21मई श्री शरद जोशी जी के जन्मदिवस पर सत्यास्मि मिशन की शुभकामनाएं

*पूरा नाम-शरद जोशी
*जन्म-21 मई 1931
*जन्म भूमि-उज्जैन, मध्य प्रदेश
*मृत्यु-5 सितंबर 1991
*मृत्यु स्थान-मुंबई
*मुख्य रचनाएँ व्यंग्य- परिक्रमा, किसी बहाने, यथासम्भव,तलिस्म,रहा किनारें बैठ,मेरी श्रेष्ट व्यंग्य रचनाएँ,दूसरी सतह,हम भृष्टन के भृष्ट जीप पर सवार इल्लियां।
*नाटक-अंधों अ हाथी,एक गधा उर्फ़ अलादाद खाँ।
*फ़िल्में-क्षितिज, छोटी सी बात,साँच को आँच नही,गोधूलि,उत्सव।
*धारावाहिक-विक्रम बेताल, सिंहासन बत्तीसी,वाह जनाब,देवी जी,प्याले में तूफान,दाने अनार के,ये दुनिया गजब की।
*विषय -सामाजिक
*भाषा-हिन्दी
*विद्यालय -होल्कर कालेज, इन्दौर
शिक्षा स्नातक
*पुरस्कार-उपाधि-पद्मश्री, चकल्लस पुरस्कार, काका हाथरसी पुरस्कार।
शरद जी की व्यंग्कथा *चौथा बंदर
एक बार कुछ पत्रकार और फोटोग्राफर गांधी जी के आश्रम में पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि गांधी जी के तीन बंदर हैं। एक आंख बंद किए है, दूसरा कान बंद किए है, तीसरा मुंह बंद किए है। एक बुराई नहीं देखता, दूसरा बुराई नहीं सुनता और तीसरा बुराई नहीं बोलता। पत्रकारों को स्टोरी मिली, फोटोग्राफरों ने तस्वीरें लीं और आश्रम से चले गए।
उनके जाने के बाद गांधी जी का चौथा बंदर आश्रम में आया। वह पास के गांव में भाषण देने गया था। वह बुराई देखता था, बुराई सुनता था, बुराई बोलता था। उसे जब पता चला कि आश्रम में पत्रकार आए थे, फोटोग्राफर आए थे, तो वह बड़ा दु:खी हुआ और धड़धड़ाता हुआ गांधी जी के पास पहुंचा।
‘सुना बापू, यहां पत्रकार और फोटोग्राफर आए थे। बड़ी तस्वीरें ली गईं। आपने मुझे खबर भी न की। यह तो मेरे साथ बड़ा अन्याय किया है बापू।’
गांधी जी ने चरखा चलाते हुआ कहा, जरा देश को आजाद होने दे बेटे! फिर तेरी ही खबरें छपेंगी, तेरी ही फोटो छपेगी। इन तीनों बंदरों के जीवन में तो यह अवसर एक बार ही आया है। तेरे जीवन में तो यह रोज-रोज आएगा।
सत्यास्मि कहती है-
समाजिक व्यथा की कथा व्यंग्य में
कहते लिखते शरद जोशी जोश।
सहज समझ आये अंतरंग ह्रदय तक
और झलकनें लगे हर व्यक्ति रोष।।
कथा पूर्व कथन अपूर्व अर्थ दे
लगे लक्ष्य जा व्यंग्य का तीर।
सदा जीवंत साहित्य रहोगे
शुभजन्मदिन शरद जोशी व्यंग्यवीर।।

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