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विश्व पशु कल्याण दिवस World Animals Welfare Day 4 October पर ज्ञान कविता

विश्व पशु कल्याण दिवस World Animals Welfare Day 4 October पर ज्ञान कविता

इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी पशुओं की स्थिति को अपनी ज्ञान कविता में इस प्रकार व्यक्त करते कहते है कि,

विश्व पशु कल्याण दिवस World Animals Welfare Day एक अन्तराष्ट्रीय दिवस है जोकि हर वर्ष 4 अक्टूबर को विश्व भर में मनाया जाता है।यह दिन असीसी के सेंट फ्रांसिस का जन्मदिवस भी होता है।ये महापुरुष जानवरों के महान संरक्षक थे।इस दिवस का आयोजन सन 1931में परिस्थिति विज्ञान शास्रीयों के सम्मलेन में इटली के शहर फ्लोरेंस में प्रारम्भ हुआ था।
इस समय में जानवरों की सुरक्षा का सबसे बड़ा विषय मात्र बनकर रह गया है। पिछले लगभग 40-50 सालों में जानवरों की स्थिति इतनी दुष्कर हुई है, जिसका अनुमान लगाने से भी सबकी आत्मा सिहर उठेगी। विश्व भर में जानवरों में पिछले 1970 से 2010 के मध्य लगभग 50 प्रतिशत कमी आयी है। आज की दुनिया में मनुष्य स्वयं ही भयंकर जानवर बनता चला जा रहा है। हमारे देश भारत और विश्व के सभी संतो ओर महापुरुषो ने सभी जीवों के प्रति दया और स्वतंत्रता का महाभाव रखने और मांसाहार त्याग कर शाकाहारी बनने पर प्रबलता से जोर दिया और कहा कि,यदि मनुष्य सुखी जीवन जीना चाहता है तो,उसे सभी जीवों के प्रति अहिंसा का भाव रखते हुए ही ईश्वरत्त्व ओर महाशांति की प्राप्ति कर सकता है।विश्व पशुओं पर किये सर्वेक्षण की जारी रिपोर्ट में पता चला कि प्रत्येक वर्ष विश्वभर में करीबन 56 अरब जानवरों की हत्या कर दी जाती है, चाहे वह धार्मिक कर्मकांड के नाम से हो या अन्य अपने स्वार्थी स्वाद की भेंट चढ़ा।विश्व भर में प्रति सेकेण्ड लगभग 3000 जानवरों की मृत्यु किसी न किसी कारण से हो जाती है।ईश्वर ने इस संसार में सभी जीवों को समान जीवन जीने का स्वतंत्र अवसर प्रदान किया है,लेकिन मनुष्य अपने पाले जीवों को उनकी बढ़ापे में अनुपयोगी देख बलि चढ़ा देता है,उन निरही जीवो की हत्या से मनुष्य के मन तन और पारिवारिक स्तर पर ओर पर्यावरण में असंतुलन बिगड़ कर बुरी तरहां से पड़ा है।

इस दिवस पर स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी पशुओं की स्थिति को अपनी ज्ञान कविता में इस प्रकार व्यक्त करते कहते है कि,
विश्व पशु कल्याण दिवस पर ज्ञान कविता

गाय भैंस भेड़ ओर बकरी
इन्हें पालते खिला चारा पानी।
दूध के दाता हम मानुष जीवन
करते इनकी सेवा अंत दे हानि।।
जब ये दूध नहीं देते हमको
तब इनकी होती बेक़दरी।
छोड़ देते मरने चरने को
या कटने को देते कुट्टीकरी।।
गली घूमती खाकर कचरा
पन्नी कागज सड़ा न्यार।
ओर बेदर्दी से इन्हें मारते
ये मर जाती पीड़ा के मार।।
कुत्ते सड़क हो मछली नदी सागर
शेर हाथी सर्प हो या सियार।
नभचर या हो पेड़ों के पंछी
सबको मार डाला कर लाचार।।
घोड़े पाले रेस जीत को
ओर खच्चर पाले उठाने बोझ।
जब बूढ़े हो गए ये दोनों
मार दिए उसी मालिक ने एक रोज।।
सरकार खोल गृह सहायता देती
बूढ़ी अपंग शरण पशुशाला।
करती इंतजाम उनके चारे का
आर्थिक मदद दे धन विशाला।।
पर इसमें भी बड़ी धांधली होती
दिखावे को खोले पशुशाला।
पाकर आर्थिक सरकार सहायता
करें उपयोग चारा घोटाला।।
हर वर्ष हत्या अरबों जीव होती
हजारों मरते हर पर सेकंड।
इन जीव हत्यारा मनुष्य दुष्ट है
बलि चढ़ाएं निज स्वाद स्वार्थ घमंड।।
आओ पशु कल्याण दिवस पर
अहिंसा के लें हम संकल्प।
मांसाहार छोड़ शाकाहारी बने हम
दे जीवन पशुओं को अल्प नहीं कल्प।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

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