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अभी तक हुए अनेक मिशनों ओर उसके मिशनरियों का मुख्य उद्देश्य क्या ओर कैसे तथा किस नियमों पर वर्तमान से भविष्य तक उनके सामाजिक व भौतिक आध्यात्मिकता की सर्वोच्चतम अवस्था की सफलता पर निर्धारित व टिका होता है ओर इसी संदर्भ में सत्यास्मि मिशन के प्रमुख ओर उपप्रमुख नियम आधार क्या है

अभी तक हुए अनेक मिशनों ओर उसके मिशनरियों का मुख्य उद्देश्य क्या ओर कैसे तथा किस नियमों पर वर्तमान से भविष्य तक उनके सामाजिक व भौतिक आध्यात्मिकता की सर्वोच्चतम अवस्था की सफलता पर निर्धारित व टिका होता है ओर इसी संदर्भ में
सत्यास्मि मिशन के प्रमुख ओर उपप्रमुख नियम आधार क्या है

इस सबको लेकर एक क्रमबद्ध रूप से 12 प्रमुख तथ्यों को रखते नए बता रहें है,श्री सदगुरुदेव स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी,की प्रत्येक सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए ये 12 प्रमुख नियम होते है,जो कि इस प्रकार से है कि,

1-उसकी आत्मीक यानी आधात्मिक धार्मिक नींव मजबूत और खुली ओर कट्टर सोच की होनी चाहिए।

जैसे:-सत्यास्मि धर्म ग्रँथ का नियमित पाठ ओर उस पर चिंतन करते हुए उसे समझना और समझाना है।

2-उसकी भौतिक जगत के अनेक स्तर पर बंटे व्यक्तियों की व्यक्तिगत विचारधारा को धीरे ओर सहज रूप से मुख्यधारा की उन्नति में सहयोगी के रूप में जोड़ना ओर उन्हें मूल विचार आत्मिकत्त्व पर स्थिर होने को ही प्रेरित करना होनी चाहिए।

जैसे:-मिशन से जुड़े लोगों से निरंतर परस्पर सम्पर्क करते हुए अपने सहयोगियों की व्रद्धि करना।उन्हें इसके उच्चतर उद्धेश्य से जोड़ना चाहिए।

3-नियमिता नियम्बन्धता सुद्रढ़ अवश्य रहे।

जैसे:-जो भी नियम है,स्वाध्ययन, व्यायाम,सेवा,जप,तप,दान,संपर्क आदि,वो सदा उन्नतिकारक बना रहे न कि परिस्थितिवश टूटता रहे।

4-प्रशासनिक या राजनीतिक पक्ष का उपयोग धर्म मे हो और उस सत्ता पर नियंत्रित पर प्रभावशाली पकड़ होनी चाहिए।ताकि मिशन का जीवंत प्रभाव बना रहे।

जैसे:-आप जिस भी क्षेत्र में हो,चाहे व्यापारिक,राजनीतिक,सामाजिक संगठन आदि,उसके साधनों का सदउपयोग अपने धार्मिक उन्नति में भी सहयोगी बन ओर बनाकर होना चाहिए।

5-सदा अध्ययन करते हुए आत्ममंथन करते रहने और उस पर व्यापक दृष्टिकोण होकर कार्यरत रहा जाये।

जैसे:-अब मेने तो सब अध्ययन करके एक नियम बना लिया,उस पर चलना है,ये सही है,पर उस पर भी परिस्थितियों के अनुसार गहन अंतरदृष्टि रखते हुए मनन होते निष्कर्ष निकलते बढ़ते रहने चाहिए।

6-मूल आत्मीक स्थिति कभी ढीली नहीं पड़े,वही मुख्य हो।

जैसे:-जिस रास्ते पर चल निकले हो,यदि वो पूर्व चिंतन मनन अनुभव करते हुए पक्का किया है,तो अब फिर उसको बार बार पलटने से वो कहीं का नहीं रहेगा,कोई उच्च लक्ष्य नही देगा।

7-समाज की हर इकाई की उन्नति और उनकी सहायता का सही अर्थ निकाल कर उसको प्रयोगात्मक रूप में उपयोग किया जाए।

जैसे:-परिवार हो या क्षेत्र या देश या विश्व स्तर पर कोई जन समस्या,विपदा,आपदा,आंदोलन,आदि उन को जानो ओर उनमें अपनी सामर्थ्यानुसार जुड़कर सहयोग करो।

8-अपने से जुड़े दूर सदुर लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्षरूप से सभी साधनों से अपने से जोड़ने का सदा प्रयत्नशील रहना चाहिए।

जैसे:-आपके जो परिचित है,उनसे ओर उनके जो परिचित है और जिन्हें हम नहीं जानते ओर अपरिचित है,पर वे विद्धान ओर सक्रिय है,उनसे जुड़ना ओर जोड़ने को लगातार नियमिता रख सम्पर्क बनाये रखना चाहिए।उन्हें अपने ओर अपने को उनके सम्पर्क से जोड़े रखते हुए उचित लाभ देना और लेना चाहिए।

9-लेखन कार्य,प्रकाशन कार्य और उसका बहुमुखी प्रचार प्रसार सदा सुचारू रूप से चलता रहे।

जैसे:-अपने विचारों को ओर सामाजिक विचारों पर अपना वैचारिक ओर प्रयोगिक ज्ञान क्या कहता है क्या करना चाहिए आदि को अपना अखबार में ओर अन्यों अखबार या पत्रिकाओं में छपवाकर वितरित करना चाहिए ओर भी प्रचार प्रसार के आधुनिक साधन है,उनका इस सम्बन्धित बहुमुखी उपयोग करना चाहिए।

10-समय समय पर समाज और देश की आंतरिक ओर बाहरी आंदोलनों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अवश्य जुड़ाव रखना चाहिए,क्योकि कोई भी इकाई समाज से परे नहीं जीवित रह सकती है।

जैसे:-सदा परिचितो ओर जनसाधारणो की समस्याओं का जो बने अधिक से अधिक उपाय करते हुए उनकी सहायता करनी चाहिए।

11-अपने धर्म का नामकरण अवश्य हो,जो आपकी आध्यात्मिक और भौतिक विचारधारा का मूल हो,तभी उससे जुडा ओर जोड़ा जाता है।
जैसे:-आपके पंथ सिद्धांत का क्या सार नाम है-हमारे धर्म का नाम सनातन धर्म है,जैसे अन्यों का हिन्दू,मुस्लिम ईसाई, सिख्ख आदि।
12-वर्तमान जीवन की पृष्ठभूमि कुछ भिन्न हो सकती है,पर स्मरण रहे मूल भूमि सदा एक ही रहती है,वो परिवतरनशील नहीं है।वही प्राप्ति ओर उस पर स्थिर स्थित रहना ही मुख्य सबका उद्धेश्य है।

जैसे:-आत्मा बार बार जन्म लेती है,बस उसकी मनोकामनाओं के आधार पर शरीर रूपी वस्त्र बदलता है,जो विभिन्न जातिगत,क्षेत्रगत,स्वभावत,रंगत, आकार प्रकार से,पर मूल में आत्मा स्थिर है।जिसका उद्देश्य है-अहम सत्यास्मि।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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