World Magic Day विश्व जादू दिवस ओर अंतर्राष्टीय जादूगर दिवस International Magician’s Day 31 October को ओर भारत मे ये जादू दिवस 23 फरवरी को मनाया जाता है

World Magic Day विश्व जादू दिवस ओर अंतर्राष्टीय जादूगर दिवस International Magician’s Day 31 October को ओर भारत मे ये जादू दिवस 23 फरवरी को मनाया जाता है

इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से इस विषय की विज्ञानमय महिमा को बताते इसके दिवस को विदेश में ओर अन्य देशों में तथा हमारे देश भारत के भिन्न भिन्न दिनों में मनाते है,अभी जादूगरी का कोई निश्चित दिवस प्रचलित है।हर जादूगर के अपने प्रसंशक उनके जन्मदिन पर जादूगरी का दिवस मनाते रहते है,जबकि विश्व मे जादूगरी मनुष्य की सृष्टि के समय से ही ज्ञान के साथ चली आ रही है।जो समझ मे नहीं आता है कि ये कैसे होता व हो रहा है,उस ज्ञान की विज्ञान कला को जादू कहते है।
जादू के अनेक नाम है,इंद्रजाल यानी हमारी पंच इन्द्रिय श्रवण,सूंघ,दृष्टि,स्वाद,अनुभूति की छमता का सही उपयोग करना और उसके नियंत्रण को स्तब्ध कर देना यानी इंद्रियों की छमताओ को बांध देने की कला को कहते है।जादू में दृष्टि की समझ और चित्रण लेने देने के बीच की गति छमता को समझकर उसी क्षमता के बीच रिक्तता कर आती जाती सूचना आदि को भ्रमित कर देना,जिसे नजरबंदी कहते है।मन यानी इच्छाओं के शब्द समूह क्रम की गति को समझ उसे स्तब्ध कर अपने विचार उसके मध्यय डाल देना आदि,ये सब एक मंच पर सहयोगियों के साथ,अनेक छिपे उपकरणों का सहयोग लेकर जो कला प्रदर्शित होती है,वह जादू कहलाती है,ये एक सम्पूर्ण कला विज्ञान है।संसार मे जो भी वस्तु है,वो कैसे बनी है और किन घटकों से बनी है और किस कारण वो मिश्रित घटक हटकर उसवस्तु को पुनः अपनें में समेट लेते है,उन्ही का ज्ञान कर उसे अपने नियंत्रण मेंलेकर उसे प्रदर्शित कर ओर फिर से लुप्त करने केनाम जादूगरी है और इसके जानकर को जादूगर,बाजीगर,मदारी,मैजिशियन आदि कहते है।
इस जादूगरी की दुनियां में अनगिनत नाम है,जिनमे विदेशों ओर भारत मे मुख्यतया दो नाम प्रसिद्ध हैं-1-हैरी हुड़नी ओर 2-पी.सी.सरकार।

हैरी हुड़नी:-
यो ये आधुनिक जादूगरी के पिता कहे जाने वाले जादूगर जीन-यूगेन रॉबर्ट-हुडिन का जन्म 24 मार्च 1874 को हुआ और मृत्यु 31 अक्टूबर 1926 को हुई थी।इन्हीं के याद में 31 अक्टूबर को अमेरिका में विश्व मैजिक दिवस मनाया जाता है।
ये एक फ्रांसीसी जादूगर थे। उन्हें व्यापक रूप से conjuring की आधुनिक शैली के पिता माना जाता है। इसे आधुनिक जादू का जनक माना जाता है।

पी.सी.सरकार:-
भारतीय जादूगर पी.सी.सरकार का जन्म 23 फरवरी 1913 को तंगैल, बंगाल, ब्रिटिश भारत में हुआ था।उनका पूरा नाम प्रोतुल चंद्र सोरकर था । सोरकर का विवाह दिवंगत बसंती देवी के साथ हुआ था। वे एनिमेटर, निर्देशक और लेजरिस्ट मनिक सोरकर और जादूगर पी. सी.सोरकर जूनियर और पी. सी. सोरकर, यंग के माता-पिता थे।इनका देहांत जादू का कार्यक्रम दिखाने के बाद 6 जनवरी 1971 को ह्रदय गति रुकने से हुआ था।इनके लोकप्रिय प्रदर्शन ‘इंद्रजाल’ के लिए उन्हे आज भी याद किया जाता है।
ये अपने समय के किवदंती बन चुके अपनी जादूगरी की पीढ़ी के सातवें जादूगर थे।उन्हें भारत सरकार ने वर्ष 1964 में पद्मश्री से पुरस्कृत किया।आगे इनके पुत्र पी सी सरकार जूनियर ओर आगे उनकी पीढ़ी जादू के प्रदर्शन दिखाते हुए भारत का नाम विश्व प्रसिद्ध किया है।इन्हीं की याद में इनकेजन्मदिवस पर भारतीय जादू दिवस मनाया जाता है।

यो इस जादू दिवस पर अपनी ज्ञान कविता से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी इस प्रकार से कहते है कि

जादू पर ज्ञान कविता

अद्धभुत आश्चर्य चमत्कृत अनोखा
स्तब्ध आवक उड़ गए होश।
ऐसे सभी शब्द निशब्द तक
जिसे देख निकले वाह भर जोश।।
पहलू बदले नहीं चिपक दर्शक
जा खो जाए अलौकिक दुनियां।
हैरत से फटी आंखें दोनों
मुँह खुला का खुला रहे भूल बुनिया।।
बस रह जाये जो दिख रहा
ओर जो दिखा रहा वो शेष।
उसके संचालित हाथों के करतब
बस जो हो रहा रच मंच के देश।।
सिर पर टोपी विचित्र अदा रख
हाथ छड़ी जो कुछ से कुछ बन जाती।
चोंगा पहने जूते दमक चमके
मिल सबको छवि ये लुभाती।।
एक से एक करतब घट जाते
जैसे कड़ी क्रम हो एक दूजे।
अचानक प्रकट कोई वस्तु हो
फिर हुई गायब कहां,ये दर्शक न सूजे।।
रुमाल से अनगिनत रुमाल बन
अंत मे वो रुमाल हवा हो जाता।
प्रकट हो कबूतर खाली पिजरें
बन खरगोश फिर बदल उड़ जाता।।
जरा इशारे सो जाती लड़की
ओर बहुत ऊंचा उड़ने लगती।
उस पर ढक चादर बड़ी सी
एक झटके चादर खाली फर्श सरकती।।
दो छल्ले जुड़ जाते मिलकर
जिन ढूढें नहीं मिले कोई जोड़।
ओर फिर झटके से अलग हो जाते
फिर दोहराता छल्ले मिल बिछड़न की होड़।।
खुद ऊंचे उड़ जाना धीरे
ओर घूमें जैसे हो पंछी।
दर्शक के मन पढ़ उत्तर दे
जो सोचा लिख पटल दे सांची।।
स्वप्न या मायालोक कहें इस
या कहें भ्रम का महालोक।
इंद्रजाल छली मायावी अय्यारी
जो प्रकट है छिपे कम आलोक।।
रंगों शीशों धुंध अंघेरा
नजरों को देकर धोखे।
आवाज का तिलस्म खड़ा कर
सदा असलियत को रोके।।
इन्हीं कला को कहते जादू
इस कलाकार को कहे जादूगर।
दुष्कर अभ्यास कर निरंतर वर्षों
साध परीक्षा दे जन दृष्टि अंतर कर।।
जादू के अनेक कला अंग है
हाथ सफाई सम्मोहन।
छिपे सहयोगी ले दे संगत
गणितीय अनुमान बुद्धि कर मोहन।।
मनुष्य के संग जन्मा जादू है
विभिन्न भाव अभिनय कर।
छल से छीन दूजे की वस्तु
प्रेम कपट का दिखा कर डर।।
घर भवन बना गुप्त रास्ते
छिपे अस्त्र युक्त गुप्त द्धार।
मिलावटी दिखावटी सजावटी वस्तु
प्रस्तुति भ्रम आंख मिला करा स्वीकार।।
सभी विष ओर उनके तोड़ जन
बिन मानुष गतिमयी यंत्र।
पशु खाल में छिपा स्वयं संग
दूजे दिखा सूचित कर अन्यंत्र।।
सभी छिपने के बनाकर साधन
भ्रमिक रूपों का कर आराधन।
बना ख़ौफ़ का गुह स्थान
बजा भय संगीत प्रसारित कर वादन।।
शपथ ले नहीं बताएं ये विद्या
पीढ़ी दर पीढ़ी चले वंशधर कला।
जितना गुप्त रहें अय्यारी जनकर
इस सबका नाम जादूगरी कला।।
चित्त एकाग्र बुद्धि तीर्व कर
पैनी शून्य रख स्थिर दृष्टि।
पकड़े छिपे जगत आयाम स्तर को
जान शक्ति भक्ति विभक्ति कर सृष्टि।।
धीमी मध्यम तेज गति ज्ञान कर
जान गति का सूक्ष्म विज्ञान।
मनुष्य दृष्टि किस आयाम देखती
उसी आयाम गति मध्य कर भान।।
इन्हीं सब ज्ञान विज्ञान कर संमिश्रण
सीख वही कैसे होता दिखा।
हतप्रभत मुग्ध जन हो जाता
फिर बता धता ओर सिखा।।
जादू एक विज्ञान ज्ञान है
जो जान प्रकृति का सब ज्ञान।
कैसे हो रहा किस मेल मिलकर
ओर कैसे प्रस्तुति है भ्रम हो भान।।
जादू ज्ञान विज्ञान का संगम
ओर जीवन के दो पहलू सच्च।
जो दिखता उसके पीछे है कारण
उस जो है छिपा वही प्रकट कर रच।।
आओ विश्व जादू दिवस पर
कुछ सीखें जीवन के अज्ञान भ्रम।
उन्हें जान व्यर्थ का डरना छोड़े
सच्च का जीवन जिये कर श्रम।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemissionn.org

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