विश्व प्ले दिवस World Play Day 28 may पर ज्ञान कविता

विश्व प्ले दिवस World Play Day 28 may पर ज्ञान कविता

28 मई, विश्व खेल दिवस World Play Day 28 may पर ज्ञान कविता

इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से इस विषय को बताते हुए इस प्रकार से कहते है कि

पहले जाने की प्ले स्कूल क्या हैं:-

खेल स्कूल यानी प्ले स्कूल का अर्थ है की, हमारे छोटे प्यारे राजदुलारे से नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए एक ऐसा स्कूल जहां 3 से 5 साल के बच्चों को तरहां तरहां के नए पुराने खेलों को खेल-खेल में सीखने के साथ दैनिक व्यवहारिक शिक्षा भी दी जाती है। की आपको कैसे दूसरे को दोस्त बनाना है,खाने पीने की तहज़ीब क्या है और अपने छोटे मोटे कामों को कैसे करें।इन प्ले स्कूल को कई नामों से जाना जाता है,जैसे कि किड्स स्कूल यानी Kids school, प्री स्कूल (
यानी Pre school, नर्सरी स्कूल यानी Nursery school आदि कहकर भी पुकारा जाता है।

पहले के समय में इस तरह के स्कूलों का इतना प्रचलन नहीं था बल्कि आजकल के समाज की बढ़ती व्यस्तता ओर एकांकीपन छोटे परिवार,ऊंची बिल्डिंगे,आयाओ की कमी और माता पिता के पास समय का अभाव के साथ छोटे घर आदि से बढ़ती सभी समस्याओं के निदान को ये हर परिवार की एक बड़ी जरूरत बन गए हैं तथा इसी सबके कारण आज अनेक लोग अपने मकान या किराए पर बिल्डिंग लेकर छोटा या बड़ा अच्छा सा प्ले स्कूल खोलकर खूब अच्छा आर्थिक लाभ कमा रहे हैं। शिक्षित लोग विशेषकर लड़कियां ओर महिलाएं तो इन स्कूलों को आसानी से चला सकती हैं।आज इसकी मांग दिन दर दिन बहुत अधिक बढ़ रही है।इसके लिए आप जहां पर भी अच्छी परिवारिक आबादी हो वहां पर आसानी से छोटे बच्चों के लिए प्ले स्कूल खोल सकते हैं। आज के व्यस्त समय मे सभी माता पिता यही चाहते हैं कि उनके बच्चों की देखभाल बड़े अच्छी तरहां खेल कूद व्यवहारिक दिनचर्या की सीख वाली पढ़ाई के साथ हो। इसलिए वह अपने बच्चों का नाम प्ले स्कूल में अवश्य लिखाते हैं।

प्ले स्कूल में कम से कम 3 से 5 साल के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। इसमें प्री-नर्सरी, नर्सरी, केजी-वन और केजी-2 तक के बच्चों को खेल सहित पढ़ाया जाता है। यो इनका उद्धेश्य भी बच्चों में बचपन से ही अच्छे शिक्षा तथा नैतिक संस्कार देना है।वैसे तो ये बच्चे छोटे होते हैं इसलिए उनको संभालना इनका ध्यान रखना भी एक बड़ी चुनौती होती है। बच्चों को जैसा सिखाया जाता है वे वैसे ही वे घर से बाहर रहाकर खुले वातावरण में परस्पर मित्रता के बढ़ते सहयोग भावना के साथ सीखते चले जाते हैं।

यहां बच्चों को विभिन्न प्रकार के खेल भी खिलाए जाते हैं। उन्हें खेल खेल में शिक्षा दी जाती है। प्ले स्कूल में छोटे बच्चों को अच्छी बातें सिखाई जाती हैं। बड़ो से कैसे बात करते हैं, किस तरह अपनी बात को कहना है ओर अपनी खेल खिलौनों के साथ कैसा व्यवहार करना है,दूसरे बच्चों के साथ परस्पर कैसे मित्रता बढ़ानी ओर अपने सेछोटे व बड़े बच्चों के साथ घुलना मिलना करना होता है,कैसे अपने खाने की वस्तुओं को खाया और रखा जाए आदि अनेक सभी बातें सिखाई जाती है।

प्ले स्कूलों की सम्भावनाये:-

आज की दुनियां में व्यवसाय चाहे कोई भी हो व्यक्ति उसे शुरू करने से पूर्व उसके भविष्य की चिंता अवश्य करता है।इसी संदर्भ में इस सम्बन्धित आंकड़े बताते है कि, हमारे देश में भी प्ले स्कूलों का बहुत अच्छा भविष्य है। क्योंकि हमारे देश मे छोटे बड़े गांव शहर में आबादी बहुत अधिक है। हमारे देश में भी शिक्षा का क्षेत्र प्रतिदिन निरंतर विकसित हो रहा है। नई नई तकनीकें इन सभी स्कूलों में प्रयोग की जा रही है। यदि ऐसे में आप कोई प्ले स्कूल खोलना चाहते हैं तो यह आपके लिए बहुत अच्छा लाभकारी बिजनेस प्लान रहेगा। भारत में प्री स्कूलों का बिजनेस 2021 तक 20 हजार करोड़ होने का एक बड़ा अनुमान है। इस बिजनेस में 45% की दर से वृद्धि प्रत्येक वर्ष हो रही है।

आपको प्ले स्कूल खोलने के लिए क्या करना है ओर कैसे खोला जा सकता है?

आपको प्ले स्कूल खोलने के लिए बहुत अधिक झंझट उठाने की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है ओर ना ही इसमें बहुत बड़ी आर्थिक पूंजी की जरूरत पड़ती है।बस इसके लिए सबसे पहले एक ट्रस्ट बनानी पड़ती है जिसमें कम से कम तीन सदस्यों का होना अनिवार्य है। उसके बाद इंडियन ट्रस्ट एक्ट के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। जिस जमीन पर स्कूल को खोला जाना है उसके पूरे कागज भी आपके पास अवश्य होने चाहिए।
यदि आप इतना कुछ झंझट नहीं पालना चाहते है तो,प्ले स्कूल खोलने या शुरू करने के लिए फ्रेंचाइजी लेने की भी व्यवस्था है। सही से इस स्कूल को प्रारम्भ करने के लिए कम से कम छोटे स्तर पर 2 लाख ओर ठीक से स्तर पर 15 लाख रुपए तक की पूंजी की आवश्यकता पड़ती है। ज्यादातर लोग नामीगिरामी यानी प्रसिद्ध ब्रांड वाले स्कूलों की फ्रेंचाइजी लेकर भी स्कूल खोल रहे हैं। यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपको फ्रेंचाइजी लेकर स्कूल खोलना है या फिर अपना ही बनाकर चलना है।

यो इन सब बातों को मध्यनज़र रखते हुए स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता में इस प्रकार से कहते हैं कि

खेलों बच्चों खेलों खूब
तरहां तरहां के करतब खेल।
गुल्ली डंडा कंचे गेंद
पकड़ा पकड़ी कर परस्पर मेल।।
प्रेम सद्भावना नित दिन बढ़ती
बढ़ता संग एक दूजे सहयोग।
स्वास्थ जनकर प्रतिस्पर्धा बढ़ती
चिंतन बढ़ता क्यूं हूँ अयोग्य।।
लड़ते झगड़े शिकायत करते
रोते खिलौना छीनने पर।
दूजा देता कह ये ले लो
मित्रता बढ़ती यूँ मिलने पर।।
तरीके बढ़ते नई समझ दे
कैसे जीतें हरा दूजे।
रणनीति आती समझ तेज हो
एक दूजे इशारे कर बुझे।।
उम्मीद जगती रोज जीत की
आज मेरी आये बारी।
कुछ करके दिखाऊं जज़्बा बढ़ता
उत्साह बढा निभा यारी।।
मन एकाग्र सोच बढ़े बुद्धि
फुर्ती बढ़े आगे को चल।
बढ़ती नेतृत्व भावना सुद्रढ़
नियम होते अडिग अचल।।
घर छोटे और सदस्य कम है
फुर्सत नहीं मात पिता।
नोकरीपेशा परिवार बढ़ रहे
बच्चें खेले किस संग नहीं पता।।
पकड़ा खिलौनें तरहां तरहां के
ओर बोलें हिदायत की भाषा।
ये मत करो यहां मत कूदो
ख़तरा चोट भर के निराशा।।
मंजिल ऊंची रहते परिजन।
कौन ले जाए ऊपर नीचे।
कपड़ें बादलों झंझट बढ़ता
यो अंदर खेलों मन तन भींचे।।
इन्हीं सभी देख ज़रूरत
बने आज प्ले स्कूल।
महंगी फीस पर देकर सुविधा
खिला पिला पालें इन नन्हें फूल।।
यो ही प्ले स्कूल बने हैं
बच्चे खेल रहें स्वस्थ।
प्रसन्न रहे खुशी कर ज़ाहिर
तन मन रहे न लस्त पस्त।।
आज खेल प्ले दिवस मनाओ
छोटे बड़े बच्चों के संग।
पुराने और नए खेल तरीके
बता सीखा सही खेल के ढंग।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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