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विश्व रेडक्रॉस दिवस यानी World Red Cross Day 8 मई पर ज्ञान कविता

विश्व रेडक्रॉस दिवस यानी World Red Cross Day 8 मई पर ज्ञान कविता

इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी ने अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से इस प्रकार जनसंदेश देते कहा है की,

विश्व रेडक्रास दिवस हर वर्ष 8 मई को विश्व भर में मनाया जाता है। यह दिवस रेडक्रॉस के संस्थापक और शान्ति के लिए पहले नोबल पुरस्कार विजेता जीन हेनरी ड्यूनैंट के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
विश्व रेडक्रॉस दिवस यानी World Red Cross Day अन्तर्राष्ट्रीय स्वंयसेवक दिवस के रूप में मनाया जाता है।तरकीबन 150 वर्षों से पूरे विश्व में रेडक्रॉस के स्वंय सेवक असहाय एवं पीड़ित मानवता की सहायता के लिए काम करते आ रहे हैं। भारत में वर्ष 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ, तब से लेकर आजतक रेडक्रॉस के स्वंय सेवक विभिन्न प्रकार के आपदाओं में निरंतर निस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विश्व के लगभग दो सौ देश किसी एक विचार पर सहमत हैं तो वह है रेडक्रॉस के ये सेवाभाव विचार-की स्वयं में झांको ओर अपने अंदर के मानव सेवा भाव का उच्चतर विकास का अनुभव करो,तभी तुम मनुष्य और जीव को अपना मान कर निःस्वार्थभाव से सेवा दे सकते हो।सीमावर्ती हो या जातीय संघर्ष से उत्पन्न युद्ध के मैदान में घायल सैनिकों की चिकित्सा के साथ प्रकृति के महाविनाश के बीच फंसे लोगों की मदद के लिए सदा हर प्रकार से सहायक बना रहता है रेडक्रॉस।
मानवीय जीवन और स्वास्थ्य की सुरक्षा के मिशन के साथ साल 1863 में स्थापित संगठन रेड क्रॉस अपने वॉलेंटियर वर्क यानी स्वयंसेवा के लिए जाना जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा में है। इस संस्था को साल 1917, 1944 और 1963 में नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है।

इसी सबको मध्यनजर रखते हुए स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी ने अपनी ज्ञान कविता के माध्यम से इस प्रकार जनसंदेश देते कहा है की,

विश्व रेड क्रॉस दिवस पर ज्ञान कविता

मानवीय जीवन स्वास्थ सुरक्षा
मानवता गुण प्रमुख पक्ष।
जिन मनुष्य ये गुण व्रद्धि होते
वे करते मानवता के बनकर रक्ष।।
यही तो था एक ऐसा मानुष
जिसके भरा ह्रदय ये महागुण।
नाम हेनरी ड्यूनेट स्वयं सेवक
पीड़ित मानव सहायक बन निपुण।।
जन्मदिन इन्हीं महापुरुष मानता है
विश्व रेड क्रॉस दिवस आठ मई।
भारत में भी ये हम सहायक सेवक
सीखों मानवता का सच्च अर्थ सही।।
विभिन्न आपदा विपदा आती
कभी युद्ध विभिषिका विकट पीड़ा।
कभी जातीय हिंसा हो जनहानि
कभी पड़ अकाल हो विनाशक क्रीड़ा।।
इन सबमें सहायक कौन दे संगत
मनुष्य को चाहिए मनुष्य का साथ।
इसी विचार के संकल्प सिद्धि को
एक संस्था गठित हुई एक दूजे ले हाथ।।
निस्वार्थ भाव से सेवा करनी है
ओर जनता से लेना सहयोग।
तन धन मन एकत्र है करने
यही इस संस्था का विचार सुयोग।।
सबसे पहले अपने अंदर
झांको की तुम क्या हो क्यों।
क्या जीवन है किसके उपयोगी
यह जान उठ खड़े हो संकल्पित यो।।
तभी कर सकोगे सेवा हर दूजे
जब उसमें खुद को देखोगे।
ये उसके रूप में खुद की सेवा करता
तब निस्वार्थी सेवक बन ओर जनोगे।।
लाल चिन्ह है रेड क्रॉस का
जो प्रतीक रूप नहीं करो अतिक्रमण।
सबको समान मानो समता दे
चारों दिशाओं में करो सेवाभाव संचरण।।
चार भाग है रेड क्रॉस चिन्ह
सेवा मनुष्यता ततपरता।
ओर निस्वार्थ ह्रदय भाव समर्पण
पहल आगे बढ़ जन अर्पणता।।
रक्त बहाओ कभी न दूजे
जरूरत पड़े तो दे निज रक्त।
जीवन एक दूजे है सहायक
सेवा भाव से न होना कभी विरक्त।।
युद्ध मैदान बीच खड़ा रहता है
रेड क्रॉस का निडर स्वयं सेवक।
दो सौ देश इन सेवा है सहायक
ये डटे निस्वार्थी बन जन खेवक।।
नोबेल शांति पुरस्कार मिला है
इनकी महान सेवा संसार।।
सभी भरोसा इन सेवक करते
ओर बन सेवक इस संस्था के द्धार।।
आओ हम भी ये दिवस मनाएं
सीख निस्वार्थ सेवाभाव विचार।
सहायक बने जन जीव सभी के
अपना कर रेड क्रॉस सेवा व्यवहार।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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