!!भैया दूज की शुभकामना!!

कविता के माध्यम से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी शुभकामना संदेश देते कह रहे है की…

रोली अक्षत थाली रखकर
आशीष का दीप जलाया।
प्रतीक्षा में बेठी है बहिना
मेरा भाई मेरे द्धारे आया।।
आँखों में प्रसन्नता किरणें
जिनमें प्रकाशित दिव्य प्रेम।
भाई के विध्न मिट जाये सारे
संकल्पित ऐसा बहिन योग क्षेम।।
स्नेह से निकट बैठा भाई को
बहिन मंगल गाये गीत।
मिले सदा हम दोनों ऐसे
बिछडें भाई बहिन ना प्रीत।।
सदा बसा रहे भाई घर है
और सुखी रहे भाई परिवार।
मंगल कामना आज यही है
मेरा भाई सुख मेरा सार।।
भाई भी बहिन घर यो आता
करे प्रयास बहिन सब सुख।
मेरी बहिन सम्मान है मेरा
कभी बहिन पाये ना दुःख।।
ईश्वर से यही प्रार्थना करते
भाई बहिन रहे ईश आशीष।
शुभ कर्म सदा हम रहे करते
लक्ष्य पाएं आत्मगत ईश।।
सूर्य के दो पुत्र एक पुत्री
शनि,यमराज और एक यमुना।
जो इनकी आज पूजा करता
उस भाई बहिन कृपा सदा अंगना।।
कार्तिकेय गणेश दो है भाई
इनकी एक बहिन अशोक सुंदरी।
भैया दूज स्मरण इन्हें करके
सदा भाई बहिन शीश रहे सुख चुंदरी।।
राम लखन भरत शत्रुघन
चारो भाई की एक शांता बहिना।
जो भैया दूज स्मरण इन्हें करता
कभी कष्ट उस घर ना रहना।।
कृष्ण बलराम सुभद्रा तीनों
इनका पर्व पूजन है आज।
जो भाई बहिन स्मरण इन्हें करते
उनके कभी ना बिगड़े काज।।
दो संतान पूर्णिमाँ देवी
भाई अमोघ बहिन है हंसी।
भैया दूज स्मरण इन्हें करता
दोनों घर सदा सुख बजे बंसी।।

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