शुभ सत्यास्मि ज्ञान प्रातः


नियमित समय जप करो
निश्चित क्षण में ध्यान।
गुरु बताई मंत्र संख्या जपो
तब महाक्षण जागे ज्ञान।।
भावार्थ?हे-शिष्य तुम अपने गुरु मंत्र की गुरु द्धारा बताये एक निश्चित समयानुसार अर्थात प्रातः या दोपहर या साय या रात्रि में जिस भी समय जप करना बताया है और जितनी संख्या में जप करना बताया है की इतनी मालाएं-3-5-7-11-21आदि जप करनी बताई है ठीक उसी समय उतनी ही संख्या में जप करना चाहिए उसमे घटानी बढ़ानी बिलकुल भी नही चाहिए यही जप निषेध या दोष कहलाता है और जप के उपरांत ही वहीं तभी बैठकर ध्यान करना चाहिए ये तुम्हारे ध्यान लगने और उसमे डुबने पर निर्भर है इस विषय में कोई नियम नही होता है तब ऐसा करते करते एक समय ठीक उसी जप ध्यान के समय में ही तुम्हारी आत्मशक्ति का जागरण होगा। इसी विधि के निरन्तर करने से गुरु आज्ञा व् गुरु प्रदत किया संकल्प शिष्य के प्रति फलता हुआ बढ़ता जाता है और शिष्य को संकल्प सिद्धि के साथ साथ रक्षा कवच और मंत्र के इष्ट दर्शन की भी अति शीघ्र प्राप्ति होती है तब जो दर्शन हो उसे गुरु को छोड़कर किसी को नही बताना चाहिए यो इस क्रम में करते रहने पर अत्यधिक जप तप नही करना पड़ता है अल्प में कल्प की सिद्धि होती है।
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