उत्तर प्रदेश जयंती 24 जनवरी पर ज्ञान व कविता

उत्तर प्रदेश जयंती 24 जनवरी पर ज्ञान व कविता

इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,

वैसे तो उत्तर प्रदेश का ज्ञात इतिहास लगभग 4000 वर्ष पुराना है।पर सामान्य ज्ञान के अनुसार उत्तर प्रदेश उत्तर भारत का एक राज्य है।यह करीब 20 करोड़ से अधिक निवासियों के साथ, यह भारत में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, और साथ ही दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश उपखंड है। यह 1 अप्रैल 1937 को ब्रिटिश शासन के दौरान संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के रूप में स्थापित किया गया था। ब्रिटिश शासनकाल में इसे यूनाइटेड प्रोविंस कहा जाता था।जो कि 1950 में बदलकर उत्तर प्रदेश हो गया। इस तरह आमतौर की जन भाषा की बोलचाल में यू.पी. कहे जाने वाले प्रान्त का अधिकारिक नाम बदलने के बाद भी संक्षिप्त नाम अपरिवर्तित ही रहा। राज्य की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी लखनऊ, और न्यायिक राजधानी प्रयागराज है, और प्रशासनिक कारणों से इसे 18 मण्डलों(मंडलों) और 75 जिलों में विभाजित किया गया है। 9 नवंबर 2000 को, एक नया राज्य, उत्तराखंड(उत्तराखण्ड), राज्य के हिमालयी पहाड़ी क्षेत्र से बनाया गया था। राज्य की दो प्रमुख नदियाँ, गंगा(गङ्गा) और यमुना, प्रयागराज में मिलती हैं और फिर आगे गंगा(गङ्गा) के रूप में बहती हैं। हिंदी इस राज्य में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है, और राज्य की आधिकारिक भाषा भी है।

यो इस दिवस पर लगभग सारे ऐतिहासिक तथ्यों के साथ उत्तर प्रदेश की विश्व व्यापी महिमा को दर्शाती स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी की ये ज्ञान कविता इस प्रकार से की,

उत्तर प्रदेश जयंती 24 जनवरी पर ज्ञान कविता

जिसका नाम हो यूपी
यानी अर्थ तू.. पी..।
क्या पी जो मतवाला हो
जो हम पी अमृत वो तू पी जी..।।
ये अमृत यहीं जन्मा बन राम
जिसमें रास घोलने आया श्याम।
महावीर ने उसमें वैराग्य भरा
बुद्ध ने पी पिला अहिंसा दि अविराम।।
तभी यहीं जन्में तुलसी कबीर
रैदास ने पी गाये ईश गीत।
मीरा यहीं आ पी हुई मतवाली
सूर लगाये पी सुर ईश मीत।।
गंगा यमुना पी यही तुम्हें पिलाये
सरस्वती संग पी लगाये कुम्भ।
बजाएं शहनाई विस्मिल्लाह पीकर
तभी मस्त सदा पी बनारस दुदुम्भ।।
यहां से हुई आजाद बगावत
पीकर के स्वाधीनता अमृत।
विजय जो उत्तर प्रदेश को करता
वही सम्राट कहलाते समरथ।।
आर्य साम्राज्य यहीं पे पनपा
ओर आर्यवृत बना ये देश।
वैदिक संस्कृति यहीं हुई उज्वलित
भरत का भारत गढ़ है उत्तर प्रदेश।।
हिन्दू धर्म का मूल स्थान है
हिंदी भाषा यहीं जन्मी।
संस्कृत यहीं फली ओर फूली
बाल्मीकि से तुलसी मानस पनपी।।
यहीं प्रज्वलित हुई सप्तऋषि परम्परा
यहीं भरत वंशी पांडव चमके।
बजा सदा बिगुल यहीं से
विश्व पटल पर भारत दमके।।
कृष्ण लीला मथुरा वृंदावन
विश्व को गीता का ज्ञान।
सांख्य वेदांत पतंजलि दर्शन
यहीं अहम सत्यास्मि घोष गुंजयमान
जैन बौद्ध धर्म का ज्ञान यहीं तपा
वाराणसी रहा विद्याबल केंद्र।
शंकराचार्य यहीं चरम पर पहुँचे
यहीं से नाथ धर्म खिला मछेन्द्र।।
भक्ति आंदोलन उत्तरप्रदेश देन है
यहीं सर्वधर्म काव्य गाये गीत।
मुस्लिम तहज़ीब यहीं चढ़ी जुबां बन
लखनऊ से जड़ ले उर्दू पाये मीत।।
संयुक्त प्रान्त नाम किया ब्रिटिश ने
मेरठ पहला हुआ क्रांति विद्रोह।
मदनमोहन नेहरू टण्डन देन यहीं की
तोड़ा ब्रिटिश साम्राज्य मोह विछोह।।
प्रधानमंत्री यहां बिन बने न भारत
विश्व सातवां अजूबा यहीं है ताज।
उत्तर प्रदेश नाम सन 50 में रख्खा
यू.पी.भइये जग करते राज।।
कहां तक लिखे महिमा इसकी
खत्म कलम कागज स्याही।
विश्व ऊर्जा केंद्र यहीं एक बस
युक्ति मुक्ति उत्तर प्रदेश राही।।
नरेंद्र मोदी बने वाराणसी सांसद
ओर विजयी बने विश्व सम्पूर्ण।
बना राम मंदिर बढा विश्वनाथ काशी
योगी आदित्य नीति यहां फले परिपूर्ण।।
कवि लेखक फ़िल्म जगत के दिग्गज
सभी क्षेत्र में बने जगत महान।
आओ उत्तर प्रदेश जयंती मनाये
फहरा राष्ट्र ध्वज कर नमन ये ज्ञान।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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