग मेट पर बैठकर अपने चल रहे स्वर को जांचकर फिर अपनी दोनों टांगों को सामने की ओर फैला लें।जो स्वर चल रहा हो,उसी ओर को सबसे पहले दूसरे पैर की जांघ पर ऊपर रखकर अब पद्मासन की मुद्रा में आयें।
इसके बाद कुक्कुटासन की भांति ही इस पद्धमासन में मुड़ी दोनों पैरों की पिंडलियों के बीच से दोनों हाथों को निकालें। धीरे-धीरे कुहनियों तक को पद्धमासन के अन्दर तक करें और अब जांघों को मोड़कर अपने पेट की ओर ऊपर को दोनों हाथों से खींच कर करें।
जब दोनों कोहनियां जांघों से बाहर को अच्छी तरहां से निकल जायें,तब अपने दोनों हाथों को अपने दोनों गालों पर रखकर चित्रानुसार नितम्बो पर बैठ जायें और सहज स्वाभाविक रूप से जितना बने उतनी सांस लेते ओर छोड़ते रहें।प्रारम्भ में कम से कम 10 सेकेंड से बढ़ाते हुए 30 सेकेंड तक इस आसन में रुकने का अभ्यास करें।
कुछ समय इसी अवस्था में रुके रहने के बाद पूर्व अवस्था में आकर शरीर को आराम दें तथा इस विश्राम के बाद यही आसन क्रिया को चल रहे स्वर से दूसरी साइड के पैर बदलकर पद्यमासन लगाकर दोहराएं।केवल दोनों साइड से दो बार ही करें।

गर्भासन से रोगों में क्या लाभ होते है:-

गर्भासन के कुछ महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार है की,,

इस गर्भासन को करने से बांह, हाथ, हाथ के पंजे, जांघ, टांग, घुटनो, टखनों, पैरों के पंजे, कमर, पीठ आदि का सम्पूर्ण व्यायाम होता है।
शरीर के जोड़ मजबूत एवं लचीले होते हैं।
इससे शरीर में चेतना शक्ति की व्रद्धि, स्फूर्ति, उल्लास, बल उत्साह आदि की तीर्व वृद्धि होती है।
साथ ही इस गर्भासन में पद्मासन से होने वाले सभी लाभ मिलते हैं।
यह आसन वात तथा कफ प्रधान प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए विशेष उपयोगी है।
जोड़ों के दर्द,नसों की झनझनाहट ओर गठिया आदि में भी अच्छा लाभकारी है।
इससे शारारिक इंद्रियों व मन के उथलेपन पर शीघ्र नियंत्रण होता है। स्त्रियों के लिए यह आसन सर्वश्रेष्ठ है।
गर्भासन करते समय कुछ सावधानिया रखना बहुत आवश्यक है:-

गर्भवती महिला को ये आसन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
कमर दर्द और घुटने के दर्द वालो को भी यह आसन नहीं करनी चाहिए।
पर इस आसान के निरंतर अभ्यास से ही इन सब कमर और घुटने के दर्दो को योग गुरु के मार्गदर्शन में सही तरीके से किये जाने पर स्वस्थ किया जा सकता है।
ध्यान रहे कि,इस आसन का अभ्यास उन्ही लोगों को करना चाहिए, जो आसानी से पद्मासन कर सकते हैं।
बहुत ज्यादा दर्द या माइग्रेन की स्थिति में, अनिद्रा या निम्न रक्तचाप को इस आसन से बचना चाहिए।

!!यो करें नित्य गर्भासन!!
!!रहे निरोग कर रोग का नाशन!!

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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