8 मार्च 2019 अंतराराष्टीय महिला दिवस पर ये थीम है- थिंक इक्वल बिल्ड स्मार्ट इनोवेट फॉर चेंज.और इसकी सत्यता को भी देखें चाहिए की-

8 मार्च 2019 अंतराराष्टीय महिला दिवस पर ये थीम है- थिंक इक्वल बिल्ड स्मार्ट इनोवेट फॉर चेंज.और इसकी सत्यता को भी देखें चाहिए की-
हमें अपने इतिहास के सच्चे पक्ष को उजागर करना और पढ़ना चाहिए,नाकि किवदंतियों से भरे अनावश्यक प्रसंशा के भ्रमित करने वाले इतिहास को,यहां ये नहीं कहा जा रहा है की-कुछ भी नहीं किया,पर इससे केवल थोड़ी देर को मानसिक सन्तुष्टि हो होती है,पर सत्यता और तथ्यों से दूर हो जाता है।यो अपनी कमियों को देखों ओर ढूंढ़ो और उन्हें सुधारों और प्रगति के पथ पर बढ़ो,ये बता रहीं है सत्यास्मि मिशन की जागरूक स्त्री कनिष्का स्वामी..

लक्ष्मीबाई जीवन परिचय:-

लक्ष्मी बाई का जन्म वाराणसी(काशी) ज़िले के भदैनी नामक शहर में 19 नवम्बर 1835 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में था।तभी उनकी माँ की म्रत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था। इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। जहाँ चंचल और सुन्दर मनु ने सब लोग उसे प्यार से “ली” कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली। सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। परन्तु चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम आनंद राव रखा गया।

ब्रितानी राज ने अपनी राज्य विस्तार की हड़प नीति के तहत बालक दामोदर राव के ख़िलाफ़ अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया। हालांकि मुक़दमे में बहुत बहस हुई, परन्तु इसे ख़ारिज कर दिया गया। ब्रितानी अधिकारियों ने राज्य का ख़ज़ाना ज़ब्त कर लिया और उनके पति के कर्ज़ को रानी के सालाना ख़र्च में से काटने का फ़रमान जारी कर दिया। इसके परिणामस्वरूप रानी को झाँसी का क़िला छोड़ कर झाँसी के रानीमहल में जाना पड़ा। पर रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होनें हर हाल में झाँसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया।

झाँसी का युद्ध:-

झाँसी 1857 के संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र बन गया। जहाँ हिंसा भड़क उठी। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा को सुदृढ़ करना शुरू कर दिया और एक स्वयंसेवक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भर्ती की गयी और उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया। साधारण जनता ने भी इस संग्राम में सहयोग दिया। झलकारी बाई जो लक्ष्मीबाई की हमशक्ल थी को उसने अपनी सेना में प्रमुख स्थान दिया।

1857 के सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में पड़ोसी राज्य ओरछा तथा दतिया के राजाओं ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया। रानी ने सफलतापूर्वक इसे विफल कर दिया। 1858 के जनवरी माह में ब्रितानी सेना ने झाँसी की ओर बढ़ना शुरू कर दिया और मार्च के महीने में शहर को घेर लिया। दो हफ़्तों की लड़ाई के बाद ब्रितानी सेना ने शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। परन्तु रानी दामोदर राव के साथ अंग्रेज़ों से बच कर भाग निकलने में सफल हो गयी। रानी झाँसी से भाग कर कालपी पहुँची और तात्या टोपे से मिली।

तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओं ने ग्वालियर के विद्रोही सैनिकों की मदद से ग्वालियर के एक क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया। 18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रितानी सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई।

मुख्य तथ्य:-
21 नवम्बर 1853-54 में लक्ष्मी बाई ने राज्य सम्भाला।
1857 सितम्बर और अक्टूबर के महीनें में ओरछा और दतिया राजाओं से युद्ध हुआ।
1858 के जनवरी महीने में अंग्रेजी सेना झांसी की और बढ़ना शुरू किया।
1858 मार्च में केवल 2 हफ्ते की लड़ाई में लक्ष्मी बाई हार गयी।
18-6-1858 को हुए कुछ पहर के युद्ध में रानी लक्ष्मी बाई वीरगति को प्राप्त हो गयी।

अब यहाँ मार्च से जून तक के दो छोटे युद्ध है,जिनमें ये भागी और अंत में वीरगति को प्राप्त हुयी।

कहाँ है-कोई महान रणनीति।
और कहाँ है-महान सेना संचालन।
और कहाँ है-विजयेता पक्ष।

यो हे-स्त्री.. हमें अपने इतिहास के सच्चे पक्ष को उजागर करना और पढ़ना चाहिए,नाकि किवदंतियों से भरे अनावश्यक प्रसंशा के भ्रमित करने वाले इतिहास को,यहां ये नहीं कहा जा रहा है की-कुछ भी नहीं किया,पर इससे केवल थोड़ी देर को मानसिक सन्तुष्टि हो होती है,पर सत्यता और तथ्यों से दूर हो जाता है।यो अपनी कमियों को देखों ओर ढूंढ़ो और उन्हें सुधारों और प्रगति के पथ पर बढ़ो..

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
Www.satyasmeemission. org

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Scroll to Top