विश्व वानिक दिवस 21 मार्च पर सत्यास्मि मिशन की ओर से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की रचित कविता के माध्यम से वृक्ष लगाओ,एक विश्वव्यापी जनसंदेश…..
वैसे तो इन्हीं दिनों हमारा होली का उत्सव भी पड़ता है,जिसमे सम्पूर्ण देश मे अनगिनत वजन की लकड़ियां हमारे द्धारा जलाकर ख़ाक कर दी जाती है,हमारी परंपरा में गोबर से बने कण्डे ओर वृक्षों को फाल्गुन में छांटकर प्राप्त लकड़ियां को एकत्र करके एक मुख्य स्थान पर विधिवत शास्त्रीय उपाय को करते होली के उत्सव पर जला दिया जाता था।इसके पहले जमाने मे तो अनेक लाभ होते थे,की वृक्ष की लकड़ियां खेतों में पड़ी अनाज बोने में व्यवधान डालती थी,या अतिरिक्त पुरानी इकट्ठी लकड़ियों के खराब हो जाने पर उन्हें खाना बनाने को जलाने में उपयोग नहीं लिया जा सकता था,साथ ही नये छप्परों में भी पुरानी खराब लकड़ियों को भी निकालकर नई लकड़ियों को लगाया जाता था,तब गांव में एकत्र इन सब अतिरिक्त लकड़ियों को एक सार्वजनिक स्थान पर रखकर त्योहार बनाने में उपयोग में ले लिया जाता था,लेकिन अब जमाना बदल गया है,वृक्ष कम होते जा रहे है,अतिरिक्त लकड़ियां हैं ही नहीं है,ओर देश की जनसंख्या बढ़ती जा रही जाने के साथ साथ सभी गलियों में मनने ओर मनाने वाले लोगो की व्यक्तिगत अहंकार के चलते व्यक्तिगत होली के त्योहारों को अपनी अपनी जगहां में बड़ी बड़ी ऊंची ऊंची लकड़ियों की होली बनाकर जलाने का शानदार प्रदर्शन के साथ मनाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है,तब समस्या ये है कि,इतनी लकड़ियां आये कहाँ से?,पेड़ कम ओर आवश्यकता अधिक।तब क्या होगा,ओर साथ ही इस बहुत सी जगहां जली होली से कितना भयंकर प्रदूषण फैलता है,इस लिए उसमें इलायची ओर कपूर को अच्छी वाली बहुत सी हवन की सामग्री के साथ सभी को अपनी मनोकामना के साथ आहुति देते भी जलाना चाहिए,ताकि प्रदूषण के साथ साथ वायु में फैले मौसम में उपजे रोग के भयंकर कीटाणु भी नष्ट हो,वैसे भी कोई एक ही होली के स्थान पर जाकर होली जलाने ओर मनाने को तैयार ही नहीं है,सभी कारण बता देते है।क्योकि प्रेम और परस्पर सहयोग का का व्यवहार निरन्तर समाज मे से खत्म होता जा रहा है,निरन्तर बड़प्पन बढ़ता जा रहा है,जिस कार्य को ये त्योहार बनाये गए थे,वो सब कारण समाप्त होते जा रहे है,यो अब त्योहार केवल दिखावे में सिमटकर रह गए है,यो त्योहार तो सामूहिक रूप से मनाना चाहिए,ओर विशेषकर हमें नए वृक्ष भी लगाने चाहिए,ताकि ये होली के त्योहार भी उसी प्रकार मन सके,ओर हमारा जीवन भी सुरक्षित रहे,इसी विषय को लेकर विश्व समाज ने ये वृक्ष दिवस को मनवाने के समाज को जनादेश भी दिया है,जिसे स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी व्रक्ष लगाने की प्रेरणा देते कहते है कि ..
आओ विश्व वानिक दिवस मनाये
अधिक से अधिक वृक्ष लगाये।
ये ही हमारे भविष्य धरोहर
इन्हें बचा स्वयं को बचायें।।
वृक्ष को मानो एक हरा परिवार
ये है स्वयं में भूमि आभार।
इन्हीं से धरा सदा जीवित है
हम को देती जीवन उपहार।।
यूँ वृक्ष बढ़ेंगे हम बढ़ेंगे
वृक्ष मरे तो हम मरेंगे।
इन बिन फैले सदा अकाल
इन बिन हम क्या कल करेंगे।।
वृक्षों से रँग बिरँगी धरती
वृक्षों से है ये हरियाली।
वृक्ष से मधुर फल मिलते
जिन्हें खाकर तन आती लाली।।
वृक्ष बिन ना पंक्षी होंगे
और ना होंगे हाथी शेर।
रिक्त पहाड़ ना होगी वर्षा
ना कल कल बहता मिले जल ढेर।।
मिट जायेंगे आकाश के बादल
और मिटे धनुष सतरंगी।
यूँ चलो आज वृक्ष लगाओं
वृक्ष संसार बसाओ नवर्ंगी।।
आओ चलो वृक्ष लगाये
दूषित प्रदूषित विष मिटाये।
प्राण वायु बढ़ाये वृक्ष लगाये
आज कल भविष्य हरित बनाये।।
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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