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1 अप्रैल को फूल डे यानी विश्व मूर्ख दिवस April Fool’s Day पर ज्ञान कविता

1 अप्रैल को फूल डे यानी विश्व मूर्ख दिवस April Fool’s Day पर ज्ञान कविता

इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी ने अपनिज्ञान कविता के माध्यम से जनसंदेश देते इस प्रकार से कहा है कि

सम्पूर्ण संसार मे 1 अप्रैल के दिन विश्व मूर्ख दिवस या 1अप्रैल मनाना या फूल डे मनाया जाता है।विश्व भर के सभी कैलेंडरों पर इस दिवस के दिन तारीख की एक अलग ही अपनी पहचान है। इस दिन लोग दोस्तों, परिवार के सदस्यों, भाई-बहनों ओर जन परिचितों को अलग-अलग तरीकों से अप्रैल मूर्ख बनाते हैं
इस अप्रैल फूल दिवस को लेकर कई कहानियां प्रचलित है।की कहा जाता है कि अप्रैल फूल्स डे यानी मूर्ख दिवस का प्रारम्भ फ्रांस में 1582 में उस वक्त हुई, जब पोप चार्ल्स 9 ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया था ओर बताया जाता है कि इस दौरान कुछ लोग पुराने कलेंडर की वही पुरानी तारीख पर ही नया साल मनाते रहे और उन्हें ही इस बात के लिए अप्रैल फूल्स कहा गया था। साथ ही उनका इस बात को लेकर मजाक भी मनाया गया था।वैसे ओर भी कई जगह इसकी शुरुआत 1392 भी बताई जाती है, लेकिन इसके कोई विशेष लिखित प्रमाण नहीं मिलता है।
ऐसे ही इस दिन में फ्रांस, इटली, बेल्ज‍ियम देशों में लोग कागज की मछली बनाकर दूसरे लोगों के पीछे चिपका देते है और फिर उसका मजाक बना कर हंसा जाता है।वहीं स्पेनिश बोलने वाले देशों में 28 दिसंबर को अप्रैल फूल मनाया जाता है, जिसे डे ऑफ होली इनोसेंट्स कहा जाता है। ईरानी फारसी नववर्ष के 13वें दिन एक-दूसरे पर तंज कसते हैं, यह 1 तारीख से लेकर 2 अप्रैल का दिन होता है।डेनमार्क में 1 मई को यह मनाया जाता है और इसे मज-कट कहते हैं।भारत मे भी इस सम्बन्धित अनेक कथाएं है और 1 अप्रैल को ही खूब मजाक लेते हुए मनाते है।

यो इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी ने अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से जनसंदेश देते इस प्रकार से कहा है कि

1 अप्रैल मूर्ख दिवस पर ज्ञान कविता

ना समझी ओर अज्ञान नाम है
कम ज्ञान का एक पहलू।
देर से बुद्धि चेतन जिस होती
क्या करूँ भ्रम समझने जरा ठहलू।।
इसी अवस्था नाम व्यक्ति
को मूर्ख कहते हर जनभाषा।
ओर हंसते उसकी ना समझे उत्तर
बार बार पूछ हंस यूँ रख आशा।।
जो चिढ़ता किसी उपनाम अर्थ से
दो अर्थों कर लोग पुकारे नाम।
वो चिढ़ बुरा भला उन कहता
भई बता क्या बुरा मतलब इस नाम।।
पेड़ डाल पर बैठकर उलटा
काटे अपनी दिशा डाली।
ओर गिरे ऊपर से चोट खाकर
देख लोग कहे मूर्ख नाम गाली।।
सही समय पर शब्द गलत जो बोले
ओर अर्थ का करें उपयोग अनर्थ।
समझाने पर भी नासमझी करता
इस मूर्ख मगज़ मरना अब है व्यर्थ।।
चला आ रहा ऐसे सदियों से
इन सब हरक़त से हंसते लोग।
तब विचार किया एक दिवस हो ऐसा
जिस दिन मनाएं मूर्ख दिवस सब लोग।।
ऐसी करें कोई विचित्र सब हरक़त
जिसका परिणाम कोई बुरा न हो।
बस आनन्द उठाये सब जन
भड़ास भी निकले हंसी खुलकर हो।।
कहीं चिपकाते पीठ के पीछे
कागज पर बेमौक़े कुछ लिख।
जल्दी आओ मुझे ले जाओ
गलतफहमी भरी राह बता कर दिक।।
जब थक वो देर से पहुँचे
ओर गुस्सा हो उस जन।
तब कहें मुबारक़ मूर्ख दिन तुम
बुरा न मानो हंस गले लगा उस जन।
चैत्र महीने का चूना दिन ऐसा
जब वर्ष का पहला दिन प्रारम्भ।
ओर साथ ही फसल उठे सब जन
हास्य दिवस से करें सब काम आरम्भ।।
सभी देश अलग अलग मानता है
सामूहिक मानता दिवस 1 अप्रैल।
खूब खेलते अनिष्ट बिन इच्छा
शुभ हो मूर्ख दिवस कह कर मेल।।
इस दिवस ध्यान इस बात का रखना
न चोट लगे मन दुखी ना हो।
यदि ऐसा हो तो मांग लो माफी
ओर मना उसे प्यार से लो।।
बुरी भावना उद्धेश्य न रखना
ना प्रताडन देना करके हास्य।
स्वस्थ मनोभाव रख दिवस मनाना
करके अवश्य सुखद परिहास।।
आओ मनाये हम सब मिलकर
भेज हंसी भरे एक दूजे संदेश।
ओर हंसे उस संदेश अर्थ पढ़
समझ एक दूजे समझा कर शेष।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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