वर्ल्ड स्नो डे विश्व बर्फ दिवस 17 जनवरी
इस दिवस पर अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से जनसंदेश देते कहते है कि,
जल भी अपना रूप बदलता
बन रुई सा बर्फ ले आकार।
लगता छाई सफ़ेद सी चादर
बिछी पर्वत घाटी ऊंचे देवदार।।
ठंड बढ़ती ठंडी लहर दे
तापते ठिठर सभी आग जला।
पड़ती झरना बन ऊपर से
रुक रुक गिर बन प्यार खिला।।
खेल खेलते स्कीइंग चल बर्फ पर
प्रतियोगिता जीतते नए नए भेष।
खूब मज़े लेते दर्शक जोश भर
इस शामिल होते पेंतालिस देश।।
बच्चे बड़े खेलते फेंक एक दूजे
गोले भर भर मुट्ठी प्यारी बर्फ़।
लगती चहरे पलट पीठ कंधे
बिखर जाती फुलों सी खिल हर तरफ़।।
हर एक बूंद ढलती बनती
खुशनुमा बन कर कणिका बर्फ़।
लधती पेड़ों को घेर अपनी बांहे
गिरती शाखों के आग़ोश नशा ए कर्फ़।।
आज इसमें भी मिलावट हो गयी
नफ़रत का मैला मिल।
यूँ उतनी सफ़ेद नहीं रही ये
जितनी चहके थी कभी खिल।।
चलो मनायें आज बर्फ दिवस हम
जिसे उसका असल रूप दे।
शुद्ध रहने दे जल से थल तक
बर्फ़ को रसल असल मीठी धूप दे।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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