विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस World Elder Abuse Awareness Day
इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से इस प्रकार जनसंदेश देते कहते है कि,
विश्व भर में बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में इस दिवस यानी विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस World Elder Abuse Awareness Day 15 जून को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 66/127 के परिणामस्वरूप इस दिवस के आयोजन का प्रारम्भ हुआ था। जैसे-जैसे संसार भर में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे ही उनके साथ अनेको प्रकार से किये गए दुर्व्यवहार की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।जो कि एक गंभीर सामाजिक बुराई है, जो निरंतर बढ़कर मानव अधिकारों को प्रभावित कर रही है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र भी जन जागृति के अनेक तरीको के माध्यम से समाज को जागरूकता के जरिए इसे रोकने के लिए प्रयासरत है।
इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से इसप्रकार जनसंदेश देते कहते है कि,
विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस 15 जून पर ज्ञान कविता
जो जन्मा है अवश्य मरेगा
बस पता नहीं कब जाये इस संसार।
ओर बच्चे से युवा प्रौढ़ वर्द्ध हो
जीता सब संग जीवन का सार।।
मनुष्य जीवन के चार धर्म है
ब्रह्मचर्य ग्रहस्थ वानप्रस्थ सन्यास।
उसमें सबसे बड़ा पूर्ण गृहस्थी जीवन है
जो परीक्षित कर मानव को दे उच्चतर न्यास।।
तीन बल से मनुष्य जीवन चलता
शारारिक,मानसिक और धन बल।
पर एक समय छूट जाते हैं सब
बन वर्द्धावस्था के डूबते आंचल।।
यहीं जीवन के सभी कर्मो का
जीते जी मिलता है फल।
अच्छे कर्म का अच्छा मिलता
बुरे का मिल पी दुःखद हलाहल।।
जैसा करा वैसा सुख दुख मिलता
जैसा बोया वैसा ही काट।
यो जवानी में करो त्रिताप उपाय
सेवा तप दान उतारे वृद्धावस्था पर घाट।।
दुख ही सिखाता किया कर्म क्या
जो ध्याये जीवन के पल।
बिन जाने कोसे जिस तिस
उस कटे बुढापा बन शाप के तल।।
फिर भी वृद्धों के प्रति हम
यही सोच सदा भला करें।
वे आईने है भविष्य जीवन हम
यही हाल हम भोग नहीं करें।।
मात पिता भाई बन्धु हर
जो वृद्धावस्था को है प्राप्त।
उसमें अपना कल देख लो
ओर सेवा करो उसकी आप्त।।
एकांकी जीवन बड़ा कठिन
संगी चाहिए उन्हें हम सबका।
संगत दो जोड़ उन्हें व्यर्थ मान बिन
प्रेम देकर जोड़ों निज वर्द्ध तबका।।
महामारी के युग में आज
सभी जी रहे एकांकी जीवन।
छुआछूत ओर डर छाया छिप गए
रिश्ते वो जो सदा थे खेवन।।
ऐसे में सभी वृद्धजन
रह गए अकेले ओर निराश।
खड़े हो उनके साथ जयों वे खड़े थे
पकड़ तुम्हारे हाथ हर सांस।।
आओ इस दिवस लें संकल्प
वृद्धों को नहीं बनने दें चित्र।
भर दें उनके शेष बचे दिन
वृद्धों के हम बन कर मित्र।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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