6 फरवरी महिला जननांग विकृति के लिए जीरो टॉलरेंस का अंतर्राष्ट्रीय दिवस यानी महिला जननांग विकृति यानी स्त्री खतना निरोधक दिवस 6 फरवरी

6 फरवरी महिला जननांग विकृति के लिए जीरो टॉलरेंस का अंतर्राष्ट्रीय दिवस यानी महिला जननांग विकृति यानी स्त्री खतना निरोधक दिवस 6 फरवरी
(International Day Of Zero Tolerance to female genital mutilation)

इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,

फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM) के लिए जीरो टॉलरेंस/महिला जननांग विकृति के लिए शून्य सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 6 फरवरी को मनाया जाता है। एफजीएम की प्रथा को समाप्त करने के लिए के दिन मनाया जाता है। यह FGM के बारे में जागरूकता पैदा करता है। जो लड़कियों और महिलाओं के मानवाधिकारों को बनाये गए नियमों का घोर उल्लंघन है।
इस दिन, UNFPA द्वारा महिला जननांग विकृति (एफजीएम) से बचे लोगों को तथा ओर भी आगे बचे यो ये दिवस मनाने के लिए एफजीएम को समाप्त करने के लिए ‘ए पीस ऑफ मी’ नामक एक अभियान का आयोजन किया जाता है।

इसका सामाजिक इतिहास-

2007 में, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष UNFPA और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष UNICEF द्वारा महिला जननांग उत्परिवर्तन यानी जननांग कटाई विरोध पर एक संयुक्त कार्यक्रम शुरू किया गया था। 2012 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा UNGA ने एक प्रस्ताव पारित किया था और 6 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में महिला जननांग विकृति के लिए शून्य सहिष्णुता के रूप में नामित किया। UNGA का उद्देश्य इस प्रकार के क्रूर अभ्यास के उन्मूलन पर मानवीय प्रयासों को बढ़ाना और उन्हें ऐसे समाज के कल्याण को निर्देशित करना है।
महिला जननांग विकृति को जननांग खतना कहते है यानी स्त्री जननांग को आंशिक और पूरी तरह हटाने या ऐसी प्रचलित अचिकित्सा कारणों के मुख्य रूप से सांस्कृतिक परंपरा के आधार पर महिला प्रजनन अंगों की क्षति के नाम से भी जाना जाता है।
W.H.O. के अनुसार, लगभग 120- 140 मिलियन से अधिक लड़कियां और महिलाएं महिला जननांग विकृति यानी स्त्री खतना के कुछ प्रकारों के तहत गुजरती हैं।
इसके साथ प्रतिवर्ष लगलग 3 लाख महिला जननांग विकृति यानी ख़तना के जोखिम से पीड़ित होती हैं।
वर्ष 2030 तक महिला जननांग विकृति यानी नारी खतना को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस जननांग कर्तन का कार्य प्रायः एक परम्परागत कर्तक द्वारा ब्लेड से किया जाता है। यह कार्य जन्म के कुछ दिनों के पश्चात से लेकर यौवन के शुरुवात यानी महावारी आने तक और उसके बाद भी किया जाता है। यो जो आंकड़े उपलब्ध हैं उनमें से आधे से अधिक का कर्तन 5 वर्ष की आयु से पहले ही कर दिया जाता है। इस प्रकार की कर्तन की विधि एक देश से दूसरे देश में और एक समाज से दूसरे समाज में बहुत कुछ अलग-अलग हैं। कहीं पर क्लिटोरल हुड और क्लिटोरल ग्लान्स को काटकर निकाल दिया जाता है।तो कहीं आन्तरिक लेबिया को काटकर निकाल दिया जाता है।तो कहीं आन्तरिक और बाह्य लिबिया को निकाल दिया जाता है और स्त्री के भग को ही बन्द कर दिया जाता है। यदि योनि को बन्द किया जाता है तो मूत्र त्याग करने तथा मासिक धर्म के समय निकलने वाले द्रव के लिए एक छोटा सा छिद्र छोड़ दिया जाता है। सम्भोग करने के लिए योनि को खोला जाता है और बच्चे के जन्म देने के समय और अधिक खोल दिया जाता है।

इसी सब विभत्सव स्त्री अत्याचार को दर्शाती यानी महिला जननांग विकृति यानी स्त्री खतना निरोधक दिवस 6 फरवरी पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,

महिला ख़तना विरोधी दिवस पर ज्ञान कविता

स्त्री पुरुष समान ईश रूप
समान सुखदायी एक दूजे।
भोग योग एक दूजे बिन ना
सिद्ध होते ना एक दूजे बूझे।।
सुख का नाम पंचकर्म है
शिक्षा विवाह ग्रहस्थ प्रयोगी ज्ञान।
तन मन धन सहयोग दे दूजे
एक दूजे पूरक हैं प्रेम कर ध्यान।।
पुरुष या स्त्रीवाद असंतुलन
केवल निज वर्चस्व तभी आता।
जब मैं ही आनन्द लूं दूजे
दूं का दाता आभाव रख नाता।।
इन्हीं पुरुषवादी सोच ने
स्त्री सुख अवरोध किया।
केवल लेने निज यौन सुख
नारी को आनन्द विमुख किया।।
पुरुष सुख में सहयोग मात्र हो
कटवाया उनका भगपटल मुख।
अंतरानन्द कटवाकर झिल्ली
रतिआंनद बदले विरह वेदना दे दुख।।
खुर्चन कर योनि पट अंदर
खून के देकर जन्मजात आंशू।
नरक बना मिटा मूलाधार चक्र को
भोग योग द्धार बंद किये नाशू।।
खत्म किया नारी सुख यौवन
स्वपुरुष न परपुरुष सुख पा।
ऐसी कामविहीन ऊर्जा सुख बिन पाये
किसकी जननी बनेंगी खतना दुख पा।।
अनुभव करो ऐसे स्त्री समाज का
जो हैं इस विकृत परम्परा दास।
उनके अंतर्मन पीड़ा जन्मपली है
क्या बदले देंगी संतति को विकास।।
ये विकृत मनोवर्ति पुरुष देन है
जो परम्परा बनी उन स्त्री दास।
फैलती गयी प्रचलित धर्म पक्ष बन
जीना दुश्वार इन नारी हर सांस।।
धन्य मानो संयुक्त राष्ट्र महासभा
जिसने चलाया उत्पीड़न अभियान।
मिटा रहें वे इस विकृतिदंश दुख
नारी को दे शिक्षा सुरक्षा ज्ञान।।
धन्य धर्म संस्कृति वे सारी
जो नारी को देती सम्मान समान।
यो हे नारी उठ जाग दे ज्ञान सवेरा
अपने नारी हित मना दिवस उत्थान।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिबजी
Www.satyasmeemission.org

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