International Albinism Awareness Day अंतर्र्राष्ट्रीय एल्बिनिज़्म यानी रंगहीनता जागरूकता दिवस 13 जून पर ज्ञान कविता

International Albinism Awareness Day अंतर्र्राष्ट्रीय एल्बिनिज़्म यानी रंगहीनता जागरूकता दिवस 13 जून पर ज्ञान कविता

इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की ज्ञानकविता इस प्रकार से है कि,
हर साल International Albinism Awareness Day: हर साल 13 जून को अंतर्राष्ट्रीय एल्बिनिज़्म (रंगहीनता) जागरूकता दिवस मनाया जाता है।वर्ष 2000 के मध्य में, तंजानिया में एल्बिनिज़्म के नाम पर भृमवश शिकार लोगों पर किए जा रहे हिंसक हमलों और हत्याओं की खबरें अंतर्राष्टीय स्तर पर सामने आई थीं। इन हमलों का कारण अदृश्य कारणों व जादूई शक्ति को बताया से गया और कहा जाता रहा है कि एल्बिनिज़्म से पीड़ित लोगों के पास जादुई शक्तियां होती है, इसलिए उनके शरीर के इन शक्तिसम्पन्न अंगों के कारणों से उन पर आक्रमक हमला किया जाता है और उन्हें खराब भी कर दिया जाता है।
जब साल 2015 में लगभग 70 लोग मारे गए और कई लोग गंभीर रूप से घायल किए गए थे, तब तंजानिया एल्बिनिज़्म सोसाइटी यानी टीएएस और अन्य गैर-सरकारी संगठनों ने एल्बिनिज़्म से पीड़ित लोगों के अधिकारों की रक्षा की पैरवी की थी, जिसके उपरांत 4 मई, 2006 को पहली बार अल्बिनो दिवस मनाया था। इस दिन को आधिकारिक रूप से तब से लगातार बनाया जाने लगा, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 18 दिसंबर, 2014 को एक प्रस्ताव अपनाया था, जो 13 जून को अंतर्राष्ट्रीय एल्बिनिज़्म जागरूकता दिवस के रूप में 2015 से घोषित करने के लिए था।
जानिए क्या-क्या कारण है इसके-

  • जब माता और पिता दोनों के शरीर में ऐल्बिनिज़मजीन होते हैं तो उनसे पैदा होने वाले बच्चे को रंगहीनता या ऐल्बिनिज़म होने की संभावना होती है। ऐसी संभावना 4 में से 1 मामले में देखी जाती है। ऐल्बिनिज़म एक दुर्लभ स्थिति है। अनुमान है कि 17000 लोगों में से एक को ऐल्बिनिज़म हो सकता है। भारत में वर्तमान में ऐल्बिनिज़म से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 1,00,000 है।
  • ऐल्बिनिज़म तब होता है जब मानव शरीर भोजन को मेलेनिन में परिवर्तित करने में विफल रहता है। यह एक आनुवंशिक स्थिति है। भारत में लोग आमतौर पर सोचते हैं कि यह तब होता है जब मछली और दूध एक साथ खाए जाते हैं। यह एक ग़लतफ़हमी है।
  • न्यिस्टागमस एक ऐसी स्थिति है जो ऐल्बिनिज़म से जुड़ी हुई है। इसमें आंखें तेज़ी से बाएं से दाहिनी ओर घूमती हैं जो आपकी दृष्टि को प्रभावित करती है। मेलेनिन की कमी से सूर्य की किरणें आंखों पर ज़्यादा प्रभाव डालती हैं और आपकी नज़र धुंधली हो जाती है।
  • पिगमेंट मेलेनिन के आधार पर लगभग 10 से अधिक विभिन्न प्रकार के ऐल्बिनिज़म के मामले देखे जा सकते हैं।
  • ऐल्बिनिज़म एक ऐसी स्थिति है जो केवल मनुष्यों में नहीं, बल्कि जानवरों और पौधों में भी देखी जाती है।
  • प्राचीन भारतीय ग्रंथों में ऐल्बिनिज़म का पहला संदर्भ, इंद्र के पांच मुख वाले सफेद हाथी ‘ऐरावत’ के रुप में मिलता है।
  • केन्या और तंज़ानिया में, ऐल्बिनिज़म से पीड़ित लोगों पर उनके शरीर के अंगों की वजह से हमला किया जाता है और उन्हें खराब भी कर दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि उनके रक्त, त्वचा और बालों की मदद से एचआईवी का इलाज किया जा सकता है।

ऐल्बिनिज़म के ज्यादातर रूप किसी व्यक्ति के दोनों माता-पिता से होकर गुजरने वाले आनुवंशिक रिसेसिव एलील्स (जींस) के जैविक विरासत का परिणाम है। कुछ दुर्लभ रूप केवल एक माता या पिता से विरासत में प्राप्त होता है। कुछ अन्य आनुवंशिक हैं जिनके ऐल्बिनिज़म से संबंधित होने की बात साबित हुई है। हालांकि सभी परिवर्तनों के फलस्वरूप शरीर में मेलेनिन के निर्माण में बदलाव आता है। ऐल्बिनिज़म आमतौर पर दोनों लिंगों में समान रुप से होती है।

इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की ज्ञानकविता इस प्रकार से है कि,

!!💐विश्व रँगहीनता पर ज्ञान कविता💐!!

रँगहीनता किसे कहते है
जो जगहां जीव हो रंगहीन।
केवल सफेद रंग जैसा हो जाएं
आंखें त्वचा बाल श्वेताधिन।।
जैसे हाथियों में ऐरावत हाथी
मोरों में श्वेत मोर।
शंखों में श्वेत शंख है
ज्यों स्फटिक है रत्नों का भौर।।
मनुष्यों में होना बीमारी माने
उसे कहें बुरे कर्म कुपित है शाप।
ओर माने दुष्ट जादुई शक्तियों वाला
उपेक्षित व्यवहार का दे कर ताप।।
जबकि शरीर मेलेनिन तत्व को
नहीं कर पाता जब भी निर्माण।
तब मनुष्य जीव शरीर में होता
रंगहीन त्वचा रोग बन गृहाण।।
किसी की आंखें लाल गुलाबी
या बैंगनी भूरी सर्पीली।
यो विचित्र डरावनी नजरें लगे
यो जग माने उस जीव वृती गर्वीली।।
किसी के बाल भौहें सफेद हो जाते
चकते बन त्वचा पर झलके।
धीरे धीरे शरीर सफेद हो जाता
उसमें गुलाबीपन विचित्र बन झलके।।
धूप में अधिक रहने से बढ़ता
त्वचा ओर आँखें बढ़ता रोग।
चिकित्सा उपलब्ध आज हैं अच्छी
ओर संग में करके प्राणायाम योग।।
अज्ञान अंधविश्वास के चलते जग में
इन लोग प्रति है गलत व्यवहार।
इस दिवस ये ज्ञान जान सभी जन
इन्हें भी दें आज से प्रेम सत्कार।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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