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विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस World Day to Combat Desertification and Drought 17 जून पर ज्ञान कविता

विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस World Day to Combat Desertification and Drought 17 जून पर ज्ञान कविता

इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से इस प्रकार कहते है कि,

हर वर्ष 17 जून को विश्व भर में विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस यानी World Day to Combat Desertification and Drought मनाया जाता है। इस दिवस का मूल उद्धेश्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर परस्पर सहयोग से बंजर और सूखे के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए जन जागरुकता को बढ़ावा देना है।

विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस का इतिहास:-

वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन को कार्यान्वयन करने के लिए विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम और सूखा दिवस की घोषणा की थी।यो,इस सम्बन्धित पहला विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस यानी WDCD वर्ष 1995 से मनाया गया था।

जाने मरुस्थलीकरण क्या है:-

मरुस्थलीकरण जमीन के जल कम होने से,औद्योगिक क्रांति के चलते रासायनिक पदार्थो के मल का निकासन का कोई ठोस निवारण नहीं होना,जैविक उर्वरकता की नवीन तकनीकों की उपयोगिता नही अपनाना,जनसंख्या वृद्धि से भूमि कम पड़ती जा रही है,खेती के पुराने तरीके से उत्पादकता की कमी,रासायनिक खादों का अधिक उपयोग करने और वृक्षो की कटाई ओर वृक्षारोपण को बहुत कमी होने से मौसम पर बड़ा भयंकर प्रभाव होने से गर्मी बढ़ती जाने आदि कारणों से भूमि का निरंतर अनुपजाऊ हो जाने की प्रक्रिया है।यो इन सबको ध्यान में रखकर इन सभी कारणों को जनसाधारण को इस दिवस पर विश्व स्तरीय प्रचार प्रसार से जनचेतना देकर भविष्य में क्या होगा, उस ओर चेतना आदि है।

यो इस दिवस पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की ज्ञान कविता इस प्रकार से है कि,

विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस World Day to Combat Desertification and Drought पर ज्ञान कविता

खत्म हो रही उत्पादक क्षमता
रासायनिक उर्वरकों के उपयोग।
बढ़ती जा रही बन बंजर भूमि
प्रकार्तिक खाद कर बिन उपयोग।।
वृक्ष खत्म बारिश है कम
ओर बढ़ती गर्मी भूमि तप।
जल बिन सूखती जा रही
जल साधन महंगे धन अधिक खप।।
अधिक आबादी भूमि कम है
उपयोगी भूमि बनी व्यवसाय।
होड़ मची धनिक बनने की
खेती छोड़ उसे बेक बढ़ाते आय।।
कहीं बाढ़ अधिक कहीं सूखा
कहीं तकनीक ज्ञान नहीं नवीन।
कहीं ज्ञान विज्ञान है तो भूमि कम
तो कहीं औद्योगिक व्यवसाय रहा छीन।।
सबसे पहले पेड़ बढ़ाये
दूजे बढ़े परियोजना जल।
तीजे बढ़े फसल जैविक उर्वरकता
चौथे हर बूंद सिंचाई हो नल।।
पांचवें नियंत्रित हो जनसंख्या
छटे वनीकरण प्रोत्साहन बढ़ाएं।
हर मनुष्य इस ज्ञान सम्पन्न हो
मरुस्थलीकरण इन उपाय घटाएं।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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