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9 मई महाराणा प्रताप जयंती पर ज्ञानभक्ति कविता

9 मई महाराणा प्रताप जयंती पर ज्ञानभक्ति कविता

इस दिवस पर सत्यास्मि मिशन की ओर से स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी ज्ञानभक्ति कविता के माध्यम से राष्ट्र को महाराणा प्रताप जन्मदिवस पर शुभकामना कविता में इस प्रकार व्यक्त करते हुए कहते है कि,

महावीर महा गौरवशाली।
सूर्य प्रचण्ड लिए महा ताप।।
नो मई पंद्रह सो चालीस को।
जन्में महाराणा प्रताप।।
पिता उदय सिंह माता कँवर जीवत
भाई शक्ति सिंह विश्वास।
वंश सिशोदिया राजपुत पराक्रम
पटपत्नी अजबदे प्रिय रास।।
सात फिट एक सो दस किलो के
बचपन कीका नाम था आप।
राघवेंद्र गुरु के युद्ध कला में कोशल
सदा प्रिय शिष्य प्रताप।।
इक्यासी किलो वजनी था भाला
बहत्तर किलो छाती कवच विशाल।
दो तलवार म्यान सदा रख
एक स्वयं एक शुत्र दे निहथे निढाल।।
अट्ठारह जून पंद्रह सो सड़सठ
चढ़े साठ हजार मुगल सिपाही।
लड़े आठ हजार राजपूत संग
महाराणा प्रताप युद्ध निर्णयी।।
हल्दीघाटी में युद्ध हुआ
महाराणा मुगल मानसिंह बीच।
अकबर ने सब शक्ति झोंकी
पर पाला रहा बराबर बीच।।
सड़तालिस हजार मरे सब मिलकर
राजपूत हुए सभी शहीद।
विजय मिली नही अकबर तब भी
महाराणा ने मिटा दी सब उम्मीद।।
चेतक सा ना घोड़ा कोई दूजा
दिया सदा युद्ध में साथ।
कूद गया छब्बीस फिट खाई
प्राण बचा दिए प्रताप स्व नाथ।।
इस युद्ध में चेतक ने दिखलाये
अपने युद्ध कोशल रण अविराम।
इक्कीस जून पंद्रह सो छियेत्तर
गए चेतक नील वर्ण स्वर्गधाम।।
रामप्रसाद हाथी राणा का
अविजित स्वतंत्र रहा आजीवन।
बंदी बना अपने यहाँ रखने पर
प्राण त्यागे बिन खाये बिन पीवन।।
झुके नही अकबर के आगे
स्वतंत्रता की ले साँस।
लड़े मित्र भील संग राणा
जंगल में रोटी खा घांस।।
उन्तीस जनवरी पंद्रह सो सत्तानवे
महानायक संग हुयी जंगल दुर्घटना।
सत्तावन वर्ष की मध्यायु में
रहे महाराणा प्रताप अमर अमिटना।।
महाराणा प्रताप का जगत संदेश है
स्वतंत्रता है इस जीवन का अर्थ।
जो धर्म देश संग करेगा धोखा
उसका जीवन जीते जी व्यर्थ।।
यो सदा देश की आन को जीओ
और जीओ रह कर स्वतंत्र।
नही झुकने देना धर्म देश का झंडा
मैं महाराणा दे रहा वंदे मातरम् मंत्र।।

बोलो बंदे मातरम्
बोलो जय महाराणा प्रताप की जय
बोलो जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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