सत्यास्मि ग्रँथ में नाम जप विधि ओर नाम की महिमा का यशगान करते स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते है कि…

सत्यास्मि ग्रँथ में नाम जप विधि ओर नाम की महिमा का यशगान करते स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी कहते है कि…

सुमरो सुमरो सत्य ॐ की माला
सुधरे कर्म खुल भाग्य विशाला।
सत्य जप आती,ॐ जप जाती
खिले प्रकाश अंतर्ज्योति उजाला।।

मैं और तू है भूल कौन सब
केवल जप ले नाम का सुख।
ध्यान धर केवल नाम जप
मन वश में हो मिटे सब दुःख।।

सत्य पिंगला पुरुष नर नारायण
ॐ इंगला महापूर्णिमाँ नारी।
ह्रदय सिद्धायै सृष्टि हो स्वरूप
नमः नमन हो स्वयं आत्मधारी।।

जगे कुंडलिनी अष्ट ईं चक्रधर
फट् प्रस्फुटित हो चार वेद ज्ञान।
स्वाहा होकर उपनिषद् हो प्रकट
एक सो आठ महामंडल होता भान।।

यो नाम जपो और जपे नाम जा
कोहम् छूटे सोहम यो पावे।
मैं ही सत्य अनादि ॐ हूँ
अनहद नांद आत्मसाक्षात पावे।।
यो है शिष्य सदा आती और जाती सांस पर सत्य ॐ नाम का अखण्ड जप करता रहा,तू खुद ही कुछ ही समय मे अपनी इंगला पिंगला नाड़ियों की शुद्धि करके कुंडलिनी जाग्रत करता हुआ,काम की शुद्ध अवस्था प्रेम यानी सिद्धायै को प्राप्त होकर सहस्त्रार चक्र में अपने ही अंदर के स्त्री और पुरुष के युगल स्वरूप का यानी नमः का दर्शन करेगा और अंत मे आत्मसाक्षातकार की प्राप्ति कर आत्म मोक्ष की प्राप्ति करेगा।यो सब अवस्था के केवल एक ही नाम जाप करता जा।सत्य ॐ सिद्धायै नमः।।

स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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