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हिन्दुत्त्व रक्षक महावीर महाराजा सूरजमल सत्य चरित्रकथा-25 दिसम्बर को उनके बलिदान दिवस को उनके शौर्य दिवस के रूप में मनाते हुए उन्हें अपने कवित्त्व के माध्यम से श्रद्धांजलि देते हुए-स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते हैं कि…

हिन्दुत्त्व रक्षक महावीर महाराजा सूरजमल सत्य चरित्रकथा-25 दिसम्बर को उनके बलिदान दिवस को उनके शौर्य दिवस के रूप में मनाते हुए उन्हें अपने कवित्त्व के माध्यम से श्रद्धांजलि देते हुए-स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते हैं कि…

गंगा पूजक ज्येष्ठ दशहरा
और सदा कृषक रक्षक गाय।
श्री राम कृष्ण शिव आस्था
महावीर सूरजमल हिंदुत्व सहाय।।
भारत के योद्धा इतिहास में
पुनः जन्मा अजेय जाट महावीर।
तेरह फरवरी सत्रह सो सात को
अवतरित सिनसिनवार सूरजमल आर्य वीर।।
पिता महाराज बदन सिंह भरतपुर
जननी गंगिया वीरांगना माता।
सात फुट लम्बा ढेड़ सो किलो वज्र शरीर ले
बर्छी तलवार युद्धकला परम ज्ञाता।।
ओरंगजेब तभी मरा था
जर्जर मुगल हो चले निर्बल।
मराठा शक्ति बढ़ चली देश में
राजपूत बटे हुए थे अल्प दल।।
जयपुर महाराज जयसिंह के बेटे
परस्पर लड़े ईश्वरी और माधो।
एक पक्ष सात राज्य की सेना
मराठा राठौर सैन्य संग माधो।।
दूजी और ईश्वरी अकेला
सूरजमल की ली संगत।
झुका दिए सात राज्य के झंडे
ईश्वरी विजयी हुआ सूरजमल विरंगत।।
एक लाख अधिक सेन्यबल विपक्षी
इधर दस हजार थे जाट सिपाही।
अगस्त सत्रह सो सैतालिस में
मिली सूरजमल विजय वाह अथाई।।
बज उठ देश भर सूरजमल डंका
लिया फिरोजशाह कोटला जीत।
गाजीउद्दीन के उकसाये पर
मराठा चले भरतपुर कुम्हेर अजीत।।
जनवरी सत्रह सो चौवन से
मई सत्रह सो चौवन तक।
घेरे रहे अविजित कुम्हेर को
खांडेराव होल्कर खोने तक।।
सन् सत्रह सो सत्तावन में
नजीबुद्दौला आमंत्रित अब्दाली।
भीषण नरसंहार हिंदत्त्व जाट कर
झुका सका नही सूरजमल को अब्दाली।।
सन् सत्रह सो उनसठ के युद्ध में
पानीपत अब्दाली विजयी हुआ।
गजिउद्दीनखां भागा पराजित होकर
महाराज सूरजमल की शरण हुआ।।
सदाशिव राव भाऊ से
सूरजमल की बिगड़ी यूँ बात।
दीवाने खास लालकिले की
स्वर्ण छत गिराने की उसकी बात।।
कहा नादिरशाह ने इस छत को
दिया यूँ ही था छोड़।
पर भाऊ ने सेना वेतन को
स्वर्ण जड़ित छत दी तोड़।।
मुझ से ले लो पांच लाख
और तीन लाख कीमत है छत।
सौंदर्य कला फिर मिले नही
पर भाऊ अड़ा छत विक्षत।।
इसी कड़वाहट परस्पर चलते
हुए सूरजमल मराठा दूर।
बिन साहयक आक्रमण किया
अब्दाली हारे मराठा शूर।।
चौदह जनवरी सत्रह सो इकसठ
हुआ तृतीय पानीपत युद्ध।
पराजित हुए मराठा इसमें
सेना भूखे भटक मरी बिन युद्ध।।
इस दीन हीन दुर्दशा देख कर
सूरजमल ने की इनकी सेवा।
बीस लाख खर्च किये दिनों दस
बिन कुछ पाने की बदले सेवा।।
जाते मराठा बिदा दी
एक रुपया एक सेर अनाज।
कपड़े पहनन को दिए
सूरजमल हिन्दुत्त्व रक्षक किया यूँ काज।।
सूरजमल विजय श्री चढ़ी
हरियाणा दिल्ली राज्य।
पश्चिम उतरप्रदेश तक
फेला सूरजमल का साम्राज्य।।
पच्चीस दिसम्बर सत्रह सो तरेस्ट
मुगल किला दिल्ली जा घेरा आप।
नवाब नजीबुदौला प्रपंची युद्ध में
सूरजमल वीरगति हुए प्राप्त।।
इस छल से मृत्यु पिता सुन
सूरजमल पुत्र जवाहर हुए लाल।
शीघ्र जा दिल्ली विजयी की
किया हिन्दुत्त्व ऊँचा जग भाल।।
चक्रवर्ती भरत के नाम पर
रखा भरतपुर राज्य का नाम।
लक्ष्मण उर्मिला कुलदेव पूज्य
अद्धभुत मंदिर माँ गंगा धाम।।
श्री बाँके विहारी भरतपुर
मंदिर भारत भर प्रसिद्ध।
बहुमूल्य आभूषण सज्जा
दर्शन भक्त के वर हो सिद्ध।।
गोपाल भवन की सौंदर्यता
अद्धभुत विश्व विराट।
संगमरमर का बना है झूला
जिसका पारदर्शी पर्दा है सुकाट।।
ब्रजक्षेत्र हो सुलभ यात्रा
यो बनवाये मार्ग अनेक।
गोवर्धन वृंदावन बल्लभगढ़ तक
जीर्णोद्धार काम किये नेक।।
ब्रज क्षेत्र वैभव को बढ़ाया
मथुरा वृंदावन उत्कृष फेलाया।
सर्व जात धर्म स्थापित करके
सूरजमल “ब्रजराज” कहलाया।।
अविजित लोहगढ़ किला देश
एक मात्र स्वतंत्र स्वराज्य।
मुगल फिरंगी पराजित रहे
अजेय सूरजमल लोहगढ़ विराज।।
विश्व प्रसिद्ध उद्यान यहाँ
जहाँ दुर्लभ पंक्षी करते रास।
विश्व सैलानी भ्रमण कर कहे
वाह सूरजमल वीरगाथा भरतपुर विश्वास।।
अष्ट धाँतु निर्मित विजय द्धार
और फतेह जवाहर बुर्ज।
मुगल फिरंगी पर स्म्रति विजय
ये अजेय गाथा सूरजमल बुर्ज।।
भरतपुर राज्य विजय चिन्ह
गौ रक्षक हिंदू धर्म।
हाथी बल एश्वर्य सिद्ध
सिंह समान स्वतंत्रता कर्म।।
स्वस्तिक हिंदू चतुर्थ धर्म
ध्वजा रक्षक हनुमान अमर।
तोप ॐ विजय कर गूंजती
सदा गोकुल जयति समर।।
छत्रिय चतुर्थ कर्म धारण खड़ा
बीच विजयी पहन छत्र शीश।
मूछें उर्ध्व सनातन गर्व रख
भरत भारत के सूरजमल धीश।।

स्वामी सत्य साहिब रचित हिंदुत्व शिरोमणि भरतपुर महाराज सूरजमल जीवन चरित्र कथा सम्पूर्ण.

महाराजा सूरजमल जी के जीवन चरित्र को सम्पूर्णता से अभिव्यक्त करती इस अद्धभुत कविता पर जाट वेदिक संघ की अध्यक्ष श्रीमती मालती धामा और सचिव श्री अम्बरीष सिंह तेवतिया और अन्य पदाधिकारी- अमरदीप सिंह व अभिराज सिंह,प्रशांत चो.डॉ सजंय तौमर,अंजय तौमर व् श्रीमती शालिनी रेनू,शशि डाँगुर,श्रीमती राकेश आदि सह्रदय धन्यवाद प्रदान करते हैं।

बोलो-सनातन धर्म की जय
बोलो-हिन्दुत्त्व महावीर सूरजमल की जय
जाट वेदिक संघ

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