कारण बताओ..??की क्यों वंचित करें,साई बाबा को उनके प्रिय पेय भोग तंबाखू भरी चिलम के भोग से,जैसा कि नित्य आरती में अन्य लगाए जाने के भोग को खिलाते है?इस लेख में मेरा साई बाबा व शिव जी से कतई विरोध नहीं बल्कि मेरी व्यक्तिगत रूप से भी उनके चरित्र से समर्थन करता हुआ एक सामाजिक व न्यायिक मांग है,मेने स्वयं अपनी ननसाल लोहलाडा सैदपुर बुलन्दशहर में सन 14-15 में साई बाबा मंदिर का निर्माण करके उनकी व अनेक देवी देव की वहाँ स्थापना कराई थी..

कारण बताओ..??की क्यों वंचित करें,साई बाबा को उनके प्रिय पेय भोग तंबाखू भरी चिलम के भोग से,जैसा कि नित्य आरती में अन्य लगाए जाने के भोग को खिलाते है?इस लेख में मेरा साई बाबा व शिव जी से कतई विरोध नहीं बल्कि मेरी व्यक्तिगत रूप से भी उनके चरित्र से समर्थन करता हुआ एक सामाजिक व न्यायिक मांग है,मेने स्वयं अपनी ननसाल लोहलाडा सैदपुर बुलन्दशहर में सन 14-15 में साई बाबा मंदिर का निर्माण करके उनकी व अनेक देवी देव की वहाँ स्थापना कराई थी..

साई बाबा को शिरडी में आने से लेकर अपने समाधिस्थ होने तक प्रतिदिन में कम से कम दिन में अनेक बार तम्बाखू भरी चिलम पीने की नित्य आदत थी,
तब आज उनके प्रत्यक्ष जीवन पर प्रमाणिकता को प्रदर्शित ओर सिद्ध करती उनकी सद्चरित्र कथाओं पर बनने वाली फिल्में ओर सीरियल में कहीं भी उन्हें तंबाखू की चिलम पीते नहीं दिखाया जाता है,आखिर क्यों??इस विषय मे सामाजिकता में उठे इस प्रश्न की ओर से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कह ओर न्यायिक मांग कर रहे है कि..

न्यायिक मान्य आधिकारिक कारण:-

आज कल समाज मे प्रचलित अनेक सत्यकथाओं पर आधारित अनेक काल्पनिक पात्र आदि के रूप में उसी चरित्र पर आधारित शराब पीते,सिगरेट पीते,चिलम पीते व अनेक ड्रग नशा करते आदि को साक्षात दिखाते हुए भी,केवल नीचे सेंसर बोर्ड का विज्ञापन लिखा आता है कि,””धूम्रपान करना और शराब पीना स्वस्थ के लिए हानिकारण है,इससे अनेक असाध्य मृत्युतुल्य रोग होते है””।
ताकि इस विज्ञापन से समाज मे इस विषय पर स्वस्थ सरकार की ओर कानूनी मान्यता निषेध है,फिर भी इस सब फ़िल्मांक के दोनों पक्षों के समान रूप से एक साथ प्रदर्शन के चलते भी सब शराब व ड्रग्स,चिलम भांग आदि पीते दिखाते है।
ये तो हुआ काल्पनिक चरित्र का फ़िल्म व सीरियल वालो का फ़िल्मांक ओर उस पर स्वस्थ विभाग की न्यायिक प्रतिक्रिया रूपी प्रतीकात्मक विज्ञापन प्रतिक्रिया।

अब विषय आता है,प्रमाणिक जीवनियों पर धार्मिक आध्यात्मिक सन्देश को प्रबलता से जनमानस में प्रचारित करता सत्यता को प्रदर्शित करता ये फ़िल्म जगत ओर सीरियल जगत का फिल्मांकन:-

क्यो वंचित करें साईं बाबा व शिव जी को उनके प्रिय पेय भोग पदार्थ से:-
काल्पनिकता के चित्रण को फिल्मांकित करती ये फिल्में सीरियल में तो ऊपर बताया अपना ओर स्वस्थ विभाग जा सेंसर बोर्ड का विज्ञापन दिखाते है,
जबकि यथार्थ में 1857 से 16 साल की आयु से लेकर 1918 दीपावली तक अपने म्रत्यु काल तक के जीवन मे नित्य प्रतिदिन अनेकों बार तंबाखू पीते साक्षात उनकी “साई चरित्र पुस्तक” आदि में प्रमाणिक रूप से वर्णित लिखित होने पर…

प्रमाण-1-

साई सद्चरित्र अध्याय-5-
जिला औरंगाबाद (निजाम स्टेट) के धूप ग्राम में चाँद पाटील नामक एक धनवान् मुस्लिम रहते थे । जब वे औरंगाबाद जाकि रहे थे तो मार्ग में उनकी घोड़ी खोगई । दो मास तक उन्होंने उसकी खोज में घोर परिश्रम किया, परन्तु उसका कहीं पता न चल सका । अन्त में वे निराश होकर उसकी जीन को पीट पर लटकाये औरंगाबाद को लौट रहे थे । तब लगभग 14 मील चलने के पश्चात उन्होंने एक आम्रवृक्ष के नीचे एस फकीर को चिलम तैयार करते देखा, जिसके सिर पर एक टोपी, तन पर कफनी और पास में एक सटका था । फकीर के बुलाने पर चाँद पाटील उनके पास पहुँचे । जीन देखते ही फकीर ने पूछा यह जीन कैसी । चाँद पाटील ने निराशा के स्वर में कहा क्या कहूँ मेरी एक घोड़ी थी, वह खो गई है और यह उसी की जीन है ।

फकीर बोले – थोड़ा नाले की ओर भी तो ढूँढो । चाँद पाटील नाले के समीप गये तो अपनी घोड़ी को वहाँ चरते देखकर उन्हें महान् आश्चर्य हुआ। उन्होंने सोचा कि फकीर कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, वरन् कोई उच्च कोटि का मानव दिखलाई पड़ता है । घोड़ी को साथ लेकर जब वे फकीर के पास लोटकर आये, तब तक चिलम भरकर तैयार हो चुकी थी । केवल दो वस्तुओं की और आवश्यकता रह गई थी। एक तो चिलम सुलगाने के लिये अग्नि और दितीय साफी को गीला करने के लिये जल की ।फकीर ने अपना चिमटा भूमि में घुसेड़ कर ऊपर खींचा तो उसके साथ ही एक प्रज्वलित अंगारा बाहर निकला और वह अंगारा चिलम पर रखा गया । फिर फकीर ने सटके से ज्योंही बलपूर्वक जमीन पर प्रहार किया, त्योंही वहाँ से पानी निकलने लगा ओर उसने साफी को भिगोकर चिलम को लपेट लिया । इस प्रकार सब प्रबन्ध कर फकीर ने चिलम पी ओर तत्पश्चात् चाँद पाटील को भी दी । यह सब चमत्कार देखकर चाँद पाटील को बड़ा विस्मय हुआ।

यो इस अध्याय में वर्णित होने पर भी.. इनके मंदिरों में प्रातः-दोपहर-साय-रात्रि के साई आरती व भोग लगाने में अन्य खाद्य वस्तुओं के साथ साथ इनकी प्रिय भोग तम्बाखू की चिलम भी पिलाने का भोग लगाना चाहिए और साथ ही ठीक इसी प्रकार से इनके सद्चरित्र को प्रचारित करती इन साई बाबा की फिल्मों व सीरियलों में भी उन्हें साई बाबा को चिलम पीते अवश्य दिखाना चाहिए।तब क्यो वंचित करें,साई बाबा के भक्त लोग और इस भक्ति व ज्ञान प्रधान सन्देश देते यथार्थ सद्चरित्र को प्रदर्शित प्रचारित करते इनके चित्रण द्धारा साई बाबा के सबसे प्रिय पेय भोग तंबाखू भरी चिलम पीने से??
जब सब सत्य दिखा रहे है,तो उनके इन प्रिय पेय भोग तंबाखू की चिलम को भी पीते अवश्य दिखाना चाहिए।
अन्यथा इस तम्बाखू चिलम के भोग को गलत निषेध सिद्ध करें।

ठीक ऐसे ही शिव जी को भांग का भोग लगाना शास्त्रों में वर्णित होने पर ओर समाज मे शिव भक्तों में प्रबलता से प्रचलित होने पर,उनकी फिल्मों व सीरियलों में क्यो नहीं दिखाया जाता है?
जबकि दिखाया जाना चाहिए।

तब भी सेंसर बोर्ड को साई को तम्बाखू भरी चिलम व शिव को भांग पीते दिखाते में उसके नीचे अपनी विज्ञापन प्रसारित करना चाहिए कि,धूम्रपान स्वस्थ को हानिकारक है।तब ऐसा क्यों नहीं?
जब सब सत्य दिखा रहे है,तो उनके इन प्रिय पेय भोग भांग ओर धतूरे को भी पीते अवश्य दिखाना चाहिए।

अन्यथा इस तम्बाखू चिलम भांग पीने के भोग को गलत निषेध सिद्ध करें।

यदि सेंसर या फ़िल्म वाले या सीरियल वाले इस सब सन्त महात्माओं व देवताओं व भगवान के सद्चरित्र को समाज मे प्रचारित ओर प्रसारित करते है,तब जो सत्य है,वो यथास्थिति ही दिखाना चाहिए।

हमारी न्यायालय से मांग है,इस सब प्रश्नों के सभी पहलुओं को अपने संज्ञान में रखते उचित न्यायिक कार्यवाही करें।

स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
सत्य ॐ सिद्धाश्रम शनिदेव मन्दिर कोर्ट रोड़ बुलन्दशहर(उ.प्र.)

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