माता पूर्णिमां की भक्ती में शक्ति का प्रेम देवित्व प्रकाश से कुरूतियों की हुई समाप्ति-भाग-9…

माता पूर्णिमां की भक्ती में शक्ति का प्रेम देवित्व प्रकाश से कुरूतियों की हुई समाप्ति-भाग-9…

जय देवी भगवती सत्यई पूर्णिमा को नमन,आज मैं शालिनी भक्त शक्ति की उपासना और स्थापना उपरांत एक सत्य घटना से रूबरू कराती हूं।बात है भगवती सत्यई पूर्णिमा श्री भग पीठ मंदिर पथवारी आश्रम जहांगीराबाद जहां पर कुछ ही महीनों पहले सत्यई पूर्णिमा महादेवी की प्रतिमा स्थापित गुरुदेव सत्य साहिबजी के निर्देशानुसार की गई थी। पर तब ये पथवारी आश्रम नशे की जगह बना हुआ था और बहुत से नशेड़ी वहां ग्रुप बनाकर इधर से उधर तक बैठे कर नशा करते थे और यो यहाँ अनेक सुंदर मन्दिर होने पर भी काफी वातावरण प्रदूषित हो गया था।भक्त जन इधर आने में कतराते थे,ओर इसी सबको लेकर मैं भी परेशान थी कि ये पवित्र स्थान दूषित होता जाता है,जब ये जगह पहले से ही विवादित थी कि इस सबके विरोध में सबसे पहले वहाँ का प्रतिष्ठित समाज के लोग इसका विरोध करते थे,लेकिन फिर भी मतभेद रहते हुए ये सब नशा आदि व्यसन चल रहे थे।लेकिन देवी पूर्णिमां की प्रतिमा स्थापित होने के बाद ही ये व्यसन का सिलसिला कम होते होते अब समाप्त हो गया है और पूरे पथवारी आश्रम का वातावरण अब देवी सत्यई पूर्णिमा के धार्मिक अनुष्ठनों और घंटो की आवाज़ और धूपबत्ती की महक से सारा वातावरण भक्तों की माँ की जय जयकार की प्रबल गूंज से भक्ति मय प्रतीत होने लगा है।कारण माता के वहाँ के सदूर तक के भक्तों के साथ हुए अनगिनत चमत्कार,वहां बनवाये कमरों में ओर बरामदे में एक नशेड़ी बाबा जी बहुत समय से नशेड़ियों को बढ़ावा देता,अपना अड्डा जमाये था,पंखे में बैठकर झूठी तंत्रमंत्र क्रिया करते,भय पैदा करता वारावरण बनाकर उधर आने वाले भक्तों में भय को बढ़ावा देता,हमनें माता की स्थापना के समय ज्योही अखण्ड ज्योत की प्रतिष्ठा करी ओर यज्ञानुष्ठान प्रारम्भ किये,ओर माँ से उस सम्बन्ध में प्रार्थना की,इसका समाधान करो,बस क्या था,वो बाबा कुछ दिनों में ही वह स्थान छोड़कर जाने कहाँ चला गया,पता करने पर उसके नशेड़ी चलों ने बताया कि,बाबा को लगातार स्वप्न में देवी दिखी,की अब तू यहां से जा,जा तप कर,अब यहां तेरा समय पूरा हुआ,बारबार एक ही स्वप्न देख,बाबा अपने को किसी अनिष्ट से आगाह करती माता की आज्ञा मानकर चला गया।जब बाबा नहीं,तो उसकी जमात नहीं।
तो ये है महाशक्ति की भक्ति का प्रभाव।और माँ के चारो नवरात्री में यहां भक्तों की भीड़ और प्रसाद बटने से,लगातार होने वाले यज्ञों की आहुतियों की सुगन्धित महक से सारा वातावरण भक्ति मय हो जाता है।यो जितना आप भगवान की भक्ति का विस्तार करते हो,उतना ही आपके दुखों को काटकर भगवान भी सुख का सवेरा ओर सदा कल्याण का दिव्य उजाला भक्तो के जीवन मे करता है,यो अपने मंदिरों में व्यक्तिगत लाभ के साथ साथ सामाजिक उन्नति को भी यज्ञानुष्ठान करते रहें,ओर सभी सहित अपना तो कल्याण माता पूर्णिमां खुद करती है।इस सम्बंध में मेरे अनेक दिव्य अनुभूति है,जिनमें एक अभी इस लेख लिखने की प्रेरणा के लिखने से पूर्व हुई कि, एक भक्त हैं शालू नाम की वो अकसर मेरे पास आया करती है, वो यहीं जहांगीराबाद में ब्यूटीशियन का काम करती है।वो कई दिन पहले मेरे पास आई और बोली कि आंटी मै पूर्णागिरी देवी के दर्शन करने को जाऊंगी,यदि आपको प्रसाद के लिए दान भिजवाना है, तो मुझे दे दो मै चढ़ा दूंगी। मैंने अपने पुत्र जय से लेकर 200 रुपए दे दिए।वो माँ पूर्णागिरि से आज आकर उसने मुझे प्रसाद का थैला दिया, मैंने उसे माथे से लगा अपने घर में बने मंदिर में जाकर बैठ गई तो उसमे माँ पुरनो की एक तस्वीर भी थी, तो मैंने वो पूर्णिमा देवी की प्रतिमा के पीछे रख दी और अनायास ही प्रसाद निकाल कर मैंने पूर्णिमा देवी को भोग लगाया तो,एक आवाज़ आई मुझे भोग लग गया अब तू खा ले।ये सुन मेरी साथ ही भावावेग से आंख भर गई और मन मै विचार कोंधा की पूर्णिमा देवी ही मै सर्व देविओं का स्वरूप समाहित है।माँ पूर्णागिरि यानी माँ पूर्णिमां,जो गिरी पर्वत पर भी निवास करती है।इसी भावावेश के चलते मुझमें मन्त्र चलने लगा,साथ ही भाव मे ही इस मंत्र जाप को गुरु चरणों में अर्पित कर जप कर रही थी और ध्यान भी स्वमेव चल रहा था, तो तभी स्पष्ट ही, मैंने स्वयं के चेहरे की जगह सत्यई पूर्णिमा के पीताम्बर चेहरे को देखा वही माता का मुखमंडल।अद्धभुत कृपा दर्शन,मुख से निकला,
माँ तुझमें ही सब हैं, जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
इसलिए श्रद्धा से जयकारा लगाए, जय सत्य महा शक्ति पूर्णिमा माता की जय सत्य नारायण भगवान की।

तो माता के भक्तों…

चैत्र पूर्णिमां को प्रेम पूर्णिमा व्रत,जो कि पतियों के द्धारा अपनी पत्नियों ओर सन्तान के सभी सुखों ओर प्रेम की प्राप्ति के लिए 19-अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को पांचवीं बार मनाया जाएगा,आप भी अवश्य मनाये,
ओर महावतार सत्यई पूर्णिमां का सदा सुखी रहने वाला वरदान की प्राप्ति करके,आप पर किसी भी प्रकार का ग्रह या काल,पितृ, ग्रहण,शाप आदि दोष हो,वो क्षमा होकर आपको ओर आपके परिजनों को संतान, शिक्षा,नोकरी,कर्ज से मुक्ति,स्वास्थ लाभ,उन्नति,ग्रहस्थ,विवाह सुख,शांति,वैभव,प्रेम और सदमार्ग की प्राप्ति होगी।

जय गुरुदेव सत्यसाहिब जी की जय
तारक नाम सभी समय बोलो जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
Www.satyasmeemission.org

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