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!!संकट कब आता-कब जाता!!

!!संकट कब आता-कब जाता!!

इस ज्ञान सत्संग पर स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी अपनी स्वरचित सत्संग ज्ञानदायी कविता में इस प्रकार से कहते है कि,

झूँठ बढ़े लूट बढ़े
ओर बढ़े वचन में कपट।
पूजा में दिखावा बढ़े
संकट ले तब झपट।।
बेईमानी धन से करे भंडारे
ओर तीर्थ करें मजा।
जप नाम दूजे बुरा
उसे संकट बन हो सजा।।
गुरु शिष्य सौदा बढ़े
अनर्गल नाम दान।
जपे बिन नांद मंत्र
संकट दिखे बुरा बन ध्यान।।
सप्त वचन पंडित भरे
वर वधु भरें बस हां।
झूँठ बना विवाह नींव
संकट उस गृहस्थ सुख ले खा।।
कोन हूँ बिन निज जाने
दूजे जान को ध्यावे ध्यान।
इस भक्ति फल रहित सदा
संकट बन हर पथ दे अज्ञान।।
पेट भर खाये खूब
ना करे पचाने परिश्रम।
सेहत भवन ढय जाएं
संकट सटके मौत बन कर्म।।
जो करोगे वही भरोगे
यो सदा सुधार तू कर्म।
ध्या अपने को मथ कर नित
रेहीक्रियायोग मिटे सब भ्रम।।
नवधा भक्ति मिले तुंझे
नो चक्र कुंडल हो भेदन।
नवरात्रि बने भौर ज्ञानमयी
संकट मिटें सत्यास्मि हो बोधन।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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