क्या आपके कुंडलिनी चक्र बंद हैं?जिस कारण आपके द्धारा किये गए ध्यान,जप आदि से प्रयत्न से भी योग बंधन नहीं खुल पा रहा है,तो कैसे रेहि क्रिया योग विधि से खोले नवचक्र बंधन
इस योग अवरोध के परमज्ञान को बता रहें हैं,स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,
वैसे तो,संसार के लगभग 99% स्त्री व पुरुषों के चक्र बंद ही होते है।
पहले ये जाने की हमारे शरीर में कुंडलिनी चक्र के मुख्य प्रकार 5 शरीर
1-अन्नमय शरीर
2-प्राणमय शरीर
3-मनोमय शरीर
4-विज्ञानमय शरीर
5-आनन्दम शरीर
में होते हैं,जिनमें मुख्यतया ये चक्र चार शरीर में ही होते है,पांचवे शरीर में ये मुक्त कुंडलिनी शक्ति बनकर विश्वव्यापी होते हैं-जो कि-9 चक्र हैं।
अब ये 9 चक्र कैसे व किस कारणों से बंद रहते है,ये कारण जाने-
1-मनुष्य के अंनत पूर्वजन्मों के अंनत दोषों में से ये निम्न
1-ईश दोष
2-मातृदोष
3-पितृदोष
4-प्रकर्ति भंग दोष
5-सामाजिक नियम भंग दोष
6-ऋण दोष
7-गुरु दोष
8-योग जनित दोष
9-प्रेम-विवाह भंग दोष, इन 9 प्रमुख दोषों के कारण ये 9 चक्र बंद रहते हैं।
आपके पंच शरीरों में किस क्रम से ये 9 चक्रों का क्रम क्या है,ये जाने-
1-मनुष्य का जो पहला अन्नमय शरीर है,उसमें ये 9 चक्रों में से केवल मुलाधार चक्र ही बंद या जागरूक होता है।
2-प्राणमय शरीर में दूसरा चक्र- स्वाधिष्ठान चक्र ओर तीसरा चक्र-नाभि चक्र बंद व जागरूक होता है।
3-मनोमय शरीर में दो चक्र-चौथा चक्र-ह्रदय चक्र और पांचवा चक्र-कंठ चक्र बन्द व जागरूक रहता है।
4-विज्ञानमय शरीर में दो चक्र -छठा चक्र-आज्ञा चक्र और सातवां चक्र-सहस्त्रार चक्र बंद व जागरूक रहता है।
5-आनन्दमय शरीर में द्धेत कुंडलिनी एक होकर सभी चक्रों के भेदन के बाद केवल इच्छा और शक्ति में बंट कर इच्छा शक्ति बनकर विश्वव्यापी से विश्वातीत होकर सदा विद्यमान रहती है,यही ईश चिद्धशक्ति विलास लीला योगी,अवतार आदि बनकर अवतरित होती है।
एक विशेष कारण:-
प्रकार्तिक दोष:-
1-पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण के आपके क्षेत्रीय निवास स्थान कहां है,पृथ्वी के किस ध्रुवीकरण-1-ऋण-2-धन के क्षेत्र में आने पर उस शक्ति की आपमें व्रद्धि या कमी से असंतुलित आदि होने के कारण भी बंद होते है।
उपाय:-सत्यास्मि मिशन द्धारा विश्व के सर्वश्रेष्ठ ध्यान पद्धति रेहि क्रिया योग क्लास से जुड़ , नियमित अभ्यास से सब सहजता से चक्र बंधन खुलकर कुंडलिनी के दोनों प्रकार-उत्तर मार्गीय कुंडलिनी शक्ति,जो सिर से ह्रदय चक्र तक प्रवाहित है-2-वाम मार्गीय कुंडलिनी शक्ति,जो मुलाधार चक्र से ह्रदय चक्र तक है,यो दोनो मिलकर सम्पूर्ण कुंडलिनी चक्र बनकर जाग्रत होकर सर्वकल्यानी व आत्मसाक्षात्कार की उपलब्धि होती है।
यो,पहले इन सारे चक्रों को खोलने के लिए धर्म ने 3 उपाय बताए हैं-
1-सेवा2-तप 3-दान,
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जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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