25 नवंबर अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर ज्ञान कविता
इस विषय पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,,
अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस को प्रतिवर्ष विश्व भर में अनेक राष्टीय मंच सामाजिक मंच आदि के द्धारा मनाया जाता है।यह दिवस पूरे विश्व मे महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए मनाया जाता है। यह अभियान महासचिव बान की-मून के महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए एकजुट होने के अभियान का एक हिस्सा है।सयुंक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून ने इस दिवस पर “महिलाओं और लड़कियों पर हो रही हिंसा के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की”. संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं के अधिकारों हेतु ‘ही फॉर सी’ (HeForShe) नाम से एक वैश्विक अभियान की शुरुआत की है।
यह दिवस क्यों मनाया जाता है:-
यह दिवस सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1999 से हर वर्ष 25 नवंबर को पूरे विश्व मे मनाया जाता है। यह दिवस डोमिनिक तानाशाह राफेल त्रजिलो द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता मीराबल बहनों की हत्या के विरोध मे मनाया जाता है।इनकी हत्या सन 1960 मे कर दी गयी थी।
इस सब विषय को लेकर मेरी कविता कुछ स्त्रीगत पीड़ा और समाधान सहित इस प्रकार से है कि,,
अंतर्राष्टीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर कविता
नारी उत्पीड़न बड़ी समस्या
घर घर बढ़ फैला पूरे संसार।
मार पीट बुरा व्यवहार उपेक्षा
अंतिम प्रताड़न मृत्यु दायी बलात्कार।।
बहुत बड़ी संख्या में स्त्री
बन कर जी रही काम बाजार।
बच्ची मनचाहे दाम बिक रही
पुरुषों की भूख निवाला नार।।
पशु बन रहा पुरुष समाज नित
तन की पूरक भूख लिए।
जाल बिछा प्यार नाम पर
धर्म नाम व्यभचार जीये।।
कारण क्या नारी उत्पीड़न
प्रचलित उत्पीड़न दहेज नाम।
दूजा इज्जत नहीं करनी जाने
सास सुसर नन्द न करती काम।।
शक्ल से सुंदर पर समझ नहीं है
है बस पढ़ी लिखी नोकरी पेशा।
बस अलग रहने की बढ़ी तमन्ना
कहे छोड़ सभी को हम रहें विशेषा।।
ऐसे अनेक कारणों के दोष है लगते
जिन पर होती रोज कलह।
बैठती पंचायत रिश्तेदारों की घर
अंत मे झुको या लो तलाक मलह।।
यदि पीहर है कमजोर कोई कारण
या मां नही या नहीं है पिता।
तो दबती है यही सुन बार बार
ये भी नहीं सिखाया तेरी मां ने बता।।
नोकरी पर अच्छी हो तब भी
कहीं खर्च न कर पीहर धन।
आधी बांट तनख़्वा सुसराल दे
उपाय निकाल मारे शोषण के घन।।
बेटी नहीं हो लड़का हो बस
ऐसा नहीं तो रिश्ता खत्म।
करती रह लड़के के चक्कर
गर्भपात या सहती रह सितम।।
देश विदेश जात हो कोई
सभी जगहां नारी प्रताड़ित।
शोषण धर्म में गुपचुप होता
मन तन धन से होकर ताड़ित।।
इस सम्बंधित कानून नियम है
पर उनमें लगता बहुत समय।
साक्ष्य प्रमाणित बीते दुख जीवन
जाने कब मिले न्याय अभय।।
चल रहे सामाजिक आंदोलन
वे भी इसको प्रयाप्त नहीं।
हर स्त्री तक साधन नहीं पहुँचे
लाभ कहीं तो विनाश कहीं।।
इसका समाधान बस एक ही जग में
आध्यात्मिक शक्ति करें विकास।
जननी तू जन संतान तू ज्ञानी
वही तेरे संग बदलेगी इस प्रथा कर नाश।।
आओ आज ही रेहियोग शुरू कर
करें आत्म जागरण का अभ्यास।
आत्मबली बन स्वयं विकास कर
स्वामी बने मिटा परिस्थिती दास।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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