No comments yet

माघ गुप्त नवरात्रि यानी मोक्ष नवरात्रि मनाये, गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ- 2 फरवरी 2022 बुधवार से फरवरी 2022 तक व समापन 10 फरवरी गुरुवार तक रहेगी।

माघ गुप्त नवरात्रि यानी मोक्ष नवरात्रि मनाये,
गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ-
2 फरवरी 2022 बुधवार से फरवरी 2022 तक व समापन 10 फरवरी गुरुवार तक रहेगी।

बता रहें हैं स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,

सनातन धर्म में चार कर्म धर्म पर आधारित चार वेद है,उनमें जो शक्ति भक्ति पूजा है,वो-पहला कर्म धर्म-
अर्थ-शिक्षाकाल व ब्रह्मचर्य जीवन यानी चैत्र नवरात्रि तथा दूसरा कर्म धर्म- काम यानी ग्रहस्थ जीवन- ज्येष्ठ नवरात्रि व तीसरा कर्म धर्म- धर्म वानप्रस्थ व गुरु जीवन यानी क्वार नवरात्रि व चौथा अंतिम कर्म धर्म- मोक्ष सन्यास जीवन यानि माघ नवरात्रि के रुप में मनाने से मनुष्य के चारों कर्मो का दोष शोधन होकर सर्वकल्याण होता है।
चूंकि भक्त लोग केवल दो नवरात्रि- यानी पहली चैत्र नवरात्रि, जो अर्थ कर्म धर्म को सुखी करता है तथा दूसरा क्वार नवरात्रि,जो कि धर्म शक्ति यानी वानप्रस्थ गुरु अवस्था को शक्ति देते है,बस दो को ही मनाते है,बाकी दो ज्येष्ठ नवरात्रि,जो कि-काम यानी ग्रहस्थ जीवन व माघ नवरात्रि,जो कि- मनुष्य जीवन का अंतिम पक्ष मोक्ष सन्यास पक्ष को प्रबल करता है,यही दोनों नहीं मानते है,परिणाम ये दोनों ही कमजोर रहने के कारण व्यक्ति का प्रेम व ग्रहस्थी व संतान जीवन बहुत परेशानी भरा रहता है और जीवन का अंतिम समय बुढापा व सन्यास यानी ईश्वर भजन आदि भी बड़ा रोग आदि से भरा व अपमान कष्टकर यानी बिन मोक्ष प्राप्त करे दुखद गुजरता है।
यो,अब से ही इन गुप्त यानी आध्यात्मिक शक्ति जागृत करने वाली दोनों गुप्त नवरात्रि अवश्य मनानी शुरू करें और ग्रहस्थी व मोक्ष प्रदान वाली नवरात्रि मनाएं।

कैसे मनाये गुप्त नवरात्रि:-

सभी श्रद्धालु भक्तों अपने अपने पूजाघर में श्रीमद् महावतार सत्यई पूर्णिमाँ के चित्र को प्रतिष्ठित करें और उस पर नित्य जल सिंदूर का तिलक करते हुए अपने भी तिलक लगाये,धूप दीप करते हुए, सिद्धासिद्ध महामंत्र “सत्य ॐ सिद्धायै नमः ईं फट स्वाहा” को जपे व यज्ञानुष्ठान करते आहुति प्रदान करें।
महावतार श्रीमद सत्यई पूर्णिमा देवी का षोड़श कला वरदायी महामंत्र “”ॐ अरुणी, यज्ञयी,तरुणी, उरुवा,मनीषा,सिद्धा,इतिमा, दानेशी,धरणी, आज्ञेयी, यशेषी, ऐकली,नवेषी,मद्यई, हंसी,सत्यई पूर्णिमायै नमः स्वाहा।।”” से जप व यज्ञानुष्ठान कर सकते है।
यो,सर्व प्रकार के संकट,12 कालसर्प दोष,पितृदोष,पितृबन्धन,ऋण दोषों,प्रेम ग्रहस्थ सुख भंग दोष,सन्तति सुख बंधन,भूमि दोष,गर्भबन्धन दोष,शरीर बंधन,स्मृद्धिबन्धन,वाहनबंधन,धान्य बंधन,विवाह बंधन आदि से मुक्ति पाते हुए सभी भौतिक व आधात्मिक लाभ ले और आगे भी यही सब सुखों की प्राप्ति हेतु प्रति माह की पूर्णिमा के दिन व चारों नवरात्रियों में व अबकी माघ की गुप्त नवरात्रि में अखंड घी की ज्योत अपने पूजाघर में जलाये और खीर का भोग देवी को लगा स्वयं ग्रहण करें और साय को घर में जो भी बने वो भोजन खाये।नवरात्रि में नो दिन जो बने अधिक से अधिक खीर के प्रसाद बनाकर कुत्तों को प्रतिदिन दें।यही पूर्णिमाँ का सहज व्रत की कल्याण कारी विधि है।

माघ माह के गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ-
2 फरवरी 2022, बुधवार को है व घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 10 मिनट से सुबह 8 बजकर 2 मिनट तक है।

घटस्थापन कैसे करें,सामान्य विधि:-

घटस्थापन में आप एक करवा यानी छोटा घड़ा या पीतल का लोटा लेकर उस पर चारों और चार स्वतिक या सतिया रोली या हल्दी से बनाकर,फिर अपनी मनोकामना कहते हुए संकल्प से उस पर नो बार कलावा लपेटे कर गांठ लगाएं व उसपर एक कच्चा नारियल जिसमें त्रिछिद्र होते है,जो देव या देवी के-दो नेत्र व एक मुख भोग हेतु मान्य होता है,उस पानी वाले कच्चे नारियल पर भी नो बार अपनी मनोकामना कहते संकल्पित कलावा अपना गुरु मंत्र जपते हुए लपेटकर बांधे,ब एक लाल या पीली चुनरी ओढाये या कपड़े को थोड़ा सा लपेटकर,जिसे देव या देवी का सिर ढकना कहते है, फिर उसे लोटे पर अपनी और उसके तीन छिद्रों को करके रखें।प्रतिदिन उस नारियल के मध्य दो नेत्रों के मध्य देव या देवी ललाट मानते हुए रोली या कुमकुम का तिलक लगाएं व खीर या जो प्रसाद हो,उसका तीसरे मुख पर भोग लगाएं।ऐसा तिलक व भोग नो दिन नवरात्रि समापन तक करते रहना चाहिए,अंत मे नारियल को व वहां बची भोग सामग्री व यज्ञ भभूति आदि को नदी या साफ बहते पानी में प्रणाम करते हुए विसर्जन करते है।
ज्योतिषियों के अनुसार,
अनुसार इस बार 19 वर्षों के उपरांत गुप्त नवरात्रि में राहु अपनी मित्र राशि वृषभ में और केतु वृश्चिक राशि में रहेगा।19 साल पहले यानी 2022 से पहले 2 फरवरी 2003 से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ हुई थी, तब उस समय भी राहु वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक राशि में था। सन 2022 की माघ नवरात्र में सूर्य-शनि मकर राशि में रहेंगे। मकर शनि के स्वामित्व की राशि है। सूर्य-शनि एक साथ एक ही राशि में होने से सभी गुप्त आध्यात्मिक शक्तियां यानी साधक की कुंडलिनी शक्ति जागृत होकर इसकी की गई सभी मन्त्र,तन्त्र,यंत्र आदि साधनाएं बहुत शीघ्रता से सफल हो सकती हैं।
वैसे भी इस गुप्त नवरात्रि पर इस बार रवियोग और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है।ज्योतिषीय योग मान्यता है कि इस योग में पूजा करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है। मां पूर्णिमा देवी प्रसन्न होकर भक्तों की सर्व मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
नवरात्रि का समापन-10 फरवरी गुरुवार को होगी।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org

Post a comment