चूकिं इस चैत्र माह की चैत्र अमावस्या में ब्रह्म ने सृष्टि की थी और चैत्र नवरात्रि के नो दिनों में ईश्वर व ईश्वरी ने इस अपनी सन्तति व जीव की सृष्टि करके उसको नवचैतन्य जीवन दिया है,ओर चैत्र नवरात्रि के बाद कि पूर्णिमासी को जीव का नामकरण किया है,ओर। इस चैत्र नवरात्रि से हिन्दू नववर्ष शुरू होता है,तो प्रत्येक व्यक्ति की सृष्टि के प्रारम्भ में मिली मूल इच्छा और क्रिया ओर ज्ञान की पुनरावर्तित होकर इस चैत्र अमावस्या व चैत्र नवरात्रि को बार बार स्वप्न के रूप में अधिक प्रकट होती है।उसे ध्यान देकर जाने,तो बहुत लाभ मिलता है।
ओर इस सहित भी ,ओर आगे भी हर वर्ष की 12 अमावस्या इन सात दिनों में पड़ती है,तो उन सात दिनों के अमावस्या के दोष का हम निराकरण कैसे करे, ओर हर अमावस्या में ओर उस मुख्य अमावस्या के बाद कि चार नवरात्रियों,चैत्र, आषाढ़,क्वार, माघ में प्रातः देखे गए स्वप्न का भविष्यफल, हर नवरात्रि के बाद के तीन महीने में अवश्य फलित होता है,यो इस अमावस्याओं व नवरात्रियों में देखे गए स्वप्नों को अवश्य लिखकर अध्ययन करें या अपने बुजुर्गों या पण्डित या गुरु जी से कराए ओर समाधान करने से बहुत ही उत्तम लाभ मिलता है।
वैसे भी हर वर्ष की प्रत्येक अमावस्या के मुख्य देव है,राहु देव।राहु यानी पूर्व जन्म में किये गए कर्म का शाप या वरदान के रूप में फल मिलना,यो, जेसे आज कि अमावस्या मंगलवार को पड रही है,यानी आज 24 मार्च 2020 कि अमावस्या है,भोमवती अमावस्या,ओर मंगल देव ओर राहु देव का योग बना,यानी मंगल ओर राहु कि युक्ति से दोष बना,किसी मंगल कार्य मे पहुंचाया गयी कोई दुष्ट बाँधा से बना दोष।या आपके या आपके पिता द्धारा किया,नवरात्रि से पहले दिन को किया गया कोई बुरा कर्म,जेसे शराब पीना,कोई तान्त्रिक कार्य,कोई मारक मन्त्र साधना,भोग विलास,ओर फिर अगले दिन से नवरात्रि के व्रत रखते हुये,उसी कर्म पर विचार करते हुये जप ध्यान करने से बनने वाले दोष को भोमवती अमावस्या दोष कहते है।यो,इससे आपको वो कर्म पिशाच बनकर बांधा देगा।दुर्घटना होने से कष्ट मिलता है,ऑप्रेशन हो,फोड़े फुन्सी हो,बुखार रहे,कोई कष्टकारी बिमारी हो जाए,इस वर्ष मे होने वाले मंगल उत्सव मे बार बार बडी बांधायें आये।
यो यदि आज अमावस्या को जो भी सपना दिखा हो,उसका अर्थ करें,ओर उसे इस वर्ष का अपना भविष्यफल माने,अमावस्या का मुख्य देव राहु है,यानी पुर्व जन्म का पाप या पुण्य का फल,ओर आपके उपर पिर्तदौष कौन सा है,पिता का या माता का इनके परिजनों का,,
यो आज अमावस्या पर पितर दिखें तो,कि नाराज या परेशान या प्रसन्न तो वही परिणाम पूरे वर्ष मिलेगा,,
यो इस चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों मे जो जो सपने दिखें या कुछ नहीं दिखें,तो अपना वही भविष्य जाने,यो अपनी डायरी मेँ अपना इन दिनो का देखा सपना लिख ले,
ओर उस पर गहरायी से विचार करके भविष्यफल निकाले,तो आप देखेंगें कि,बहुत हद तक सत्य पायेंगे।
ओर उसी अनुसार अपना गुरु मन्त्र व इष्ट मन्त्र का जप को उन्हीं को अर्पित करें,तो शान्ति व लाभ मिलेगा।
ओर अन्य दिनों पड़ने वाली अमावस्याओं में मिलने वाले दोष ओर उपायों के बारे में भी बताता हूं कि,
1-सोमवार को पडने वाली अमावस्या,सोमवतीअमावस्या कहलाती है:-
इस दिन के देव चंद्र ओर मुख्यदेव राहु है तो,चंद्र राहु का योग से स्त्री पक्ष,मां,बहिन,पुत्री,बुआ,मौसी, साली,या पड़ोसन के प्रति किया गया कोई दुष्ट विचार से विध्न हानि पहुंचाने से बना पितर्दोष होता है,यो इस दिन कि पूजा पाठ व जप का दान,उन स्त्री पितरों के लिये करने से शान्ति मिलती है।
2-मंगलवार को पडने वाली अमावस्या को भोमवती अमावस्या कहते है:-
इसे दिन के देव देवी कर्म ओर शक्ति के देव मंगल है ओर राहु के योग से किसी के मंगल कार्य,विवाह,हवन,यज्ञ मे या उसके बाँधा भान्ची मारी होने से दोष बनता है।यो किसी परिचित के उत्सव को,यज्ञ को,विवाह को या प्रेमविवाह को सफल बनने मे भरपुर धन तन से सहयोग दें ओर यज्ञ सामग्री,लकडी,घी,आदि का दान करें,तो इस दोष का निवारण कल्याण होता है।
3-बुधवार कि अमावस्या:-मेँ किसी कि शिक्षा व व्यापार मे धोखा देना,पेसा हड़पना,पुस्तकालय कि पुस्तके वापस नहीं करना,छपाई मे कमिशन खाना,जीवो के भोजन चारे मेँ,धन खाना या कटौती से,अपने देव या देवी को दूसरो से कमजोर समझना,आदि से ये दोष होता है।यो एसे कर्म के नहीं करने,व जप तप दान करने से शान्ति मिलती है।
4-गुरुवार कि अमावस्या:-गुरूजनो का अपमान मुख्य दोष है,ओर बड़ो का अपमान,अधिकारियों मे परस्पर चुगलखोरी करके काम निकलने,शिक्षा विभाग कि नौकरी मे अध्यापको को कष्ट पहुंचाना,आदि से मुक्ति के लिये वर्तमान गुरु जी के प्रति पुरा सम्मान व गुरु मंत्र की सर्वश्रेष्ठता को ही महत्त्व देना,गुरु कार्यो को महत्त्व देना,ओर सन्तो के प्रति सम्मानजनक शब्द बोलना,अध्यापकों को सम्मान देना,उनकी पत्नियों की सम्मान देना,धार्मिक कार्यों व उत्सवों की व्यवस्था में यथासम्भव सहायता करनी,मन्दिर में केले के व्रक्ष लगाने,शैक्षिक संस्थानों में धांधली नहीं करना व प्रथम पुत्र होने की लालसा में प्रथम पुत्री होने पर उसे कोसना छोड़ने आदि से ये गुरु दोष में शांति मिलती है।
5-शुक्रवार की अमावस्या:-इस शुक्र के दिन की शुक्र अमावस्या में होने वाले दोष में,पराई स्त्री या पुरुष के प्रति कामुकता का भाव रखते हुए,उसको किसी न किसी तरहां परेशान प्रताड़ित करते हुए अपने से जोड़ने को प्रयत्न करना ओर लाभ तन और धन की वसूली करके उठाना व बदनाम करना,लोगो की सेक्सुअल समस्याओं की दवाईयों के अधिक पैसे लेने और उन्हें लाभ नहीं देने से खुद को कन्याओं या नपुंसकता या योनरोगों की प्राप्ति होती है।
समाधिस्थ पितरों की समाधियों को हानि पहुँचाना या उनकी ओर पेशाब करना,या उनकी पुताई व मरम्मत नहीं करना,समाधिस्थ संतों के ट्रस्टों का धन खाना,हड़पना,स्त्रियों को गालियां देना या केवल पुरुष देवो को पूजना पर उनकी स्त्री देवियों को नहीं पूजना,फकीरों के फटकारना,हरे पेड़ या बगीचों को उजाड़ना,तोतों को मारना आदि दोषों से हानि पहुँचती है,यो ऐसे कार्य नहीं करे और ऐसी किसी भी समाधि की पुताई व मरम्मत कराएं,तो शांति मिलती है।
6-शनि अमावस्या:-किसी के खेतों में जाकर अन्न व्रद्धि को रोकने को टोटका करना,शनि दोष अधिकतर जादू टोने,तंत्रमंत्र मुठ चौकी का उपयोग किसी को अहित करने के लिए करने या करने से मिलता है।और पीपल ओर बड़, पिलखन के पेड़ काटने ओर नया नहीं लगाने से बनता है।
ओर शनि अमावस्या में किसी के खेतों में जाकर अन्न व्रद्धि को रोकने को टोटका करना,शनि दोष अधिकतर जादू टोने,तंत्रमंत्र मुठ चौकी का उपयोग किसी को अहित करने के लिए करने या करने से मिलता है।और पीपल ओर बड़, पिलखन के पेड़ काटने ओर नया नहीं लगाने से बनता है।
श्मशान की साधना और वहां के देवी देव की तांत्रिक विधि से आराधना या अघोर विद्या या शावर मंत्रों की साधना करके गृहस्थी में रहते हुए उस धन से गृहस्थी चलाने से शनि अमावस्या का दोष बनता है।पितरों की संपत्ति को बढ़ाने की जगहां उसे कम करना खाते मौज मारने से बड़ो के मन को चोट लगने से मिले शाप से अगले जन्म में कर्ज ओर गरीबी और गालियों भरा जीवन मिलता है।यो लोगो के भले को प्रार्थना ओर पूजा करे और लोगो से मिलकर सामूहिक हवन के आयोजन कराए तो शीघ्र लाभ मिलेगा।
7-रवि अमावस्या:- इसमे अपने बड़े भाई,बड़े ताऊ,बड़े मौसा,फूफा यानी बड़ी बहिन,ताई आदि जैसे रिश्तों को किसी भी तन,मन,धन की हानि करके दुखी करने से ओर अपने घर के मुख्य पुरोहित पण्डित को सम्मान नहीं देने से,किसी का सोना चुराना या उसमें कटौती करने से,किसी के बड़े बच्चे के बाल काट लेने की तांत्रिक क्रिया कराने से,या बड़े बेटे बेटी को जायजाद में कम देने से,सूर्य ग्रहण में भोग विलास करने से,सूर्य ग्रहण में गन्दी तांत्रिक साधना करने से सदा अपयश,प्रमोशन,पहला पुत्र या पुत्र या सन्तान नहीं होना,गर्भ गिरने,शरीर पर विभिन्न कुष्ठ रोग होने के दोष मिलते है,ध्यान रहे कि,विशेष कर मनुष्य की मृत्यु के अंतिम समय मे असाध्य बीमारी से रोग भोगते हुए मृत्यु में बहुत देर होना मुख्य दोष है,यो सूर्य ग्रहण में,अपने को इन दोषों से क्षमा करने का संकल्प लेकर या किसी पण्डित या जापक परिजन के द्धारा,इस निवारण हेतु, बहुत जप तप करना व कराना और दान करना चाहिए और इस रवि अमावस्या को भी ऐसा ही करना चाहिए।
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जय सत्य ऊं सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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