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भगवान शनिदेव जयंती 10 जनु 2021 गुरुवार अमावस्या पर शनिदेव जन्मोउत्सव पर विशेष रोग संकट निवारण महाकृपा उपाय,क्या करें जाने

भगवान शनिदेव जयंती 10 जनु 2021 गुरुवार अमावस्या पर शनिदेव जन्मोउत्सव पर विशेष रोग संकट निवारण महाकृपा उपाय,क्या करें जाने

इस महादिवस के विषय मे बता रहें हैं स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी

भगवान शनिदेव जयंती 2021

10 जून 2021 दिन गुरुवार अमावस्या:-

अमावस्या तिथि आरंभ:- 13:57 बजे (9 जून 2021) से ओर

अमावस्या तिथि समाप्त:- – 16:21 बजे (10 जून 2021)तक।

चारों ओर महामारी का महाप्रकोप फैला हुआ है,सभी धार्मिक उत्सवों त्योहारों मेलों कुम्भ ओर गंगा स्नानों पर भारी अंकुश लगा है और जाने कब तक लगेगा और खुलेगा फिर लगेगा कोई विशेष ज्ञात नहीं है।

क्यों हो रहा है,ऐसा भयंकर महा विनाशकारी प्रकोप?

क्योकि पीछे के दो वर्षों से ओर उससे पहले भी,जो शनिदेव की ढईया हो या साढ़े साती हो ओर राहुदेव की क्रुर द्रष्टि हो या अन्य ग्रहों के साथ युक्तियां हो,वो उससे पहले की शनिदेव की ढईया साढ़े साती की सरल और सहजता की क्रूर दृष्टि ओर राहुदेव की क्रूर दृष्टियों जैसी नहीं है,की हलका बहुत लाभ या थोड़ी हानि देकर उतर गई, बल्कि अबकी बार दो वर्षों से लगातार आगे तक भी ओर ज्यादा भयंकर बनकर ऐसा समय ला रहीं है।
यो इन देवों के मंदिरों में जाकर या पीपल पर जाकर सामान्य दर्शन करते तेल और दीपक जलाकर घर आ गए या इनका थोड़ा सा मंत्र जप लिया,चालीसा पढ़ ली,ओर हो गया काम,,

नहीं अब ये बिल्कुल भी पर्याप्त उपाय नहीं हैं।

या फिर जल में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाये या पंछियों को दाना डाल दिया या कुत्तों को थोड़ा पाप्पे बिस्कुट मिठाई खिला दि या हनुमान जी पर बस चोला चढा दिया या घर से तेल दीपक बत्ती ले जाकर मन्दिर मे जला आये ओर एक या 5 रुपये दान चढ़ा दिए कि मेरी तो यही श्रद्धा है,बस,,ओर कुछ कहने पर बोल दो की,भगवान श्रद्धा से जो चढ़ावे उसको ग्रहण करते है,दिखावे को नहीं,,तो वो श्रद्धा नहीं,आपकी भगवान के नाम पर ही बचत करने की सोच मात्र है।वही सोच डॉक्टर या अन्य व्यवसायी के यहां क्यो नही चलती है।बहुतों के कथन बुरा लगेगा। सोचो,,न कभी बड़ा दान और ना कभी मन्दिर की सेवा की है??न बड़ी सेवा?? न बड़ा तप?? न बड़ा दान??,कैसे हो बड़ा कल्याण??

यो ही ऐसे सभी उपाय आज बिल्कुल फेल ओर बेकार सिद्ध हो रहे है,तुम्हारे ये कथित श्रद्धा नाम के उपाय उन दवाइयों की भांति है,जो आज के राक्षस कीटाणुओं पर कोई प्रभाव नही छोड़ रहे है,अन्यथा भक्तजन खुद चिंतन करके देखे ले और मेरी कहीं बात सत्य पाएंगे कि हाँ,श्री गुरुदेव महाराज जी बिल्कुल ही सही कह रहे है।

तो फिर क्या करें ऐसा अमोघ उपाय??? जो लाभ दे बने तत्काल सहाय!!!

1-सबसे पहले तो आप अपने पास के शनि मन्दिर मे जाकर अपना फोन नम्बर रजिस्टर कराए।
ताकि वहाँ होनेवाले अनुष्ठानों की पक्की जानकारी आपको सही महूर्त पर मिले और आप तैयारी करके वहाँ पहुँचकर उस विशेष पूजा का पूरा पूरा लाभ ले सकें।
2-क्या आपकी काले घोड़े की नाल सच्च में शास्त्रों में कहीं इस ज्ञान पर बनी है कि,शनि पुष्यनक्षत्र हो,ओर उस दिन दौड़ते काले घोड़े की स्वयं छोड़ी या दौड़ते समय निकली नाल हो,तब उसे मन्त्र जपते हुए लोहार से बिन आग पर तपवाकर केवल हथोड़े से ही बदलवाकर बनाकर फिर तेलाभिषेक मन्त्रयज्ञानुष्ठान के बाद बीच की उंगली में पहनी हो??यदि नही तो कोई लाभ नही मिलेगा जो चाहते हो।समझे,,
यो शनिदेव के पुष्य नक्षत्र में ही काले घोड़े के स्वत छोड़े नाल से बिन आग तपाये बने लोह छल्ले को ओर गंगा जी में पड़ी जितनी पुरानी हो उतनी पुरानी नाव की कील से बिन आग पर तपाये बने लोह छल्ले को जो कि आपके पास नही होगा,यदि हो तो उत्तम, तो वो या फिर आप शनिदेव मन्दिर से मिले लोह छल्लों को अपने शनिदेव मन्दिर में शुक्रवार की शाम को 6 बजे से 8 बजे तक के बीच के समय मे यानी दो घँटे के भीतर ही जाकर वहाँ अभिमंत्रित शनि सरसों के तेल से भरे बर्तन में पंडित जी के मन्त्र जप करते रहने पर डाल आवैं ओर शनिदेव मन्दिर के पंडितों के रात्रि पहर में किये शनिमंत्रोनुष्ठान से सिद्ध हो जाने के बाद,आप शनिवार की सुबह ओर शाम को या मन्दिर के खुलने व वहां के महंत पंडित जी की साधना पूजन आदि की सुविधानुसार जाकर उनके द्धारा बीच की उंगली में धारण करें और अपना दान डालकर प्रसाद ले और देकर अपने कार्य को प्रस्थान करें।यो ही शनिदेव मन्दिर में पुजारी या महंत को अपना फोन नम्बर रजिस्टर करना चाहिए।
3-अबकी पूजा में अवश्य ही आपको शनिदेव मन्दिर में जाकर नया खरीदा सरसों का तेल ही चढ़ाना है,ध्यान रहें घर मे रख्खा पुराना सरसों का तेल बिल्कुल भी नहीं चढ़ाना है।ये पुराना घर में रख्खा सरसों का तेल शनिदेव पूजा को उतरा हुआ कहलायेगा।जो की आपकी शनि पूजा भंग करके कृपा नहीं देगा।तभी या शनि जयंती के दिन ही खरीदने से वो नया तेल कहलाता है।
4-शनि जयंती के दिन प्रातः या जब भी नहाएं तब के समय मे,सभी भक्त सरसों के तेल से सारे शरीर पर मालिश करते हुए शनि महामंत्र “”ॐ शं शनैश्चराय नमः”” का जप करते रहे और फिर गंगा जल मिले गुनगुने पानी से नहाए यो जो अंदर के वस्त्र पहने थे उन्हें घुलवाकर या धोकर किसी गरीब को दान दे दें। ओर स्नान के बाद अपने साफ, पर चाहे वो आपके पुराने बने हो, वो नए वस्त्र पहने।
5-शनि जयंती वाले दिन प्रातः 4 बजे से लेकर रात्रि 12 बजे तक या जब तक उसमे तेल रहे तबतक अखंड ज्योति जलाना,उस ज्योति के सरसों के तेल में 8 लौंग 8 छोटी इलायची ओर एक कोई भी इत्र का असली तेल तथा एक छोटा टुकड़ा गंधक का ओर फिटकरी का भी डालें।ये सब मिलकर जलने पर सब बुरी शक्तियों आपके घर से हटा कर आप पर सभी ग्रहों की कृपा शक्ति देगें।

इन सब उपायों को मजाक नहीं समझे कुतर्क नहीं करें।

भगवान श्री शनिदेव जयंती पूजा समय :-

अमावस्या तिथि शुरू :- 13:55 – 9 जून 2021 से,,ओर
अमावस्या तिथि ख़त्म :- 16:20 – 10 जून 2021 तक।

तब देखना शनिदेव ओर राहुदेव की अतुलित कृपा का चमत्कार।।

ॐ शं शनैश्चराय नमः

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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