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8मार्च 2017 विश्व महिला दिवस पर सत्यास्मि मिशन की ओर से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी रचित कविता के माध्यम से अंतर्राष्टीय संदेश देते हुए कहते हैं कि-भौतिक अधिकारों की भांति ही स्त्री को विश्व के सभी धर्म में पुरुषों के भांति ही स्त्री को समानता का अधिकार मिले…

8मार्च 2017 विश्व महिला दिवस पर सत्यास्मि मिशन की ओर से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी रचित कविता के माध्यम से अंतर्राष्टीय संदेश देते हुए कहते हैं कि-भौतिक अधिकारों की भांति ही स्त्री को विश्व के सभी धर्म में पुरुषों के भांति ही स्त्री को समानता का अधिकार मिले…

लिखा पुरुष ने सारी धरा पे
अपना ही पौरुष इतिहास।
पृथ्वी भी पृथु की नामी
ब्रह्मांड भी ब्रह्म का रास।।
गंगा भी पुरुष कमंडल निकली
विष्णु के छू चरण कमल।
शिव भी गंगा अहंकार को तोड़े
बांध अपनी जटाओं में जल।।
सती पार्वती की अभिलाषा
एक मात्र शिव पुरुष ग्रहण।
सीता राधे मीरा लक्ष्य भी
एक मात्र कृष्ण पुरुष वरण।।
मैत्रेय गार्गी केवल प्रश्न करता
उत्तर करता याज्ञवल्कय पुरुष।
सरस्वती पुत्री ब्रह्म पिता वासना
लक्ष्मी को स्वीकारें विष्णु पुरुष।।
दुर्गा भी पुरुष देव की शक्ति
करी आवाहन नारी निज देह।
विश्व सुंदरी मोहनी अपरिमित
विष्णु पुरुष की स्वयं की देह।।
इंद्र पुरुष की अप्सरा सेवक
सदा रही पुरुष काम उपयोगी।
इस उस ऋषि पुरुष बन पत्नी
पुरुष शाप की सदा रही भोगी।।
पुरुष वर्चस्व है धर्म अखाड़े
और करता गंगा में प्रथम स्नान।
समानता नहीं नारी को देता
नारी गंगा नही करें प्रथम स्नान।।
धर्म से लेकर धर्म शास्त्र तक
नीति से ले कामशास्त्र।
भोग से लेकर योग शास्त्र तक
हिंसा से मोक्ष तक पुरुष मात्र।।
चारों युग भी पुरुष के नामा
अंतिम प्रलय पुरुष युग उपरांत।
नारी के नही लिखे बताये
वेद बाइबिल कुरान पुरुष नितांत।।
महाकवि भी सभी पुरुष है
नही कोई महाकवि है नार।
पुरुषकार देकर पुरुषकार शब्द भी
सम्मानित मात्र है नारि आभार।।
आज केवल अपने निज हित को
पुरुष दे रहा नारी स्वतंत्रता।
नारी के उपयोग जान कर
स्वतंत्रता नाम वर्तमान परतंत्रता।।
नारी उत्थान विषय दे नारी
संयुक्त राष्ट नित घोष विचार।
क्या नारी इन विचार बिचारी
इन आंदोलन मिलता नारी आभार।।
नोबेल से उच्च हो स्त्री पुरुषकार
स्वतंत्र हो नारी कवित्त्व विभाग।
नारी गद्य पद्य हो नवीन स्त्री युगवादी
विश्व नारी संयुक्त राष्टसंघ विभाग।।
सभी सर्वोच्च पद है पुरुषधारक
पोप इमाम लामा चार धाम।
केवल संत पदवी दे नारी
नारी आभार व्यक्त करे इस काम।।
आज आवश्यक्ता नवयुग नारी
लिखे अनुभव नवीन नारी धर्म।
नारी मंदिर हो महंत हो नारी
नारी भोग योग स्वं विज्ञान कर्म।।
नवग्रह हो या कालगणना ज्योतिष
उनमें नारित्त्व का विषय गुने।
पुरुष विरोध नहीं मंदिर करके
नारी मंदिर में नारित्त्व जने।।
समानतवाद या समतावाद हो
नारी चरित्र पक्ष उच्च चुने।
प्रेमिका राधे नही करे पूजनीय
पत्नी प्रथम स्थान धर्म बने।।
पुरुष कुंडलिनी योग को त्यागे
स्त्री कुंडलिनी करे आवाहन।
नव कुंडल चक्र करे जाग्रत
नारी योग लिख स्वत्रंत्र विज्ञानं।।
महारानी विक्टोरिया प्रथम नारी
उज्जवलित हुआ नारी प्रभात।
नारी युग चार चले भविष्यगत
सिद्ध चिद्ध तपि हंसी युग ज्ञात।।
सत्यास्मि मिशन समानतावादी
और यहाँ सहयोगी पुरुष है नार।
स्त्री सर्वहित चैत्र पूर्णिमाँ व्रत धरकर
पुरुष अभिव्यक्त दिव्य प्रेम नार।।
कार्तिक पूर्णिमाँ गंग नहर पर
स्वतंत्र गंगा प्रथम स्त्री स्नान।
शनि मंदिर महंत सेवक नारी
विश्व में आद्धित्य नारी स्वज्ञान।।
स्त्री धर्म विषय सब लेखन
और कुंडलिनी जागरण नार।
घोषित चार युग कर नारी
स्वतंत्र सनातन धर्म ये नार।।
शिवलिंग छोड़ श्रीभग ध्यावे
कर अपना ध्यान स्व आत्मा पावे।
चतुर्थ क्रम से धर्म करे पालन
त्यागे छोड़ प्रेम बल पावे।।
सौलह कला कर्म अभिव्यक्ति
यो नारी है षोढ़ष जीवंत।
नारी प्रतीक महापूर्णिमाँ देवी
नारी ॐ नाम विश्व अनंत।।
केवल आत्म महामंत्र देकर
अपनी आत्मा करना ध्यान।
सत्य ॐ सिद्धायै नमः है प्रकट
अहम् सत्यास्मि घोष नर नारी समान।।

स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
www.satyasmeemission.org

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